मथुरा की माननीय सांसद और प्रसिद्ध सिने अभिनेत्री हेमा मालिनी द्वारा स्थानीय वेटरिनरी यूनीवर्सिटी के प्रांगण में कराया जाने वाला दो दिवसीय ‘होली रसोत्सव’ कार्यक्रम खासा विवादित हो चुका है जबकि कार्यक्रम का आयोजन 23 और 24 फरवरी को होना है।
हेमा मालिनी द्वारा कराए जा रहे इस कार्यक्रम का सर्वप्रथम तो विरोध इसलिए हुआ क्योंकि वह सैकड़ों साल की परंपरा के विपरीत दूसरे स्थान से यमुना आरती कराना चाहती थीं।
जैसे-तैसे यमुना आरती विश्राम घाट पर ही कराने को लेकर सहमति बनी तो माथुर चतुर्वेद परिषद्, सांस्कृतिक कार्यक्रमों की वजह से होने वाले संभावित यमुना प्रदूषण का मुद्दा लेकर एनजीटी जा पहुंची। एनजीटी ने 15 फरवरी को इस मामले की सुनवाई करते हुए कार्यक्रम पर रोक लगा दी।
विश्राम घाट के किनारे यमुना पार कार्यक्रम किए जाने का विरोध बढ़ता देख पहले तो हेमा मालिनी ने कार्यक्रम को ही निरस्त करने की घोषणा कर दी किंतु बाद में स्थान बदलने की सूचना दी गई।
अब यह कार्यक्रम स्थानीय वेटरिनरी यूनिवर्सिटी के उस गार्डन में किया जाना है जिसमें गत दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा का अनावरण करके गए हैं।
हेमा मालिनी सहित ‘होली रसोत्सव’ के आयोजक मंडल में शामिल लोगों ने कार्यक्रम स्थल भले ही बदल दिया लेकिन कार्यक्रम पर उठ रहे सवाल अब भी पीछा नहीं छोड़ रहे।
सबसे पहला सवाल तो माथुर चतुर्वेद परिषद् ने ही बाकायदा अपनी प्रेस कांफ्रेंस में यह कहकर खड़ा कर दिया कि ‘ टिकट बेच दिए हैं इसलिए सिनेमा तो दिखाना ही होगा’।
माथुर चतुर्वेद परिषद् के इस सवाल का जवाब आयोजकों में से किसी ने अब तक नहीं दिया।
दूसरा सवाल कल तब खड़ा हुआ जब बीते कल यानि 19 फरवरी को उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग ने ब्रज की प्रमुख होलियों के कार्यक्रम का बड़ा सा विज्ञापन प्रकाशित कराया।
इस विज्ञापन में 19 फरवरी से लेकर 04 मार्च तक ब्रज में होने वाले सभी परंपरागत होली कार्यक्रमों का विवरण तो दिया गया है किंतु हेमा मालिनी के ‘होली रसोत्सव’ का कोई उल्लेख नहीं है जबकि होली रसोत्सव के आयोजकों में प्रदेश के पर्यटन विभाग का नाम शामिल है।
लोग यह जानना चाहते हैं कि यदि पर्यटन विभाग आयोजक है तो उसके अपने विज्ञापन में हेमा जी के होली कार्यक्रम को जगह क्यों नहीं दी गई।
आयोजकों ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में भी बताया था कि पर्यटन विभाग और उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद् के सहयोग से आयोजित हो रहे कार्यक्रम की थीम होली होगी।
तीसरा सवाल इस कार्यक्रम को लेकर आयोजकों की ओर से प्रकाशित कराए जा रहे विज्ञापन के बाद खड़ा हुआ है।
दरअसल, आयोजकों द्वारा प्रकाशित कराए गए विज्ञापनों में उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग की ओर से प्रमुख सचिव पर्यटन अवनीश अवस्थी का नाम छपा है और उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद् की ओर से परिषद् के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र का नाम लिखा है।
बतौर सांसद और नृत्यांगना के रूप में हेमा मालिनी का नाम भी इसमें शामिल है किंतु उस ‘ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट’ के किसी पदाधिकारी का उल्लेख नहीं है जो कार्यक्रम का सह आयोजक बताया गया है।
‘ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट’ के साथ-साथ लोग यह भी जानना चाहते हैं कि ‘होली रसोत्सव’ के संबंध में 15 फरवरी को प्रेस कांफ्रेंस करने वाले अनूप शर्मा का क्या ‘ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट’ से भी कोई ताल्लुक है।
वैसे अनूप शर्मा को कार्यक्रम का समन्वयक बताया गया है किंतु यह नहीं बताया गया कि उन्हें समन्वयक किसने बनाया। मतलब पर्यटन विभाग ने, उत्तर प्रदेश विकास परिषद् ने, ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट ने, या फिर हेमा मालिनी ने।
इसके अलावा इस बात की भी खासी चर्चा है कि ‘ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट’ में कौन-कौन शामिल हैं और उनकी होली रसोत्सव कार्यक्रम कराने में इतनी रुचि क्यों है।
प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद रहे कुछ अन्य नामों को लेकर भी उत्सुकता है। ये नाम हैं विपिन मुकुटवाला, मितुल पाठक, अनिल मालवीय, पुरूषोत्तम सिंह, संजीव गर्ग व भीमराज शर्मा आदि।
