जगद् गुरू कृपालु का शिष्य है प्रकाशानंद सरस्वती |
यौन उत्पीड़न के 20 मामलों में सुनाई गई थी 14 साल की सजा
कृपालु महाराज का शिष्य है प्रकाशानंद सरस्वती
कृपालु महाराज का शिष्य है प्रकाशानंद सरस्वती
''द यूनीवर्सल सोसाइटी ऑफ स्प्रिचुअल लव'', ''द इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ डिवाइन लव'' जैसी ख़ालिस व्यावसायिक ''पंच लाइन''
के माध्यम से भारत सहित विश्व के तमाम सम्पन्न देशों में धर्म का धंधा
करने वाले और खुद को पांचवां यानि अतिरिक्त जगद् गुरू शंकराचार्य घोषित
कर चुके रामकृपालु त्रिपाठी उर्फ ''कृपालु महाराज'' के शिष्य ''स्वामी प्रकाशानंद सरस्वती'' की अमेरिका को तलाश है।
दरअसल दो युवा लड़कियों का यौन उत्पीड़न करने के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद प्रकाशानंद अदालत को चकमा देकर भाग खड़ा हुआ। अमेरिका को शक है कि 14 वर्ष के कारावास की सजा सुनाये जाने के कारण यह 83 वर्षीय कथित आध्यात्मिक धर्मगुरू संभवत: भारत भाग गया है।
अब अमेरिका ने प्रकाशानंद को ढूंढ़ निकालने व गिरफ्त में लेने के लिए अपने मार्शल लगाये हैं।
अमेरिकी मार्शलों को संदेह है कि अपने भक्तों में स्वामीजी कहलाने वाला प्रकाशानंद सरस्वती अपने करीबी सहायकों की सांठगांठ से भारत भाग आया है।
मार्च 2011 में टेक्सास की हेज काउन्टी ज्यूरी द्वारा यौन उत्पीड़न के 20 मामलों में दोषी ठहराए जाने और इसके लिए 14 वर्ष की सजा सुनाये जाने के बाद से उक्त स्वयंभू गुरू लापता है।
ज्यूरी ने प्रत्येक आरोप के लिए प्रकाशानंद की अनुपस्थिति में ही उसे 14 साल के कारावास की सजा सुनाई और उसके 12 लाख के जमानती बांड एवं प्रॉमिसरी नोट जब्त कर लिये।
अदालती दस्तावेजों से पता लगता है कि व्हील चेयर पर चलने वाले प्रकाशानंद ने जमानत मिलने के दो दिन बाद ही संभवत: ह्यूस्टन छोड़ दिया और मैक्सिको भाग गया। मैक्सिको से भारत जाने के लिए उसने अपने श्रद्धालुओं का नेटवर्क इस्तेमाल किया।
18 महीने बाद अब भी अमेरिका के संघीय अधिकारी इस गुत्थी को सुलझा रहे हैं कि कैसे वह देश के बाहर जाने में सफल रहा और किसने उसकी मदद की? इस कथित धार्मिक गुरू का पता लगाने वाली टीम का नेतृत्व कर रहे डिप्टी अमेरिकी मार्शल रॉबर्ट मारकम ने कहा कि लापता स्वयंभू स्वामी ने टेक्सास, पेंसिलवेनिया, कैलिफोर्निया और फ्लोरिडा में अपने धार्मिक अनुयायियों की मदद से उड़ान पकड़ी।
उन्होंने कहा कि जहां तक फरार लोगों का सवाल है तो यह सर्वाधिक कुशल योजना है, जिसे मैंने अब तक अपने कार्यकाल में देखा है। उन्होंने जो कुछ भी किया, उसको लेकर यही कहा जा सकता है कि वह बेहद स्मार्ट यानी पेशेवर अपराधी की तरह कुटिल हैं। यह संभावना है कि इस तथाकथित धार्मिक गुरू के कुछ अनुयायी भगोड़े को शरण देने, सहायता करने, उकसाने और सरकारी एजेंट के समक्ष झूठा बयान देने के लिए आरोपित किए जायेंगे।
गुरू के अनुयायियों ने उसे गिरफ्तारी से बचाने के लिए कैसे देशभर में घुमाया, इसका ब्यौरा अदालत में दाखिल किया जा चुका है।
गौरतलब है कि प्रकाशानंद सरस्वती के गुरू कृपालु महाराज पर भी कुछ साल पहले त्रिनिदाद एण्ड टोबेगो में एक महिला का यौन उत्पीड़न करने का केस दर्ज हुआ था और उसमें वहीं उनकी गिरफ्तारी भी हुई लेकिन बाद में कृपालु के प्रबंधतंत्र ने पीड़ित महिला से समझौता कर लिया। बताया जाता है इसके लिए प्रबंधतंत्र ने महिला को काफी मोटी रकम दी।
इसके अतिरिक्त कृपालु जी को दुराचार के एक अन्य मामले में नागपुर हवाईअड्डे पर वर्षों पहले गिरफ्तार किया गया था।
उल्लेखनीय है कि धर्म का बड़े प्रोफेशनल तरीके से धंधा करने वाले इन गुरू-चेलों ने अरबों की संपत्ति अर्जित की है और वृंदावन तथा बरसाना में इनके अरबों की लागत वाले भव्य मंदिर तथा आश्रम हैं। इनमें से प्रमुख हैं वृंदावन का श्यामाश्याम धाम, जगद् गुरू धाम व प्रेम मंदिर तथा बरसाना का रंगीली महल।
मूल रूप से प्रतापगढ़ जनपद के कस्बा मनगढ़ निवासी कृपालु महाराज ने इन सबके अतिरिक्त मथुरा जनपद में बेहिसाब जमीनें खरीद रखी हैं और बहुत सी बेनामी संपत्ति अर्जित की है।
