मंगलवार, 23 जुलाई 2013

मिड-डे मील पर WHO ने दी थी चेतावनी

 नई दिल्ली। पिछले हफ्ते बिहार के सारन जिले में जिस कीटनाशक युक्त मिड डे मील खाने से 23 बच्चों की मौत हुई थी, उस कीटनाशक पर अधिकतकर देशों में प्रतिबंध लगा हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक इसमें बड़ी मात्रा में जहर होता है। डब्ल्यूएचओ ने वर्ष 2009 में ही मोनोक्रोटोफस नामक इस कीटनाशक पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। मामले की जांच कर रहे मजिस्ट्रेट ने भी कहा था कि भोजन में इसी पदार्थ के होने की वजह से बच्चों की मौत हुई थी।
संगठन ने यह चेतावनी भी दी थी की भारत में अंतर्राष्ट्रीय चेतावनियों के बावजूद इस्तेमाल होने के बाद कई कीटनाशक डिब्बों को नष्ट नहीं किया जाता, बल्कि इनका पुन: चक्रित (रिसाइकिल) कर पानी, खाने और अन्य पदार्थों में इस्तेमाल किया जाता है।

गौरतलब है कि सारन जिले में बच्चे खाना खाते ही बीमार हो गए थे। मिड डे मील में था चावल, दाल और सोयाबीन का आटा। मील स्कूल की किचन में ही बना था। बच्चों के उल्टी करने के कारण कर्मचारियों ने भोजन परोसना बंद कर दिया था।
कई देशों मे प्रतिबंध
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक महज पांच चावल के दानों जितना मोनोक्रोटोफस का सेवन इंसानों के लिए घातक हो सकता है। इसके शुरूआती लक्षण हैं- पसीना आना, उल्टी होना, ठीक से दिखाई नहीं देना और मुंह से झाग निकलना। मोनोक्रोटोफस का इस्तेमाल खेतों में पतंगों, झींग्गा, टिड्डी जैसे कीड़ों को रोकने के लिए किया जाता है।
मोनोक्रोटोफस को लेकर डब्ल्यूएचओ ने 2009 में जारी अपनी रिपोर्ट में कहा था अत्यधिक खतरनाक होने के कारण यह आस्ट्रेलिया, कंबोडिया, चीन, यूरोपीयन यूनीयन, इंडोनेशिया, लाओस, फिलिपींस, श्रीलंका, थाईलैंड, विएतनाम और अमरीका में प्रतिबंधित है जबकि 46 देशों में इसके आयात पर बैन लगा हुआ है। भारत में इसका इस्तेमाल धड़ल्ले से होता है और जाने-अनजाने में इसकी वजह से होने वाली दुर्घटनाओं की खबरें आती रहती हैं।
-एजेंसी

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