सोमवार, 28 मई 2012

जयगुरुदेव की मौत पर ही संदेह अकूत संपत्‍ति हड़पने की साजिश शुरू

मथुरा। बाबा जय गुरुदेव की विरासत कौन संभालेगा, इसे लेकर शुरू हुई लड़ाई अब सड़क पर आने वाली है। बाबा का त्रयोदशी संस्‍कार (तेरहवीं) और ब्रह्म भोज 30 मई को है। लेकिन इससे पहले ही उत्‍तराधिकार का विवाद गहरा रहा है। 28 मई को जंतर-मंतर पर इस सिलसिले में धरना-प्रदर्शन भी होने जा रहा है।
आरोप है कि बाबा के कुछ खास सिपहसालार गुरुदेव के विशाल साम्राज्य पर नजरें गड़ाए हुए हैं। यह साम्राज्‍य 12 हजार करोड़ रुपये का बताया जा रहा है। इसे लेकर अब संगत के बीच ही सवाल उठने लगे हैं और आरोप-प्रत्‍यारोप भी हो रहे हैं।  उत्‍तराधिकार को लेकर अनुयायी दो खेमों में बंट गए हैं। एक पक्ष का मानना है कि जब बाबा ने विरासत की हिफाजत के लिए 16 मई 2007 में उन्नाव के बशीरतगंज में सत्संग के दौरान सब साफ कर दिया था, फिर उत्तराधिकार का विवाद क्यों? इन अनुयायियों के मुताबिक उस समय बाबा ने कहा था कि जो नये लोग आएंगे, और नाम लेंगे, उमाकांत तिवारी उनको नामदान देंगे। जिला संगत का बड़ा तबका तिवारी के साथ बताया जा रहा है।
पर एक अनुयायी शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने शनिवार को आरोप लगाया कि बाबा व संगत की अथाह संपत्ति पर कुछ लोगों की निगाह है। ये लोग बाबा के करोड़ों अनुयायियों की आस्था को ठेस पहुंचाने की साजिश रच रहे हैं। उन्‍होंने यह भी कह दिया कि बाबा के हजारों अनुयायी इस मसले पर उनके साथ हैं और वे सभी 28 मई को जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन करेंगे।  त्रिपाठी ने तो बाबा की मौत पर भी सवाल उठा दिए। उन्‍होंने बाबा के पार्थिव शरीर की लंबाई तथा बाबा की बाईं नाक के ऊपर मस्सा होने-न होने आदि पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने इस पूरे मामले में सीबीआई जांच की मांग की है।
बाबा जय गुरुदेव  के प्रमुख अनुयायियों में से एक, चरन सिंह एडवोकेट ने इन आरोपों को बेबुनियाद करार दिया है। उन्होंने कहा कि सब कुछ बाबा के आदेश के अनुसार ही हो रहा है। उत्तराधिकारी के बारे में निर्णय अभी नहीं लिया गया है। तेरहवीं के बाद ट्रस्ट की बैठक होगी, उसमें निर्णय लिया जायेगा।

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