शनिवार, 4 जनवरी 2014

टू-व्‍हीलर्स पर रखकर ही करोड़ों के सेब बेच लिए वीरभद्र ने

नई दिल्‍ली। 
रिश्वत लेने के आरोपों से घिरे हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की परेशानियां और बढ़ने वाली हैं। उनके खिलाफ जांच में यह बात सामने आई है कि अपने बगान के करोड़ों रुपये के सेब की उन्होंने टू-वीलर्स और तेल टैंकर से ढुलाई करवा ली। यह ठीक वैसा ही हास्यास्पद मामला है, जिस तरह से बिहार में चारा घोटाले की जांच में यह बात सामने आई थी कि सांड़ों को स्कूटर से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया गया था।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने एक बार फिर वीरभद्र सिंह के उस दावे की जांच में तेजी ला दी है, जिसमें उन्होंने 3 सालों में बागवानी से होने वाली आय 6.56 करोड़ रुपये दिखाई थी। एक इंग्लिश न्यूज़ पेपर ने लिखा है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने वीरभद्र सिंह और इंश्योरेंस एजेंट आनंद चौहान को अलग-अलग नोटिस भेजे हैं। नोटिस में वीरभद्र सिंह की बागवानी से हुई आय के बारे में सवाल उठाए गए हैं।
कहा जाता है कि आनंद चौहान ही मुख्यमंत्री के श्रीखंड वाले बागानों की देखरेख करता था। जून 2008 में वीरभद्र और आनंद चौहान ने एक एमओयू साइन किया था। इस एमओयू के तहत चौहान को वीरभद्र के बागान की देखभाल करनी थी। यह भी तय किया गया था कि चौहान को बागान से होने वाली आमदनी वीरभद्र और उनके परिवार की तरफ से एलआईसी या म्यूचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करनी होगी।
चौहान ने क्लेम किया है कि उसने वीरभद्र सिंह के बागान के सेब यूनिवर्सल ऐपल असोसिएट के चुन्नीलाल को बेचे हैं। चुन्नीलाल नाम के शख्स ने टैक्स अथॉरिटीज़ को उन 18 गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन नंबर दिए हैं, जिनकी मदद से वीरभद्र के बागानों से सेब ढोए गए थे। जब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इन नंबरों की जांच की तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। मालूम हुआ कि इनमें से दो नंबर- HP 06 0768 और HP 06 1123 तो स्कूटर के हैं। एक अन्य नंबर HP 63 4975 तेल टैंकर का है। एक नंबर तो ऐसा है जो किसी को अलॉट ही नहीं हुआ। इनमें से कुछ नंबर ऐसे 'ट्रिपर' वीकल्स के हैं, जो यूज नहीं किए गए।
ऐसे में एक ऑफिशल ने आरोप लगाया, 'इन नंबरों को देखकर साफ लगता है कि चुन्नीलाल को कोई सेब नहीं बेचे गए। इसका मतलब है कि वीरभद्र सिंह ने बागवानी से जो आमदनी दिखाई है, वह झूठी है।'
इसी हफ्ते की शुरुआत में राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर वीरभद्र सिंह पर रिश्वत लेने और केंद्रीय इस्पात मंत्री रहते हुए एक स्टील कंपनी से पैसे लेने का आरोप लगाया था। 2 मार्च, 2012 को वीरभद्र सिंह ने 3 फाइनैंशल इयर्स के लिए इनकम टैक्स रिटर्न्स फाइल किए थे। उन्होंने बताया था कि बगवानी के जरिए उन्हें 2009-10 में 2.12 करोड़, 2010-11 में 2.80 करोड़ और 2011-12 में 1.55 करोड़ की आमदनी हुई है। उन्होंने क्लेम किया था कि 105 बीघा में फैले सेब के बागान से उन्हें आमदनी हुई है इसलिए वह इनकम टैक्स रिटर्न्स में रिविज़न करना चाहते हैं।
अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने साल 2010-11 में हुई वीरभद्र सिंह की आमदनी का आंकलन करने का काम दोबारा शुरू कर दिया है। हालांकि वीरभद्र सिंह के करीबियों का कहना है कि उनकी जानकारी में ऐसी कोई बात नहीं आई है।
-एजेंसी

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