हजारों साल का इतिहास अपने अंक में सहेजकर रखे बैठी कृष्ण की जन्मस्थली ने इन विधानसभा चुनावों में भी आखिर इतिहास रच दिया। बात शुरू करें जिले की सर्वाधिक हॉट सीट मांट की तो वहां से रालोद के युवराज जयंत चौधरी ने छ: बार के विधायक और जिले में राजनीति के चाणक्य की उपमा प्राप्त श्यामसुंदर शर्मा को हराकर एक इतिहास कायम कर दिया। मांट सीट को लेकर उत्सुकता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि पूरे प्रदेश की नजर यहां टिकी हुई थी। जिले की कुल पांच सीटों में से चार पर रालोद-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशियों की जीत ने अलग इतिहास बनाया है। इनमें से मांट, बल्देव व छाता पर रालोद के प्रत्याशी लड़े थे जबकि मथुरा-वृंदावन से कांग्रेसी प्रत्याशी मैदान में था।
मथुरा-वृंदावन सीट से बसपा प्रत्याशी पुष्पा शर्मा की करारी हार ने मथुरा के इस इतिहास को कायम रखा कि यहां से अब तक कोई ऐसा प्रत्याशी विधायक नहीं बना जो नगरपालिका का अध्यक्ष रहा हो। गौरतलब है कि पुष्पा शर्मा वृंदावन नगरपालिका की निवर्तमान अध्यक्ष हैं।
इसके अलावा कांग्रेस के प्रदीप माथुर शहरी सीट पर हैट्रिक बनाने वाले पहले विधायक बन गये हैं और शायद सर्वाधिक कम मतों (501) से मिली जीत भी इसका हिस्सा होगी।छाता सीट पर प्रदेश के कद्दावर कबीना मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण को मिली शिकस्त ने अलग इतहास रचा है और गोवर्धन से बसपा के राजकुमार रावत की जीत इसलिए इतिहास बन गई क्योंकि अनारक्षित होने के बाद वहां का यह पहला चुनाव था।
इसी प्रकार नवसृजित बल्देव विधानसभा सीट पर पहले ही चुनाव में रालोद के पूरन प्रकाश ने बाजी मारकर इतिहास रच दिया।
इतिहास बनने की श्रृंखला में यहां से समाजवादी पार्टी को पहली मर्तबा 50 हजार से अधिक मतों का मिलना भी शामिल किया जायेगा।
मथुरा-वृंदावन सीट पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी की हैसियत से चुनाव लड़ने वाले बाल रोग विशेषज्ञ अशोक अग्रवाल ने जीत भले ही दर्ज नहीं की लेकिन एक करिश्मा जरूर करके दिखा दिया। यह पहला मौका था जब कृष्ण की नगरी में कोई सपा प्रत्याशी न सिर्फ सीधे मुकाबले में बल्िक सट्टा बाजार में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल रहा।
यूं तो हर इतिहास पर वक्त की गर्द जमती है और उस पर नया इतिहास लिखा जाता है लेकिन वक्त व जरूररत सबका स्मरण करा देते हैं। शायद यही इसकी खासियत भी होती है।
मथुरा-वृंदावन सीट से बसपा प्रत्याशी पुष्पा शर्मा की करारी हार ने मथुरा के इस इतिहास को कायम रखा कि यहां से अब तक कोई ऐसा प्रत्याशी विधायक नहीं बना जो नगरपालिका का अध्यक्ष रहा हो। गौरतलब है कि पुष्पा शर्मा वृंदावन नगरपालिका की निवर्तमान अध्यक्ष हैं।
इसके अलावा कांग्रेस के प्रदीप माथुर शहरी सीट पर हैट्रिक बनाने वाले पहले विधायक बन गये हैं और शायद सर्वाधिक कम मतों (501) से मिली जीत भी इसका हिस्सा होगी।छाता सीट पर प्रदेश के कद्दावर कबीना मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण को मिली शिकस्त ने अलग इतहास रचा है और गोवर्धन से बसपा के राजकुमार रावत की जीत इसलिए इतिहास बन गई क्योंकि अनारक्षित होने के बाद वहां का यह पहला चुनाव था।
इसी प्रकार नवसृजित बल्देव विधानसभा सीट पर पहले ही चुनाव में रालोद के पूरन प्रकाश ने बाजी मारकर इतिहास रच दिया।
इतिहास बनने की श्रृंखला में यहां से समाजवादी पार्टी को पहली मर्तबा 50 हजार से अधिक मतों का मिलना भी शामिल किया जायेगा।
मथुरा-वृंदावन सीट पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी की हैसियत से चुनाव लड़ने वाले बाल रोग विशेषज्ञ अशोक अग्रवाल ने जीत भले ही दर्ज नहीं की लेकिन एक करिश्मा जरूर करके दिखा दिया। यह पहला मौका था जब कृष्ण की नगरी में कोई सपा प्रत्याशी न सिर्फ सीधे मुकाबले में बल्िक सट्टा बाजार में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल रहा।
यूं तो हर इतिहास पर वक्त की गर्द जमती है और उस पर नया इतिहास लिखा जाता है लेकिन वक्त व जरूररत सबका स्मरण करा देते हैं। शायद यही इसकी खासियत भी होती है।
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