भाजपा सांसद और प्रसिद्ध सिने अभिनेत्री हेमा मालिनी द्वारा अपने संसदीय क्षेत्र मथुरा में विश्व विख्यात तीर्थ स्थल विश्राम घाट के सामने किया जाने वाला ”होली रसोत्सव” कार्यक्रम रद्द होने का ठीकरा भले ही माथुर चतुर्वेद परिषद के सिर फोड़ने की कोशिश की जा रही हो किंतु हकीकत यह है कि इस कार्यक्रम के नाम पर बड़ा ”खेल” खेलने की जानकारी सार्वजनिक होने के कारण इसे रद्द किया गया है।
करोड़ों रुपए की उगाही
विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मथुरा में सांसद हेमा मालिनी द्वारा किये जाने वाले इस दो दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए करीब 10 करोड़ रुपए की उगाही की गई थी।
यह उगाही उन सौ लोगों से की गई जिन लोगों को यमुना की महाआरती में शामिल होने का अवसर दिया जा रहा था। ऐसे प्रत्येक व्यक्ति से 10 लाख रुपए लिए गए थे।
यमुना की महाआरती में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भी शामिल होने की सूचना थी।
होली रसोत्सव के नाम से किया जाने वाला यह सांस्कृतिक महोत्सव 23 और 24 फरवरी को किया जाना था।
चूंकि 24 फरवरी को मथुरा के बरसाना में विश्व प्रसिद्ध लठामार होली के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं लिहाजा यह तय था कि योगी आदित्यनाथ इस कार्यक्रम में हिस्सा जरूर लेंगे।
इस दो दिवसीय होली रसोत्सव के आयोजन की तारीख 23 तथा 24 फरवरी भी इसीलिए बहुत सोच-समझ कर रखी गई थी ताकि इसमें शामिल होने के लिए योगी आदित्यनाथ आसानी से उपलब्ध हो जाएं और उनकी सहभागिता का भरपूर लाभ उठाया जा सके।
बताया जाता है कि इस पूरे कार्यक्रम का सूत्रधार मुंबई निवासी एक उद्योगपति है और इस उद्योगपति से हेमा मालिनी के काफी पुराने संबंध हैं।
सांसद का पक्ष नहीं आता सामने
हालांकि आयोजन के नाम से की गई करीब 10 करोड़ रुपए की उगाही के बावत सांसद हेमा मालिनी को कोई जानकारी है या नहीं, इसकी पुष्टि इसलिए नहीं हो सकी क्योंकि वह कभी अपना पक्ष रखने को उपलब्ध नहीं होतीं।
जो कुछ कहना व बताना होता है, वह उनके स्थानीय निजी सचिव जनार्दन शर्मा के हवाले से ही सामने आता है, और जनार्दन शर्मा करोड़ों रुपए की उगाही संबंधी जानकारी देने में न तो सक्षम हैं तथा न ही अधिकृत। यह बात अलग है कि स्थानीय मीडिया उन्हें सांसद प्रतिनिधि लिखता आया है।
सांसद के पक्ष ने इस कार्यक्रम पर होने जा रहा करीब साढ़े चार करोड़ रुपए का संभावित खर्च हेमा मालिनी द्वारा ही अपने स्त्रोतों से किए जाने की जानकारी तो दी किंतु यह नहीं बताया कि हेमा मालिनी के वो स्त्रोत कौन से हैं।
यहां सवाल यह भी उठता है कि बतौर सांसद लगभग चार साल के अपने कार्यकाल में हेमा मालिनी ने आजतक ऐसा कोई काम मथुरा के लिए नहीं किया जिसे रेखांकित किया जा सके।
सांस्कृति कार्यक्रम के लिए करोड़ों रुपए एकत्र करने वाली सांसद ने कभी मथुरा में किसी विकास कार्य के लिए अपने स्तर से धन एकत्र करने का प्रयास किया हो, ऐसी जानकारी भी नहीं मिलती।
यह भी पता लगा है कि होली रसोत्सव के लिए यमुना पार भव्य पण्डाल खड़ा करने से लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रम की सभी तैयारियां करने जा रहे बॉलीवुड के प्रसिद्ध आर्ट डायरेक्टर एवं प्रोडक्शन डिजाइनर नितिन चंद्रकांत देसाई तक भी आयोजकों द्वारा किए जा रहे इस खेल की सूचना पहुंच गई थी इसलिए उन्होंने इससे अपना हाथ खींच लिया।
