बुधवार, 23 मार्च 2016

Agra के अपने होटल में ही छिपा है जयकृष्‍ण राणा!

-राणा का जहाज डूबता देख उसके गुर्गे ही करने लगे हैं ब्‍लैकमेल
-राणा की बेनामी संपत्‍तियों पर टिकी हैं राणा के गुर्गों की निगाहें
-पुलिस को है मामला ठंडा पड़ने का इंतजार
मथुरा। अपने एक कर्मचारी को आत्‍महत्‍या के लिए बाध्‍य करने का आरोपी और कल्‍पतरू ग्रुप ऑफ कंपनीज का चेयरमैन जयकृष्‍ण राणा फिलहाल Agra स्‍थित अपने ही एक होटल में छिपा हुआ है। इस आशय की जानकारी कल्‍पतरू ग्रुप के ही भरोसेमंद सूत्रों से प्राप्‍त हुई है।
सूत्रों के मुताबिक कल्‍पतरू ग्रुप ने कुछ समय पहले आगरा के संजय प्‍लेस में किसी जूता व्‍यवसाई से ”नोवा” नामक यह होटल खरीदा था।
बताया जाता है कि इस होटल को कल्‍पतरू ग्रुप के चेयरमैन जयकृष्‍ण राणा ने शुरू से ही व्‍यावसायिक तौर पर इस्‍तमेाल न करके अपनी अय्याशी के लिए ही इस्‍तेमाल किया है।
चूंकि जयकृष्‍ण राणा को काफी पहले से ही अपने जहाज के डूबने का अंदेशा हो चुका था इसलिए वह अपने गुर्गों के साथ इसी होटल में अधिकांशत: रहने लगा और यहीं अपने खास सिपहसालारों से मुलाकात करता था।
बताया जाता है कि इस होटल में राणा से मुलाकात करने के लिए पहले आगरा के ही निवासी किसी ”शर्मा” से मिलना होता है जो है तो राणा का ही कर्मचारी, किंतु इन दिनों वहीं राणा का संरक्षक बना हुआ है।
यह भी पता लगा है कि राणा का जहाज डूबता देख उसके तमाम गुर्गे उसका साथ छोड़ चुके हैं और बहुतों ने राणा को ब्‍लैकमेल करना शुरू कर दिया है। इनमें से प्रमुख नाम जैन बंधुओं का है।
बताया जाता है कि कुछ समय पहले तक छोटे-छोटे काम करके बमुश्‍किल जीवन यापन करने वाले जैन बंधुओं का राणा के संपर्क में आते ही पूरा जीवन बदल गया। राणा की जीहुजूरी करने वाले इन भाइयों ने कल्‍पतरू ग्रुप को जमकर चूना लगाया और आज वह भी करोड़ों की संपत्‍ति के मालिक हैं।
यह भी पता लगा है कि अब वो राणा को ब्‍लैकमेल कर रहे हैं क्‍योंकि राणा का कच्‍चा चिठ्ठा इनके हाथ लग चुका है।
राणा को ब्‍लैकमेल करने वालों में इसी प्रकार एक कोई CA, फरह इलाके का ही कोई एक व्‍यक्‍ति, बिहार का निवासी एक कर्मचारी जो अपने नाम के आगे ”सिंह” लगाता है तथा सेना से अवकाश प्राप्‍त कोई एक व्‍यक्‍ति है।
कल तक कल्‍पतरू ग्रुप के कॉकस में शामिल ये लोग जयकृष्‍ण राणा के खास सिपहसालार हुआ करते थे लेकिन अब यही जयकृष्‍ण राणा को ब्‍लैकमेल कर उससे और संपत्‍ति हड़पना चाहते हैं।
यह भी पता लगा है कि जयकृष्‍ण राणा की आगरा, मथुरा तथा वृंदावन आदि में अनेक बेनामी संपत्‍तियां हैं। अब इन संपत्‍तियों पर भी इसके गुर्गों की नजर टिक गई है। वह उन्‍हें हड़पना चाहते हैं। ऐसी ही एक संपत्‍ति आगरा के सुल्‍तान गंज की पुलिया वाले इलाके में बताई जाती है। करोड़ों रुपए कीमत वाली यह संपत्‍ति नेशनल हाईवे नंबर दो से सटी है और इसके एक हिस्‍से में कल्‍पतरू मॉल बना हुआ है जो अब बंद हो चुका है।
ग्रुप के सूत्र बताते हैं कि कर्मचारियों का वेतन और निवेशकों का पैसा हड़प जाने वाला जयकृष्‍ण राणा अपने उन गुर्गों तथा चापलूसों पर पानी की तरह पैसा बहाता था जो उसकी चरणवंदना करने में माहिर थे।
आश्‍चर्य की बात यह है कि जयकृष्‍ण राणा के खिलाफ बमुश्‍किल बेनामी एफआईआर दर्ज करने वाली पुलिस अब तक उसे तलाशने में सफल नहीं हो पाई है जबकि उसके नजदीकी सूत्र आगरा के ”होटल नोवा” या वहीं कहीं आसपास उसकी मौजूदगी की पुष्‍टि कर रहे हैं।
इन लोगों की मानें तो राणा वहां से न केवल पुलिस की हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए है बल्‍कि अपने गुर्गों पर भी नजर रखे हुए है जिससे हालात के मद्देनजर अगला कदम उठा सके।
यह बात अलग है कि मथुरा पुलिस राणा का न तो पिछले 4 दिनों में कोई सुराग लगा पाई है और न उसकी जांच किसी नतीजे पर पहुंची है।
संभवत: राणा की तरह मथुरा पुलिस भी मामले के ठंडा पड़ जाने अथवा मृतक के परिजनों के हताश होकर बैठ जाने का इंतजार कर रही है।
यह भी हो सकता है कि कोई काबिल पुलिस अफसर मृतक के परिजनों से राणा की कोई डील कराने में लगा हो ताकि सांप मर जाए और लाठी भी न टूटे।
-लीजेंड न्‍यूज़

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