यहां भी सबसे बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि सांसद हेमा मालिनी की ओर से उनके निजी सचिव जनार्दन शर्मा थे किंतु इतने बड़े कार्यक्रम के आयोजकों जैसे पर्यटन विभाग, ब्रज तीर्थ विकास परिषद् और ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट का कोई प्रतिनिधि क्यों प्रेस कांफ्रेंस का हिस्सा नहीं बना।
क्या ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट कोई ऐसी ‘छद्म संस्था’ है जिसके पदाधिकारियों का नाम सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
यदि नहीं, तो आयोजकों को यह भी बताना चाहिए कि हेमा मालिनी क्या स्थानीय सांसद होने के कारण ही इस कार्यक्रम को कराने में सबसे आगे खड़ी हैं अथवा ‘ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट’ से उनका भी कोई नाता है।
यह सारे सवाल इसलिए खड़े हुए हैं क्योंकि हेमा मालिनी के कार्यकाल को अगले कुछ दिनों में चार साल पूरे होने वाले हैं। उन्होंने ‘होली रसोत्सव’ से पहले भी यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम किए हैं, किंतु ब्रज अपने विकास को आज भी तरस रहा है।
हेमा मालिनी के पिछले कार्यक्रमों से यदि ब्रज का कोई विकास नहीं हुआ तो चार साल पूरे होने के आसपास किए जा रहे होली रसोत्सव से ब्रज का विकास कैसे होने लगेगा।
लोगों को संदेह है कि बार-बार सारा ध्यान सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर ही केंद्रित किए जाने का मकसद कुछ खास लोगों का विकास करना तो नहीं है।
होली रसोत्सव में कहीं ऐसे तत्वों का विकास तो निहित नहीं है जो किसी न किसी आड़ में मलाई मारने के लिए कुख्यात हैं और जिन्होंने ब्रज के विकास में कभी कोई भूमिका बेशक न निभाई हो परंतु विनाश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
सवाल उठ रहे हैं तो जवाब भी देने ही होंगे, अन्यथा समय पर ये सवाल अपने जवाब खुद तलाश लेंगे। ‘ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट’ के बारे में भी और उनके पदाधिकारियों के बारे में भी। होली रसोत्सव के बारे में भी और उसे कराने के पीछे छिपे मकसद के बारे में भी क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनावों को बहुत समय शेष नहीं है।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
हेमा मालिनी द्वारा कराए जा रहे इस कार्यक्रम का सर्वप्रथम तो विरोध इसलिए हुआ क्योंकि वह सैकड़ों साल की परंपरा के विपरीत दूसरे स्थान से यमुना आरती कराना चाहती थीं।
जैसे-तैसे यमुना आरती विश्राम घाट पर ही कराने को लेकर सहमति बनी तो माथुर चतुर्वेद परिषद्, सांस्कृतिक कार्यक्रमों की वजह से होने वाले संभावित यमुना प्रदूषण का मुद्दा लेकर एनजीटी जा पहुंची। एनजीटी ने 15 फरवरी को इस मामले की सुनवाई करते हुए कार्यक्रम पर रोक लगा दी।
विश्राम घाट के किनारे यमुना पार कार्यक्रम किए जाने का विरोध बढ़ता देख पहले तो हेमा मालिनी ने कार्यक्रम को ही निरस्त करने की घोषणा कर दी किंतु बाद में स्थान बदलने की सूचना दी गई।
अब यह कार्यक्रम स्थानीय वेटरिनरी यूनिवर्सिटी के उस गार्डन में किया जाना है जिसमें गत दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा का अनावरण करके गए हैं।
हेमा मालिनी सहित ‘होली रसोत्सव’ के आयोजक मंडल में शामिल लोगों ने कार्यक्रम स्थल भले ही बदल दिया लेकिन कार्यक्रम पर उठ रहे सवाल अब भी पीछा नहीं छोड़ रहे।
सबसे पहला सवाल तो माथुर चतुर्वेद परिषद् ने ही बाकायदा अपनी प्रेस कांफ्रेंस में यह कहकर खड़ा कर दिया कि ‘ टिकट बेच दिए हैं इसलिए सिनेमा तो दिखाना ही होगा’।
माथुर चतुर्वेद परिषद् के इस सवाल का जवाब आयोजकों में से किसी ने अब तक नहीं दिया।
दूसरा सवाल कल तब खड़ा हुआ जब बीते कल यानि 19 फरवरी को उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग ने ब्रज की प्रमुख होलियों के कार्यक्रम का बड़ा सा विज्ञापन प्रकाशित कराया।
इस विज्ञापन में 19 फरवरी से लेकर 04 मार्च तक ब्रज में होने वाले सभी परंपरागत होली कार्यक्रमों का विवरण तो दिया गया है किंतु हेमा मालिनी के ‘होली रसोत्सव’ का कोई उल्लेख नहीं है जबकि होली रसोत्सव के आयोजकों में प्रदेश के पर्यटन विभाग का नाम शामिल है।
लोग यह जानना चाहते हैं कि यदि पर्यटन विभाग आयोजक है तो उसके अपने विज्ञापन में हेमा जी के होली कार्यक्रम को जगह क्यों नहीं दी गई।
