मंगलवार, 22 मई 2012

काले धन पर श्वेत पत्र पेश

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने लोकसभा में काले धन पर श्वेत पत्र पेश कर दिया है. करीब एक सौ पेज के श्वेत पत्र में किसी का नाम नहीं है.
सरकार का कहना है कि काले धन के एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट आने के कारण फिलहाल किसी का नाम नहीं लिया गया है.
इसके पहले सरकार ने बजट पर चर्चा के दौरान श्वेत पत्र पेश करने की बात कही थी.
बताया जा रहा है कि विदेशी बैंकों में भारतीयों का करीब 24 लाख करोड़ रुपए का कालाधन जमा है.
श्वेत पत्र में बताया गया है कि काले धन के मामले में विश्व में भारत 15वें स्थान पर है. इसमें सूची में शीर्ष पर चीन और दूसरे स्थान पर रूस है.
सरकार के अनुसार विदेशों में जमा कालेधन में कमी आई है. 2006 में 23, 373 करोंड़ की तुलना में 2010 में 9295 करोड़ रुपए विदेशों में जमा थे.
सरकार का ये भी कहना है कि विदेशों में जमा कालेधन के बारे में कोई विश्वसनीय आंकड़े नहीं है.
सरकार ने श्वेत पत्र में कई स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों को दिखाया है लेकिन अपनी तरफ से कोई आंकड़ा नहीं दिया है.
यह रिपोर्ट केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष के नेतृत्व में बनी एक समिति की सिफारिशों पर तैयार की गयी है.
श्वेत पत्र में माना गया है कि निजी क्षेत्र में स्व नियमन असफल रहा है, इसलिए वहां एक नियामक की सिफारिश की गयी है.
काले धन पर अंकुश लगाने के लिए सरकार डेबिट और केडिट कार्ड के प्रयोग पर कर राहत प्रदान कर सकती है.
श्वेत पत्र में कहा गया है कि वोडाफोन कर मामला, करों के भुगतान से बचने के लिए कोरपोरेट ढांचे के दुरूपयोग का उदाहरण पेश करता है.
श्वेतपत्र में कहा गया है कि सभी वित्तीय अपराधों की सुनवाई फास्ट ट्रैक अदालतों में की जाए और सजा को अधिक कड़ा किया जाए.
भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में तेजी लाने के लिए जल्द से जल्द लोकपाल और लोकायुक्तों की नियुक्ति की जाए.

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