मथुरा,10 JAN 12 (एजेंसी)। जनपद की कुल पांच विधानसभा सीटों में से शहर की सीट पर बसपा की ओर से चुनाव लड़ने का अधिकार फिलहाल भले ही वृंदावन नगर पालिका की निवर्तमान अध्यक्ष पुष्पा शर्मा को मिल चुका हो लेकिन इस बात की भारी चर्चा है कि बसपा अपनी रीति व नीति के अनुरूप किसी भी वक्त पुन: बदलाव कर सकती है। हालांकि पार्टी के जोनल कोऑर्डिनेटर वीर सिंह का दावा है कि मथुरा, आगरा और फिरोजाबाद के प्रत्याशियों में अब फेरबदल की कोई संभावना नहीं है क्योंकि बहिनजी ने यहां किसी भी प्रकार के बदलाव से स्पष्ट इंकार कर दिया है।
दूसरी ओर मथुरा-वृंदावन सीट पर पिछले चुनावों से ही लड़ने का ख्वाब
देख रहे डॉ. अशोक अग्रवाल का कहना है कि जब तक इस सीट पर
भाजपा अपने पत्ते नहीं खोल देती, तब तक बसपा की घोषणा को
अंतिम मानना मूर्खता होगी।
उन्होंने वीर सिंह के दावे को यह कहकर खारिज कर दिया कि बहिनजी
ने मुझसे खुद कहा था कि अब किसी भी कीमत पर तुम्हें नहीं हटाया
जायेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि जब एक बार बदलाव हो सकता है तो दो बार भी हो सकता है।
डॉ. अशोक अग्रवाल ने कहा कि मैं पिछले पांच सालों से पार्टी के लिए
तन, मन व धन से सेवाएं देता रहा हूं और चुनाव लड़ने का पूरी तरह
मन बना चुका हूं। चुनाव तो मुझे लड़ना है और मुझे पूरी उम्मीद है कि
पार्टी अपने निर्णय पर पुनर्विचार अवश्य करेगी।
जो भी हो लेकिन शहर में आज भी पूरे दिन इस आशय की चर्चाओं का
बाजार गर्म रहा कि डॉ. अशोक को ही बसपा ने फिर प्रत्याशी घोषित कर दिया है।
उधर भारतीय जनता पार्टी द्वारा शहर की सीट पर अब तक प्रत्याशी की
घोषणा न किये जाने से डॉ. अशोक अग्रवाल के दावे को बल जरूर
मिलता है।
इस सीट पर भाजपा की ओर से किसी वैश्य को उतारे जाने की संभावना
बेशक प्रबल नजर आ रही हो पर बताया यह भी जा रहा है कि कोई
ब्राह्मण भी उतारा जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो फेरबदल भी जरूर होगा वरना स्थितियां काफी बदल जायेंगी और उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ेगा।
दूसरी ओर मथुरा-वृंदावन सीट पर पिछले चुनावों से ही लड़ने का ख्वाब
देख रहे डॉ. अशोक अग्रवाल का कहना है कि जब तक इस सीट पर
भाजपा अपने पत्ते नहीं खोल देती, तब तक बसपा की घोषणा को
अंतिम मानना मूर्खता होगी।
उन्होंने वीर सिंह के दावे को यह कहकर खारिज कर दिया कि बहिनजी
ने मुझसे खुद कहा था कि अब किसी भी कीमत पर तुम्हें नहीं हटाया
जायेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि जब एक बार बदलाव हो सकता है तो दो बार भी हो सकता है।
डॉ. अशोक अग्रवाल ने कहा कि मैं पिछले पांच सालों से पार्टी के लिए
तन, मन व धन से सेवाएं देता रहा हूं और चुनाव लड़ने का पूरी तरह
मन बना चुका हूं। चुनाव तो मुझे लड़ना है और मुझे पूरी उम्मीद है कि
पार्टी अपने निर्णय पर पुनर्विचार अवश्य करेगी।
जो भी हो लेकिन शहर में आज भी पूरे दिन इस आशय की चर्चाओं का
बाजार गर्म रहा कि डॉ. अशोक को ही बसपा ने फिर प्रत्याशी घोषित कर दिया है।
उधर भारतीय जनता पार्टी द्वारा शहर की सीट पर अब तक प्रत्याशी की
घोषणा न किये जाने से डॉ. अशोक अग्रवाल के दावे को बल जरूर
मिलता है।
इस सीट पर भाजपा की ओर से किसी वैश्य को उतारे जाने की संभावना
बेशक प्रबल नजर आ रही हो पर बताया यह भी जा रहा है कि कोई
ब्राह्मण भी उतारा जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो फेरबदल भी जरूर होगा वरना स्थितियां काफी बदल जायेंगी और उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ेगा।
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