यह वही नितिन देसाई हैं जिन्होंने दिल्ली में आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री-श्री रविशंकर द्वारा यमुना किनारे कराए गए वर्ल्ड कल्चरल फेस्टीवल के लिए भी अपनी सेवाएं दीं थीं।
कार्यक्रम का आधा खर्च उठा रहा था यूपी का पर्यटन मंत्रालय
होली रसोत्सव पर आने वाले कुल खर्च का आधा पैसा उत्तर प्रदेश के पर्यटन मंत्रालय द्वारा दिया जाना था। यह जानकारी इलाहाबाद हाईकोर्ट और एनजीटी में यमुना प्रदूषण के मुद्दे को ले जाने वाले हिंदूवादी नेता गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने दी।
उन्होंने बताया कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार का चूंकि मथुरा पर काफी ध्यान केन्द्रित है और वह इस तीर्थ स्थल को उसकी गरिमा के अनुरूप विश्व पटल पर स्थापित करना चाहते हैं इसलिए उन्होंने हेमा मालिनी के कार्यक्रम में शिरकत करने की हामी भरने के साथ-साथ पर्यटन मंत्रालय से आधा खर्च वहन कराने की अनुमति भी सहर्ष दे दी लेकिन प्रचारित यह किया गया कि कार्यक्रम का पूरा खर्च हेमा मालिनी अपने स्तर से उठाएंगी।
आरती पर नहीं रहा कोई विवाद
गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने यह भी बताया कि यमुना की आरती विश्राम घाट पर न करके यमुना पार से किए जाने की नई परंपरा स्थापित करने को लेकर शुरू में विवाद उत्पन्न हुआ था लेकिन बाद में आरती का कार्यक्रम यमुना किनारे पर ही रखने की सहमति हो जाने के बाद यह विवाद खत्म हो गया।
माथुर चतुर्वेद परिषद इसलिए गया एनजीटी में
उन्होंने बताया कि जहां तक सवाल माथुर चतुर्वेद परिषद द्वारा इस मामले को नेशनल ग्रीन ट्रेब्यूनल (एनजीटी) में ले जाने की बात है तो परिषद ने ऐसा खुद को ”सेफ साइड” रखने के लिए किया। एनजीटी में इस पर सुनवाई के लिए 15 फरवरी की तारीख मुकर्रर की गई।
गौरतलब है कि दिल्ली में यमुना किनारे आध्यात्मिक गुरू श्री-श्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा कराया गया वर्ल्ड कल्चरल फेस्टीवल तब भारी विवादों में आ गया था जब एनजीटी ने उसके आयोजकों पर 5 करोड़ रुपए का हर्जाना ठोक दिया।
एनजीटी के अनुसार इस कार्यक्रम से यमुना किनारे के प्राकृतिक वातावरण को काफी नुकसान हुआ और यमुना के प्रदूषण में भी वृद्धि हुई।
रविशंकर की संस्था द्वारा पेश सभी दलीलों को एनजीटी ने ठुकराते हुए भारी नाराजगी जाहिर की जबकि इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी सहित तमाम केंद्रीय मंत्री भी शामिल हुए थे।
गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि उनके द्वारा स्वयं हेमा मालिनी से बात किए जाने और ऊर्जा मंत्री व स्थानीय विधायक श्रीकांत शर्मा द्वारा समझाने के बाद विश्राम घाट के सामने आरती किए जाने का मुद्दा भले ही हल हो गया किंतु यमुना किनारे कार्यक्रम करने के संबंध में एनजीटी द्वारा तय दिशा-निर्देशों का उल्लंघन होने की पूरी आशंका थी।
दरअसल, इन आदेश-निर्देशों के अनुसार यमुना किनारे कोई भी आयोजन यमुना की धारा से 500 मीटर की दूरी पर ही किया जा सकता है लेकिन हेमा मालिनी द्वारा कराए जाने वाले कार्यक्रम की तैयारियां यह बता रहीं थीं कि इसमें एनजीटी के आदेश-निर्देशों को ताक पर रखा जाना तय है।
पर्यटन सचिव ने किया था स्थलीय निरीक्षण
गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने बताया कि ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के माध्यम से पर्यटन सचिव अवनीश अवस्थी तक यह आशंका पहुंचाई गई, जिसके बाद अवनीश अवस्थी स्वयं यहां आए और उन्होंने स्थलीय निरीक्षण भी किया।
अवनीश अवस्थी से माथुर चतुर्वेद परिषद के प्रतिनिधियों सहित उस परिवार ने भी मुलाकात की जो अब तक परंपरागत रूप से विश्राम घाट पर यमुना आरती करता रहा है।
बताया जाता है कि पर्यटन सचिव अवनीश अवस्थी ने हेमा मालिनी द्वारा किए जाने वाले कार्यक्रम के बाद उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी अवगत करा दिया।
इस कार्यक्रम में प्रस्तुति देने के लिए पंडित जसराज, हरिप्रसाद चौरसिया, कैलाश खेर व शोभना सेठ सहित पर्यटन सचिव अवनीश अवस्थी की पत्नी व प्रसिद्ध लोक कलाकार मालिनी अवस्थी जैसे सिद्धहस्त कलाकार अपनी स्वीकृति दे चुके थे।
यही कारण है कि हेमा मालिनी की ओर से कार्यक्रम रद्द किए जाने का ठीकरा माथुर चतुर्वेद परिषद के सिर फोड़े जाने की कोशिश तो की जा रही है परंतु यह बताने को कोई तैयार नहीं कि सांसाद हेमा मालिनी ने किन स्त्रोतों से इसके लिए करोड़ों रुपए एकत्र किए।
मथुरा से ही ताल्लुक रखने वाले उस उद्योगपति की इसमें क्या भूमिका है जिसके न सिर्फ हेमा मालिनी से पुराने संबंध हैं बल्कि मुंबई स्थित उनका निवास भी उसी क्षेत्र में हैं जिस क्षेत्र में हेमा मालिनी का है।
यदि हेमा मालिनी मथुरा के विकास तथा यहां पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए ही सारा आयोजन कर रहीं थीं तो उन्होंने इससे जुड़े लोगों को भरोसे में क्यों नहीं लिया। क्यों नहीं जानना चाहा कि यमुना किनारे कार्यक्रम करने के कोई दिशा-निर्देश एनजीटी ने जारी किए हुए हैं और क्यों यह तक जानने का प्रयास नहीं किया कि यमुना आरती का कार्यक्रम वह अपनी इच्छा से परंपरा को समझे बिना निर्धारित नहीं कर सकतीं।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
करोड़ों रुपए की उगाही
विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मथुरा में सांसद हेमा मालिनी द्वारा किये जाने वाले इस दो दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए करीब 10 करोड़ रुपए की उगाही की गई थी।
यह उगाही उन सौ लोगों से की गई जिन लोगों को यमुना की महाआरती में शामिल होने का अवसर दिया जा रहा था। ऐसे प्रत्येक व्यक्ति से 10 लाख रुपए लिए गए थे।
यमुना की महाआरती में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भी शामिल होने की सूचना थी।
होली रसोत्सव के नाम से किया जाने वाला यह सांस्कृतिक महोत्सव 23 और 24 फरवरी को किया जाना था।
चूंकि 24 फरवरी को मथुरा के बरसाना में विश्व प्रसिद्ध लठामार होली के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं लिहाजा यह तय था कि योगी आदित्यनाथ इस कार्यक्रम में हिस्सा जरूर लेंगे।
इस दो दिवसीय होली रसोत्सव के आयोजन की तारीख 23 तथा 24 फरवरी भी इसीलिए बहुत सोच-समझ कर रखी गई थी ताकि इसमें शामिल होने के लिए योगी आदित्यनाथ आसानी से उपलब्ध हो जाएं और उनकी सहभागिता का भरपूर लाभ उठाया जा सके।
बताया जाता है कि इस पूरे कार्यक्रम का सूत्रधार मुंबई निवासी एक उद्योगपति है और इस उद्योगपति से हेमा मालिनी के काफी पुराने संबंध हैं।
सांसद का पक्ष नहीं आता सामने
हालांकि आयोजन के नाम से की गई करीब 10 करोड़ रुपए की उगाही के बावत सांसद हेमा मालिनी को कोई जानकारी है या नहीं, इसकी पुष्टि इसलिए नहीं हो सकी क्योंकि वह कभी अपना पक्ष रखने को उपलब्ध नहीं होतीं।
