कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन के विरोध से याद आया कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपने दौर में मासिक पत्र ‘विक्रम’ के लिए कुछ लेख लिखे थे क्योंकि इस पत्र के संपादक पंडित नेहरू के अभिन्न मित्र पद्मभूषण पंडित सूर्यनारायण व्यास थे।
इनमें से एक लेख में पंडित नेहरू ने लिखा था कि लंदन में बनाए गए ‘मैडम तुसॉद’ के “चैम्बर्स ऑफ हॉरर्स” नामक अनोखे “अजायबघर” की तरह “हिंदुस्तान” में भी कभी न कभी एक “अजायबघर” कायम किया जाएगा।इस अजायबघर में हमारे बहुत से मंत्रियों की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी ताकि आने वाली पीढ़ियां यह जान सकें कि इस देश के अंदर कैसे-कैसे ‘नमूने’ सत्ता का सुख भोग कर चले गए।
लेख के मुताबिक उस आने वाले स्वर्ण युग में अध्यापक अपने छात्रों को इन नेताओं की आदमकद मूर्तियां दिखाकर बताएंगे कि ऐसे-ऐसे लोग हमारे देश के मंत्री रहे थे। यहां तक कि इनमें से कई के हाथों में तो राज्यों की कमान भी रही थी और वो अपने से कहीं अधिक बुद्धिमान लोगों पर हुकूमत करते थे।
अध्यापक अपने छात्रों को बताएंगे कि उस जमाने में योग्यता, प्रतिभा, ज्ञान अथवा जनता को प्रभावित करने जैसे गुणों के आधार पर किसी को सत्ता नहीं मिलती थी, बल्कि भेड़ों की तरह जनता को हांकने की क्षमता रखने वाला ही पद के योग्य समझा जाता था।
वह विद्यार्थियों को यह भी बताएंगे कि उस युग में सच्चाई के साथ देश सेवा करने की मंशा रखना और सिद्धांतों को लेकर दृढ़ता दिखाना ऐसे अवगुण थे जिनसे शासन के भूखे नेता खुद तो हमेशा दूर रहते ही थे, साथ ही ऐसे शासकों का अकारण विरोध करते थे।
पंडित नेहरू ने इस लेख में यह भी लिखा है कि इन नेताओं को किसी विषय, विभाग और आविष्कारों के बारे में उतनी भी जानकारी नहीं होगी जितनी कि किसी कुली या मजदूर को ‘मंगलग्रह’ के बारे में हो सकती है।
अंत में पंडित नेहरू लिखते हैं कि… ”और आने वाले युग का विद्यार्थी इन नेताओं की आदमकद मूर्तियां देखकर यह सोचने पर मजबूर होगा कि जिन राजनीतिज्ञों एवं मंत्रियों को अत्यधिक बुद्धिमान समझा जाता रहा, वो वास्तव में कितने बुद्धिहीन तथा अक्ल से अंधे थे।
उस दौर के विद्यार्थियों को ऐसी जनता पर भी आश्चर्य होगा जो शेर की खाल ओढ़कर सत्ता हासिल करने वाले इन ‘गीदड़ों’ से शासित होती रही।
पंडित नेहरू के बारे में इस बात से तो कोई इंकार नहीं कर सकता कि वो कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ अच्छे दूरदृष्टा भी थे, किंतु आज जिस तरह कोरोना जैसे घातक वायरस की वैक्सीन का वो नेता विरोध कर रहे हैं जिन्होंने कभी देश व प्रदेश के बड़े-बड़े पदों को सुशोभित किया है, उन्हें देखकर लगता है कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री संभवत: बहुत काबिल ‘भविष्यवक्ता’ भी रहे होंगे।
बहरहाल, आज जिस तरह एक महामारी से मुकाबले के लिए देश के वैज्ञानिकों ने बहुत कम समय में वैक्सीन तैयार करके समूचे विश्व को चौंका दिया है, उस पर गर्व करने की बजाय सत्तापक्ष के अंधे विरोध पर उतारू देश के कुछ नेता पंडित नेहरू की लेखनी और उनकी दूरदृष्टि को शत-प्रतिशत सच साबित अवश्य कर रहे हैं।
ये बात और है कि लंदन में बने मैडम तुसॉद के “चैम्बर्स ऑफ हॉरर्स” नामक अनोखे “अयाबघर” की कमी फिलहाल हिंदुस्तान की जनता को खल रही है। उम्मीद है कि पंडित नेहरू की यह भविष्यवाणी भी जल्द पूरी होगी।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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