मथुरा। यौन शोषण के खिलाफ महिलाओं के एक वर्ग द्वारा शुरू किया गया #metoo अभियान बेशक बॉलीवुड एवं राजनीति सहित कॉर्पोरेट जगत में भी काफी चर्चित रहा तथा कई नामचीन हस्तियों को बेनकाब करने में कामयाब हुआ, किंतु उन स्थानों से फिलहाल दूर है जिन्हें शिक्षा का मंदिर कहा जाता है और जिनके ऊपर देश का भविष्य कहे जाने वाले युवाओं को तैयार करने की जिम्मेदारी है।
यही कारण है कि धार्मिक नगरी के रूप में विश्व विख्यात मथुरा के कई निजी शिक्षण संस्थानों में महिला कर्मचारियों सहित छात्राओं तक का यौन शोषण किए जाने की जानकारी मिली है।
विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मथुरा-भरतपुर रोड पर स्थित शिक्षा के कुछ ऐसे ही मंदिरों में महिला कर्मचारियों तथा छात्राओं के यौन शोषण का खेल लंबे समय से चल रहा है।
बताया जाता है कि कई-कई शिक्षण संस्थाओं का संचालन करने वाले एक ऐसे ही व्यक्ति की किसी पीड़ित फीमेल कर्मचारी ने ही पिछले दिनों वीडियो क्लिप तैयार की है।
कॉलेज की इस फीमेल कर्मचारी का कहना है कि वह संस्थान में कार्यरत दूसरी महिलाओं तथा छात्राओं के सहयोग से शीघ्र ही शिक्षण संस्थान के मालिक का घिनौना चेहरा सामने लाएगी और कानूनी कार्यवाही करेगी ताकि शिक्षा व्यवसाइयों का पर्दाफाश हो सके।
इस महिला का यह भी कहना है कि वह अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के अलावा दूसरी महिलाओं और छात्राओं के साथ लंबे समय से किए जा रहे दुष्कर्म को भी सार्वजनिक करेगी जिससे कि शिक्षा व्यवसाई को किसी एक महिला पर कीचड़ उछालने का मौका न मिले।
पीड़ित महिला का दावा है कि मथुरा-भरतपुर रोड पर शिक्षण संस्थाएं चलाने वाले इस व्यक्ति को संस्थान खुलने से लेकर बंद होने तक अपने कार्यालय में एक खास महिला कर्मचारी के साथ बैठेे देखा जा सकता है। यह वही महिला है जिसके इस शिक्षा व्यवसाई से संबंध संदिग्ध बताए जाते हैं और जिसे लेकर उसके सभी शिक्षण संस्थानों में चर्चा का बाजार गर्म रहता है।
संस्थान के सूत्र बताते हैं कि कर्मचारियों और शिक्षकों के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के बीच भी संचालक के रंगीन मिजाज एवं रंगरेलियां मनाने के किस्से चर्चित हैं किंतु आदत से मजबूर संचालक पर फिलहाल कोई असर होता दिखाई नहीं देता।
सूत्रों के अनुसार महिला कर्मचारियों और छात्राओं के यौन शोषण का यह मामला सिर्फ शिक्षण संस्थाओं के अंदर तक ही सीमित नहीं है, इसके बाहर भी शिक्षा व्यवसाइयों द्वारा उनका विभिन्न काम कराने के लिए उपयोग किया जाता है।
वैसे महिला कर्मचारियों एवं छात्राओं के साथ किए जा रहे खेल में मथुरा-भरतपुर रोड पर संचालित शिक्षण संस्थान के मालिक की संलिप्तता का यह एकमात्र मामला भी नहीं है। कई दूसरे शिक्षण संस्थान संचालक भी ऐसे घिनौने कृत्य कर रहे हैं जिनमें डीम्ड यूनिवर्सिटी तक चलाने वालों के नाम शामिल हैं।
एक मामला तो पिछले दिनों अदालत तक जा पहुंचा था और फिलहाल वहां लंबित है। दूसरे मामले में स्कूल के संचालक की गिरफ्तारी हो चुकी है।
इसके अतिरिक्त आश्चर्यचकित कर देने वाला एक अन्य मामला 14 जनवरी 2008 के दिन तब सामने आया था जब शहर के एक नामचीन होटल के अंदर न्यायपालिका से जुड़े चार अधिकारी अलग-अलग कमरों में चार छात्राओं के साथ पकड़े गए थे।
ये छात्राएं भी एक स्थानीय तकनीकी शिक्षण संस्था में अध्ययनरत थीं और इन्होंने पूछताछ के दौरान बाकायदा पुलिस को बताया कि शिक्षण संस्था के मालिक ने उन्हें करियर बनाने का आश्वासन देकर अधिकारियों को “एंटरटेन” करने के लिए बाध्य किया था।
मामला न्यायपालिका से जुड़ा होने के कारण पुलिस ने उसे रफा-दफा तो कर दिया परंतु तत्कालीन जिला जज को मौके पर बुलाने के बाद, जिससे संशय की कोई गुजाइश न रहे।