जो कुछ कहना व बताना होता है, वह उनके स्थानीय निजी सचिव जनार्दन शर्मा के हवाले से ही सामने आता है, और जनार्दन शर्मा करोड़ों रुपए की उगाही संबंधी जानकारी देने में न तो सक्षम हैं तथा न ही अधिकृत। यह बात अलग है कि स्थानीय मीडिया उन्हें सांसद प्रतिनिधि लिखता आया है।
सांसद के पक्ष ने इस कार्यक्रम पर होने जा रहा करीब साढ़े चार करोड़ रुपए का संभावित खर्च हेमा मालिनी द्वारा ही अपने स्त्रोतों से किए जाने की जानकारी तो दी किंतु यह नहीं बताया कि हेमा मालिनी के वो स्त्रोत कौन से हैं।
यहां सवाल यह भी उठता है कि बतौर सांसद लगभग चार साल के अपने कार्यकाल में हेमा मालिनी ने आजतक ऐसा कोई काम मथुरा के लिए नहीं किया जिसे रेखांकित किया जा सके।
सांस्कृति कार्यक्रम के लिए करोड़ों रुपए एकत्र करने वाली सांसद ने कभी मथुरा में किसी विकास कार्य के लिए अपने स्तर से धन एकत्र करने का प्रयास किया हो, ऐसी जानकारी भी नहीं मिलती।
यह भी पता लगा है कि होली रसोत्सव के लिए यमुना पार भव्य पण्डाल खड़ा करने से लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रम की सभी तैयारियां करने जा रहे बॉलीवुड के प्रसिद्ध आर्ट डायरेक्टर एवं प्रोडक्शन डिजाइनर नितिन चंद्रकांत देसाई तक भी आयोजकों द्वारा किए जा रहे इस खेल की सूचना पहुंच गई थी इसलिए उन्होंने इससे अपना हाथ खींच लिया।
यह वही नितिन देसाई हैं जिन्होंने दिल्ली में आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री-श्री रविशंकर द्वारा यमुना किनारे कराए गए वर्ल्ड कल्चरल फेस्टीवल के लिए भी अपनी सेवाएं दीं थीं।
कार्यक्रम का आधा खर्च उठा रहा था यूपी का पर्यटन मंत्रालय
होली रसोत्सव पर आने वाले कुल खर्च का आधा पैसा उत्तर प्रदेश के पर्यटन मंत्रालय द्वारा दिया जाना था। यह जानकारी इलाहाबाद हाईकोर्ट और एनजीटी में यमुना प्रदूषण के मुद्दे को ले जाने वाले हिंदूवादी नेता गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने दी।
उन्होंने बताया कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार का चूंकि मथुरा पर काफी ध्यान केन्द्रित है और वह इस तीर्थ स्थल को उसकी गरिमा के अनुरूप विश्व पटल पर स्थापित करना चाहते हैं इसलिए उन्होंने हेमा मालिनी के कार्यक्रम में शिरकत करने की हामी भरने के साथ-साथ पर्यटन मंत्रालय से आधा खर्च वहन कराने की अनुमति भी सहर्ष दे दी लेकिन प्रचारित यह किया गया कि कार्यक्रम का पूरा खर्च हेमा मालिनी अपने स्तर से उठाएंगी।
आरती पर नहीं रहा कोई विवाद
गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने यह भी बताया कि यमुना की आरती विश्राम घाट पर न करके यमुना पार से किए जाने की नई परंपरा स्थापित करने को लेकर शुरू में विवाद उत्पन्न हुआ था लेकिन बाद में आरती का कार्यक्रम यमुना किनारे पर ही रखने की सहमति हो जाने के बाद यह विवाद खत्म हो गया।
माथुर चतुर्वेद परिषद इसलिए गया एनजीटी में
उन्होंने बताया कि जहां तक सवाल माथुर चतुर्वेद परिषद द्वारा इस मामले को नेशनल ग्रीन ट्रेब्यूनल (एनजीटी) में ले जाने की बात है तो परिषद ने ऐसा खुद को ”सेफ साइड” रखने के लिए किया। एनजीटी में इस पर सुनवाई के लिए 15 फरवरी की तारीख मुकर्रर की गई।