आश्चर्य की बात है कि विश्व के तमाम देशों में भारत के धर्म व आध्यात्म को बदनाम करने वाले इन गुरू-शिष्यों पर यहां की सरकारें पूरी तरह मेहरबान रही हैं और इनके द्वारा किये जाने वाले आयोजनों में दिग्गज नेता व मंत्री शिरकत करते हैं।
दरअसल दो युवा लड़कियों का यौन उत्पीड़न करने के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद प्रकाशानंद अदालत को चकमा देकर भाग खड़ा हुआ। अमेरिका को शक है कि 14 वर्ष के कारावास की सजा सुनाये जाने के कारण यह 83 वर्षीय कथित आध्यात्मिक धर्मगुरू संभवत: भारत भाग गया है।
अब अमेरिका ने प्रकाशानंद को ढूंढ़ निकालने व गिरफ्त में लेने के लिए अपने मार्शल लगाये हैं।
अमेरिकी मार्शलों को संदेह है कि अपने भक्तों में स्वामीजी कहलाने वाला प्रकाशानंद सरस्वती अपने करीबी सहायकों की सांठगांठ से भारत भाग आया है।
मार्च 2011 में टेक्सास की हेज काउन्टी ज्यूरी द्वारा यौन उत्पीड़न के 20 मामलों में दोषी ठहराए जाने और इसके लिए 14 वर्ष की सजा सुनाये जाने के बाद से उक्त स्वयंभू गुरू लापता है।
ज्यूरी ने प्रत्येक आरोप के लिए प्रकाशानंद की अनुपस्थिति में ही उसे 14 साल के कारावास की सजा सुनाई और उसके 12 लाख के जमानती बांड एवं प्रॉमिसरी नोट जब्त कर लिये।
अदालती दस्तावेजों से पता लगता है कि व्हील चेयर पर चलने वाले प्रकाशानंद ने जमानत मिलने के दो दिन बाद ही संभवत: ह्यूस्टन छोड़ दिया और मैक्सिको भाग गया। मैक्सिको से भारत जाने के लिए उसने अपने श्रद्धालुओं का नेटवर्क इस्तेमाल किया।
18 महीने बाद अब भी अमेरिका के संघीय अधिकारी इस गुत्थी को सुलझा रहे हैं कि कैसे वह देश के बाहर जाने में सफल रहा और किसने उसकी मदद की? इस कथित धार्मिक गुरू का पता लगाने वाली टीम का नेतृत्व कर रहे डिप्टी अमेरिकी मार्शल रॉबर्ट मारकम ने कहा कि लापता स्वयंभू स्वामी ने टेक्सास, पेंसिलवेनिया, कैलिफोर्निया और फ्लोरिडा में अपने धार्मिक अनुयायियों की मदद से उड़ान पकड़ी।
उन्होंने कहा कि जहां तक फरार लोगों का सवाल है तो यह सर्वाधिक कुशल योजना है, जिसे मैंने अब तक अपने कार्यकाल में देखा है। उन्होंने जो कुछ भी किया, उसको लेकर यही कहा जा सकता है कि वह बेहद स्मार्ट यानी पेशेवर अपराधी की तरह कुटिल हैं। यह संभावना है कि इस तथाकथित धार्मिक गुरू के कुछ अनुयायी भगोड़े को शरण देने, सहायता करने, उकसाने और सरकारी एजेंट के समक्ष झूठा बयान देने के लिए आरोपित किए जायेंगे।
गुरू के अनुयायियों ने उसे गिरफ्तारी से बचाने के लिए कैसे देशभर में घुमाया, इसका ब्यौरा अदालत में दाखिल किया जा चुका है।
गौरतलब है कि प्रकाशानंद सरस्वती के गुरू कृपालु महाराज पर भी कुछ साल पहले त्रिनिदाद एण्ड टोबेगो में एक महिला का यौन उत्पीड़न करने का केस दर्ज हुआ था और उसमें वहीं उनकी गिरफ्तारी भी हुई लेकिन बाद में कृपालु के प्रबंधतंत्र ने पीड़ित महिला से समझौता कर लिया। बताया जाता है इसके लिए प्रबंधतंत्र ने महिला को काफी मोटी रकम दी।
इसके अतिरिक्त कृपालु जी को दुराचार के एक अन्य मामले में नागपुर हवाईअड्डे पर वर्षों पहले गिरफ्तार किया गया था।
उल्लेखनीय है कि धर्म का बड़े प्रोफेशनल तरीके से धंधा करने वाले इन गुरू-चेलों ने अरबों की संपत्ति अर्जित की है और वृंदावन तथा बरसाना में इनके अरबों की लागत वाले भव्य मंदिर तथा आश्रम हैं। इनमें से प्रमुख हैं वृंदावन का श्यामाश्याम धाम, जगद् गुरू धाम व प्रेम मंदिर तथा बरसाना का रंगीली महल।
मूल रूप से प्रतापगढ़ जनपद के कस्बा मनगढ़ निवासी कृपालु महाराज ने इन सबके अतिरिक्त मथुरा जनपद में बेहिसाब जमीनें खरीद रखी हैं और बहुत सी बेनामी संपत्ति अर्जित की है।
आश्चर्य की बात है कि विश्व के तमाम देशों में भारत के धर्म व आध्यात्म को बदनाम करने वाले इन गुरू-शिष्यों पर यहां की सरकारें पूरी तरह मेहरबान रही हैं और इनके द्वारा किये जाने वाले आयोजनों में दिग्गज नेता व मंत्री शिरकत करते हैं।
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