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मंगलवार, 8 अक्तूबर 2024
डालमिया बाग कांड: अब ED और CBI की भी एंट्री जल्द, एक पूर्व और एक वर्तमान मंत्री का निवेश बनेगा फांस
मथुरा (September 29th, 2024)। वृंदावन के छटीकरा रोड पर स्थित बेशकीमती डालमिया बाग भले ही 300 हरे वृक्षों को रातों-रात काट डालने के कारण चर्चा में आया लेकिन अब जैसे-जैसे इसके सौदे से लेकर प्लॉटिंग और निवेश से लेकर अवैध रूप से काबिज होने तक की पटकथा सामने आ रही है... वैसे-वैसे इसकी वो परतें भी उघड़ रही हैं जो सामान्य स्थितियों में शायद ही कभी सामने आतीं। विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आज बेशक इस आशय का प्रचार किया जा रहा है कि समूचे डालिमया बाग का सौदा नंबर एक का पैसा देकर किया गया है, किंतु ऐसा है नहीं।
सूत्र बताते हैं कि इस सौदे के लिए कुछ रकम नंबर एक में जरूर दी गई है परंतु उससे कहीं बहुत अधिक रकम नंबर दो में पहुंचाई गई है।
सब जानते हैं कि नंबर दो की रकम को खपाने का यदि कोई बड़ा माध्यम है तो वह है रियल एस्टेट का कारोबार यानी जमीन की खरीद-फरोख्त। इस मामले में भी यही किया गया।
चूंकि बाग की पूरी 36 एकड़ जमीन पर काबिज होने के लिए डालमिया परिवार के पास शेष रकम भी पहुंचानी थी इसलिए सबसे पहले मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण में एक नक्शा पेश करके मालिकाना हक साबित करने का षड्यंत्र रचा गया।
प्रदेश के एक पूर्व मंत्री और एक वर्तमान मंत्री भी मुखौटा पार्टनर
इस षड्यंत्र में सफल होने के लिए ऊपर तक सेटिंग जरूरी थी इसलिए एक पूर्व मंत्री के साथ-साथ प्रदेश सरकार के एक वर्तमान मंत्री को भी उन दामों में मुखौटा पार्टनर बनाया गया जिनमें डालमिया परिवार से सौदा हुआ था। एक ओर पैसा फेंककर तो दूसरी ओर मुखौटा पार्टनर्स के नाम का इस्तेमाल करके पुलिस, प्रशासन, सिंचाई विभाग, वन विभाग तथा विकास प्राधिकरण को दबाव में लिया गया।
इस पूरे खेल में अब तक जिस शंकर सेठ को मास्टर माइंड बताकर पेश किया जा रहा है, वो तो एक ऐसी टूल किट है जिसे बाग पर काबिज होने से लेकर प्लॉटिंग के नाम पर पैसा जुटाने और उसके लिए सैकड़ों हरे पेड़ों की हत्या कराने एवं उससे भी पहले वृंदावन माइनर को पाटने का काम कराने के लिए इस्तेमाल किया गया।
सिंचाई विभाग, वन विभाग तथा विकास प्राधिकरण की चुप्पी यह साबित करने के लिए काफी है कि दबाव किस तरह काम कर रहा था। ये बात दीगर है कि मामले के तूल पकड़ने पर वन विभाग तथा विकास प्राधिकरण ने एफआईआर दर्ज करा दी। साथ ही बिजली विभाग ने भी अपनी जान बचाने को एक एफआईआर दर्ज कराई क्योंकि जब पेड़ काटे जा रहे थे तब बिजली भी गुल करा दी गई। हालांकि बिजली विभाग अब दावा कर रहा है कि काटे गए पेड़ बिजली के तारों पर गिरे इसलिए बिजली चली गई।
अब ED और CBI की एंट्री जल्द
बहरहाल, अब इस पूरे प्रकरण में ED और CBI की भी जल्द एंट्री होने वाली है क्योंकि मनी लॉन्ड्रिंग का मामला तो साफ-साफ दिखाई दे रहा है, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) का भी खेल निकल कर आ सकता है क्योंकि बाग का सौदा एक ऐसे शख्स के जरिए हुआ है जो एक अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक संस्था से जुड़ा है और डालमिया बंधुओं का सजातीय है।
इस विश्व विख्यात धार्मिक संस्था की शाखाएं दुनियाभर में फैली हैं इसलिए कोई आश्चर्य नहीं कि बाग के सौदे में विदेशी धन का भी इस्तेमाल किया गया हो।
जहां तक सवाल CBI की एंट्री का है तो उसकी मांग NGT से की गई है। अगर एनजीटी इस मांग को मांग लेता है तो ठीक अन्यथा प्रदेश सरकार भी इसकी जांच CBI को सौंप सकती है क्योंकि यह पूरी साजिश के साथ गिरोहबद्ध होकर किया गया वो आपराधिक कृत्य है जिसके तहत लोगों को गुमराह करके मोटा पैसा जुटाया जा चुका है।
धार्मिक दृष्टि से तूल पकड़ रहा है मामला
समय के साथ यह मामला धार्मिक दृष्टि से भी तूल पकड़ने लगा है। वृंदावन के तमाम संत-महंत पिछले कई दिनों से मुखर होकर माफिया की मुखालफत कर रहे हैं। मशहूर संत प्रेमानंद महाराज ने इस घृणित कृत्य पर अपनी नाराजगी का इजहार करते हुए आठ मिनट से ऊपर का एक वीडियो संदेश जारी किया है और साफ-साफ कहा है कि माफिया ने अपने नाश का इंतजाम कर लिया है।
जो भी हो लेकिन इतना तय है कि डालमिया बगीचे पर काबिज होकर हजारों करोड़ रुपए कमाने का जो सपना माफिया ने देखा था, वह अब पूरा होने से रहा। होगा तो सिर्फ इतना कि आगे-पीछे के सब पाप एक-एक करके सामने आएंगे और एक-एक कर विभिन्न सरकारी एजेंसियां शिकंजा कसेंगी। हो सकता है कि इसमें कुछ ऐसे सफेदपोश लोगों को भी जेल जाना पड़ जाए जिन्होंने अनेक कुकर्म करने के बावजूद आज तक जेल का मुंह नहीं देखा है।
-Legend News
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