गौरतलब है कि दिल्ली में यमुना किनारे आध्यात्मिक गुरू श्री-श्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा कराया गया वर्ल्ड कल्चरल फेस्टीवल तब भारी विवादों में आ गया था जब एनजीटी ने उसके आयोजकों पर 5 करोड़ रुपए का हर्जाना ठोक दिया।
एनजीटी के अनुसार इस कार्यक्रम से यमुना किनारे के प्राकृतिक वातावरण को काफी नुकसान हुआ और यमुना के प्रदूषण में भी वृद्धि हुई।
रविशंकर की संस्था द्वारा पेश सभी दलीलों को एनजीटी ने ठुकराते हुए भारी नाराजगी जाहिर की जबकि इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी सहित तमाम केंद्रीय मंत्री भी शामिल हुए थे।
गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि उनके द्वारा स्वयं हेमा मालिनी से बात किए जाने और ऊर्जा मंत्री व स्थानीय विधायक श्रीकांत शर्मा द्वारा समझाने के बाद विश्राम घाट के सामने आरती किए जाने का मुद्दा भले ही हल हो गया किंतु यमुना किनारे कार्यक्रम करने के संबंध में एनजीटी द्वारा तय दिशा-निर्देशों का उल्लंघन होने की पूरी आशंका थी।
दरअसल, इन आदेश-निर्देशों के अनुसार यमुना किनारे कोई भी आयोजन यमुना की धारा से 500 मीटर की दूरी पर ही किया जा सकता है लेकिन हेमा मालिनी द्वारा कराए जाने वाले कार्यक्रम की तैयारियां यह बता रहीं थीं कि इसमें एनजीटी के आदेश-निर्देशों को ताक पर रखा जाना तय है।
पर्यटन सचिव ने किया था स्थलीय निरीक्षण
गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने बताया कि ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के माध्यम से पर्यटन सचिव अवनीश अवस्थी तक यह आशंका पहुंचाई गई, जिसके बाद अवनीश अवस्थी स्वयं यहां आए और उन्होंने स्थलीय निरीक्षण भी किया।
अवनीश अवस्थी से माथुर चतुर्वेद परिषद के प्रतिनिधियों सहित उस परिवार ने भी मुलाकात की जो अब तक परंपरागत रूप से विश्राम घाट पर यमुना आरती करता रहा है।
बताया जाता है कि पर्यटन सचिव अवनीश अवस्थी ने हेमा मालिनी द्वारा किए जाने वाले कार्यक्रम के बाद उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी अवगत करा दिया।
इस कार्यक्रम में प्रस्तुति देने के लिए पंडित जसराज, हरिप्रसाद चौरसिया, कैलाश खेर व शोभना सेठ सहित पर्यटन सचिव अवनीश अवस्थी की पत्नी व प्रसिद्ध लोक कलाकार मालिनी अवस्थी जैसे सिद्धहस्त कलाकार अपनी स्वीकृति दे चुके थे।
यही कारण है कि हेमा मालिनी की ओर से कार्यक्रम रद्द किए जाने का ठीकरा माथुर चतुर्वेद परिषद के सिर फोड़े जाने की कोशिश तो की जा रही है परंतु यह बताने को कोई तैयार नहीं कि सांसाद हेमा मालिनी ने किन स्त्रोतों से इसके लिए करोड़ों रुपए एकत्र किए।
मथुरा से ही ताल्लुक रखने वाले उस उद्योगपति की इसमें क्या भूमिका है जिसके न सिर्फ हेमा मालिनी से पुराने संबंध हैं बल्कि मुंबई स्थित उनका निवास भी उसी क्षेत्र में हैं जिस क्षेत्र में हेमा मालिनी का है।
यदि हेमा मालिनी मथुरा के विकास तथा यहां पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए ही सारा आयोजन कर रहीं थीं तो उन्होंने इससे जुड़े लोगों को भरोसे में क्यों नहीं लिया। क्यों नहीं जानना चाहा कि यमुना किनारे कार्यक्रम करने के कोई दिशा-निर्देश एनजीटी ने जारी किए हुए हैं और क्यों यह तक जानने का प्रयास नहीं किया कि यमुना आरती का कार्यक्रम वह अपनी इच्छा से परंपरा को समझे बिना निर्धारित नहीं कर सकतीं।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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