आयोजकों ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में भी बताया था कि पर्यटन विभाग और उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद् के सहयोग से आयोजित हो रहे कार्यक्रम की थीम होली होगी।
तीसरा सवाल इस कार्यक्रम को लेकर आयोजकों की ओर से प्रकाशित कराए जा रहे विज्ञापन के बाद खड़ा हुआ है।
दरअसल, आयोजकों द्वारा प्रकाशित कराए गए विज्ञापनों में उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग की ओर से प्रमुख सचिव पर्यटन अवनीश अवस्थी का नाम छपा है और उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद् की ओर से परिषद् के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र का नाम लिखा है।
बतौर सांसद और नृत्यांगना के रूप में हेमा मालिनी का नाम भी इसमें शामिल है किंतु उस ‘ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट’ के किसी पदाधिकारी का उल्लेख नहीं है जो कार्यक्रम का सह आयोजक बताया गया है।
‘ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट’ के साथ-साथ लोग यह भी जानना चाहते हैं कि ‘होली रसोत्सव’ के संबंध में 15 फरवरी को प्रेस कांफ्रेंस करने वाले अनूप शर्मा का क्या ‘ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट’ से भी कोई ताल्लुक है।
वैसे अनूप शर्मा को कार्यक्रम का समन्वयक बताया गया है किंतु यह नहीं बताया गया कि उन्हें समन्वयक किसने बनाया। मतलब पर्यटन विभाग ने, उत्तर प्रदेश विकास परिषद् ने, ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट ने, या फिर हेमा मालिनी ने।
इसके अलावा इस बात की भी खासी चर्चा है कि ‘ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट’ में कौन-कौन शामिल हैं और उनकी होली रसोत्सव कार्यक्रम कराने में इतनी रुचि क्यों है।
प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद रहे कुछ अन्य नामों को लेकर भी उत्सुकता है। ये नाम हैं विपिन मुकुटवाला, मितुल पाठक, अनिल मालवीय, पुरूषोत्तम सिंह, संजीव गर्ग व भीमराज शर्मा आदि।
यहां भी सबसे बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि सांसद हेमा मालिनी की ओर से उनके निजी सचिव जनार्दन शर्मा थे किंतु इतने बड़े कार्यक्रम के आयोजकों जैसे पर्यटन विभाग, ब्रज तीर्थ विकास परिषद् और ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट का कोई प्रतिनिधि क्यों प्रेस कांफ्रेंस का हिस्सा नहीं बना।
क्या ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट कोई ऐसी ‘छद्म संस्था’ है जिसके पदाधिकारियों का नाम सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
यदि नहीं, तो आयोजकों को यह भी बताना चाहिए कि हेमा मालिनी क्या स्थानीय सांसद होने के कारण ही इस कार्यक्रम को कराने में सबसे आगे खड़ी हैं अथवा ‘ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट’ से उनका भी कोई नाता है।
यह सारे सवाल इसलिए खड़े हुए हैं क्योंकि हेमा मालिनी के कार्यकाल को अगले कुछ दिनों में चार साल पूरे होने वाले हैं। उन्होंने ‘होली रसोत्सव’ से पहले भी यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम किए हैं, किंतु ब्रज अपने विकास को आज भी तरस रहा है।
हेमा मालिनी के पिछले कार्यक्रमों से यदि ब्रज का कोई विकास नहीं हुआ तो चार साल पूरे होने के आसपास किए जा रहे होली रसोत्सव से ब्रज का विकास कैसे होने लगेगा।
लोगों को संदेह है कि बार-बार सारा ध्यान सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर ही केंद्रित किए जाने का मकसद कुछ खास लोगों का विकास करना तो नहीं है।
होली रसोत्सव में कहीं ऐसे तत्वों का विकास तो निहित नहीं है जो किसी न किसी आड़ में मलाई मारने के लिए कुख्यात हैं और जिन्होंने ब्रज के विकास में कभी कोई भूमिका बेशक न निभाई हो परंतु विनाश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
सवाल उठ रहे हैं तो जवाब भी देने ही होंगे, अन्यथा समय पर ये सवाल अपने जवाब खुद तलाश लेंगे। ‘ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट’ के बारे में भी और उनके पदाधिकारियों के बारे में भी। होली रसोत्सव के बारे में भी और उसे कराने के पीछे छिपे मकसद के बारे में भी क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनावों को बहुत समय शेष नहीं है।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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