जिला जज ने जनवरी 2008 को एक पत्र भेजकर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा रजिस्ट्रार को पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया और शिक्षण संस्थान के उस मालिक का नाम भी उजागर किया जिसके बारे में छात्राओं ने स्पष्ट जानकारी दी थी।
हमेशा की तरह हालांकि शिक्षण संस्था के मालिक ने अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर मामले को दबवा दिया परंतु तत्कालीन जिला जज का इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं रजिस्ट्रार को भेजा गया पत्र असलियत सामने लाने के लिए काफी है।
ऐसी ही एक डीम्ड यूनिवर्सिटी के युवा संचालक को तो कुछ समय पूर्व उनकी पत्नी ने ही संस्थान की महिला कर्मचारी के साथ देर शाम ऑफिस में रंगरेलियां मनाते रंगेहाथ पकड़ लिया था।
बताया जाता है कि यूनिवर्सिटी के मालिक की इस घिनौनी हरकत से यूनिवर्सिटी के सभी मेल व फीमेल कर्मचारी वाकिफ हैं किंतु नौकरी पर आंच आने के डर से मुंह नहीं खोलते। यूनिवर्सिटी के दिन-प्रतिदिन गंदे होते माहौल के कारण गत दिनों कुछ लोग दूसरे संस्थानों में व्यवस्था होते ही यहां से जॉब छोड़कर जा चुके हैं।
सूत्र बताते हैं कि शिक्षा मंदिरों के संचालक और हवस के इन पुजारियों का भांडा फूटने में अब ज्यादा समय नहीं लगेगा क्योंकि पीड़िताओं ने अब बदनामी की परवाह किए बिना उनके कुकृत्य सामने लाने का मन बना लिया है।
जो भी हो, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि एक विश्व विख्यात धार्मिक नगरी से एजुकेशन हब के रूप में पहचान बनाने वाली कृष्ण की नगरी आज शिक्षा के मंदिरों में किए जा रहे यौन शोषण के लिए भी बदनामी हासिल करने लगी है और इसकी चर्चा कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी कैंपस की दीवारों से बाहर तक हो रही है।
इन हालातों में यदि कभी किसी सफेदपोश शिक्षा व्यवसाई का घृणित चेहरा अचानक सामने आ जाए तो आश्चर्य नहीं क्योंकि दुष्कर्म किया भले ही बंद कमरों में जाता हो परंतु उसकी दुर्गंध को ज्यादा दिनों तक दबाए रखना संभव नहीं होता।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
यही कारण है कि धार्मिक नगरी के रूप में विश्व विख्यात मथुरा के कई निजी शिक्षण संस्थानों में महिला कर्मचारियों सहित छात्राओं तक का यौन शोषण किए जाने की जानकारी मिली है।
विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मथुरा-भरतपुर रोड पर स्थित शिक्षा के कुछ ऐसे ही मंदिरों में महिला कर्मचारियों तथा छात्राओं के यौन शोषण का खेल लंबे समय से चल रहा है।
बताया जाता है कि कई-कई शिक्षण संस्थाओं का संचालन करने वाले एक ऐसे ही व्यक्ति की किसी पीड़ित फीमेल कर्मचारी ने ही पिछले दिनों वीडियो क्लिप तैयार की है।
कॉलेज की इस फीमेल कर्मचारी का कहना है कि वह संस्थान में कार्यरत दूसरी महिलाओं तथा छात्राओं के सहयोग से शीघ्र ही शिक्षण संस्थान के मालिक का घिनौना चेहरा सामने लाएगी और कानूनी कार्यवाही करेगी ताकि शिक्षा व्यवसाइयों का पर्दाफाश हो सके।
इस महिला का यह भी कहना है कि वह अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के अलावा दूसरी महिलाओं और छात्राओं के साथ लंबे समय से किए जा रहे दुष्कर्म को भी सार्वजनिक करेगी जिससे कि शिक्षा व्यवसाई को किसी एक महिला पर कीचड़ उछालने का मौका न मिले।
पीड़ित महिला का दावा है कि मथुरा-भरतपुर रोड पर शिक्षण संस्थाएं चलाने वाले इस व्यक्ति को संस्थान खुलने से लेकर बंद होने तक अपने कार्यालय में एक खास महिला कर्मचारी के साथ बैठेे देखा जा सकता है। यह वही महिला है जिसके इस शिक्षा व्यवसाई से संबंध संदिग्ध बताए जाते हैं और जिसे लेकर उसके सभी शिक्षण संस्थानों में चर्चा का बाजार गर्म रहता है।
