शनिवार, 18 मई 2013

चुनाव भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा स्रोत: कुरैशी

पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) एस. वाई. कुरैशी ने चुनाव सुधारों पर जोर देते हुए कहा है कि देश में चुनाव, भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा स्रोत बन चुका है।
कुरैशी ने ब्रिटिश काउंसिल में एक व्याख्यान देते हुए कहा, ‘‘चुनाव इस समय देश में भ्रष्टाचार के सबसे बड़े स्रोत बन चुके हैं।’’
कुरैशी ने कहा, ‘‘राजनीतिक सत्ता ताकतवर है और प्रतिस्पर्धा कड़वी है। चुनाव में अपराधियों का हस्तक्षेप और बूथ कैप्चरिंग सबसे बड़ी चुनौती है।’’
कुरैशी के अनुसार राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों के बीच मिलीभगत तब शुरू होती है, जब कोई राजनीतिज्ञ मंत्री बन जाता है और चुनाव के दौरान खर्च रुपयों को हासिल करना शुरू करता है।
निर्वाचन आयोग के पूर्व प्रमुख कुरैशी ने बताया कि वर्तमान लोकसभा के 543 सदस्यों में से 162 सदस्यों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसमें पिछली लोकसभा की अपेक्षा वृद्धि ही हुई है, क्योंकि पूर्व की लोकसभा में 124 सदस्यों पर ही आपराधिक मामले दर्ज थे।
कुरैशी ने कहा कि अपराधियों को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करने पर राजनीति दल विरोध जता रहे हैं, क्योंकि इसके पीछे उनका तर्क है कि राजनेताओं पर विपक्षी दलों द्वारा मामला दर्ज कराया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा कहना है कि जिनके खिलाफ मामला चल रहा है उन्हें या जिनके खिलाफ अदालत में आरोप तय कर लिए गए हों उन्हें चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया जाए।’’
हालांकि कुरैशी ने भारतीय चुनाव के सकारात्मक पहलू भी बताए। उन्होंने कहा कि बेहतर प्रशासन के कारण लोग मतदान के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि इसके कारण लोकलुभावनवाद को भी बढ़ावा मिला है।
कुरैशी ने बताया, ‘‘रजनीतिक दल मतदाताओं को रंगीन टीवी, कपड़े धोने की मशीन, लैपटॉप आदि का लालच देते हैं।’’
उन्होंने कहा कि देश में गरीबी के स्तर को देखते हुए वैसे यह अच्छा ही है कि गरीब लोगों को कुछ तो मिलता है।
कुरैशी ने बताया, ‘‘हमारे यहां चुनाव में हिस्सा लेने वाले मतदाताओं की संख्या यूरोप के देशों तथा अमेरिका के 56 देशों के बराबर है।’’
-एजेंसी

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