संस्थान के सूत्र बताते हैं कि कर्मचारियों और शिक्षकों के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के बीच भी संचालक के रंगीन मिजाज एवं रंगरेलियां मनाने के किस्से चर्चित हैं किंतु आदत से मजबूर संचालक पर फिलहाल कोई असर होता दिखाई नहीं देता।
सूत्रों के अनुसार महिला कर्मचारियों और छात्राओं के यौन शोषण का यह मामला सिर्फ शिक्षण संस्थाओं के अंदर तक ही सीमित नहीं है, इसके बाहर भी शिक्षा व्यवसाइयों द्वारा उनका विभिन्न काम कराने के लिए उपयोग किया जाता है।
वैसे महिला कर्मचारियों एवं छात्राओं के साथ किए जा रहे खेल में मथुरा-भरतपुर रोड पर संचालित शिक्षण संस्थान के मालिक की संलिप्तता का यह एकमात्र मामला भी नहीं है। कई दूसरे शिक्षण संस्थान संचालक भी ऐसे घिनौने कृत्य कर रहे हैं जिनमें डीम्ड यूनिवर्सिटी तक चलाने वालों के नाम शामिल हैं।
एक मामला तो पिछले दिनों अदालत तक जा पहुंचा था और फिलहाल वहां लंबित है। दूसरे मामले में स्कूल के संचालक की गिरफ्तारी हो चुकी है।
इसके अतिरिक्त आश्चर्यचकित कर देने वाला एक अन्य मामला 14 जनवरी 2008 के दिन तब सामने आया था जब शहर के एक नामचीन होटल के अंदर न्यायपालिका से जुड़े चार अधिकारी अलग-अलग कमरों में चार छात्राओं के साथ पकड़े गए थे।
ये छात्राएं भी एक स्थानीय तकनीकी शिक्षण संस्था में अध्ययनरत थीं और इन्होंने पूछताछ के दौरान बाकायदा पुलिस को बताया कि शिक्षण संस्था के मालिक ने उन्हें करियर बनाने का आश्वासन देकर अधिकारियों को “एंटरटेन” करने के लिए बाध्य किया था।
मामला न्यायपालिका से जुड़ा होने के कारण पुलिस ने उसे रफा-दफा तो कर दिया परंतु तत्कालीन जिला जज को मौके पर बुलाने के बाद, जिससे संशय की कोई गुजाइश न रहे।
जिला जज ने जनवरी 2008 को एक पत्र भेजकर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा रजिस्ट्रार को पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया और शिक्षण संस्थान के उस मालिक का नाम भी उजागर किया जिसके बारे में छात्राओं ने स्पष्ट जानकारी दी थी।
हमेशा की तरह हालांकि शिक्षण संस्था के मालिक ने अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर मामले को दबवा दिया परंतु तत्कालीन जिला जज का इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं रजिस्ट्रार को भेजा गया पत्र असलियत सामने लाने के लिए काफी है।
ऐसी ही एक डीम्ड यूनिवर्सिटी के युवा संचालक को तो कुछ समय पूर्व उनकी पत्नी ने ही संस्थान की महिला कर्मचारी के साथ देर शाम ऑफिस में रंगरेलियां मनाते रंगेहाथ पकड़ लिया था।
बताया जाता है कि यूनिवर्सिटी के मालिक की इस घिनौनी हरकत से यूनिवर्सिटी के सभी मेल व फीमेल कर्मचारी वाकिफ हैं किंतु नौकरी पर आंच आने के डर से मुंह नहीं खोलते। यूनिवर्सिटी के दिन-प्रतिदिन गंदे होते माहौल के कारण गत दिनों कुछ लोग दूसरे संस्थानों में व्यवस्था होते ही यहां से जॉब छोड़कर जा चुके हैं।
सूत्र बताते हैं कि शिक्षा मंदिरों के संचालक और हवस के इन पुजारियों का भांडा फूटने में अब ज्यादा समय नहीं लगेगा क्योंकि पीड़िताओं ने अब बदनामी की परवाह किए बिना उनके कुकृत्य सामने लाने का मन बना लिया है।
जो भी हो, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि एक विश्व विख्यात धार्मिक नगरी से एजुकेशन हब के रूप में पहचान बनाने वाली कृष्ण की नगरी आज शिक्षा के मंदिरों में किए जा रहे यौन शोषण के लिए भी बदनामी हासिल करने लगी है और इसकी चर्चा कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी कैंपस की दीवारों से बाहर तक हो रही है।
इन हालातों में यदि कभी किसी सफेदपोश शिक्षा व्यवसाई का घृणित चेहरा अचानक सामने आ जाए तो आश्चर्य नहीं क्योंकि दुष्कर्म किया भले ही बंद कमरों में जाता हो परंतु उसकी दुर्गंध को ज्यादा दिनों तक दबाए रखना संभव नहीं होता।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया बताते चलें कि ये पोस्ट कैसी लगी ?