गुरुवार, 20 जनवरी 2011

क्या बच निकलेंगे ब्रजभूमि में सेक्‍स के सौदागर!

मथुरा-वृंदावन और ब्रज क्षेत्र को ही नहीं, देश की प्रतिष्‍ठा को भी अपने घृणित कृत्‍य से धूमिल करने वाले कथित भागवताचार्य राजेन्‍द्र शर्मा के खिलाफ कानूनी कार्यवाही किये जाने की संभावना समय के साथ क्षीण होती जा रही है जबकि चारों ओर से उसे व उसके साथ संलिप्‍त उसके परिजनों को गिरफ्तार किये जाने की मांग बराबर उठ रही है। पुलिस ने अब तक उन लोगों को भी गिरफ्त में नहीं लिया है जिन पर उक्‍त भागवताचार्य की पत्‍नी ने अपने अंतरंग दृश्‍यों को उनके कम्‍प्‍यूटर्स से लेकर सार्वजनिक करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई है।
उल्‍लेखनीय है कि वृंदावन निवासी राजेन्‍द्र शर्मा के लेपटॉप और डेस्‍टॉप में सैंकड़ों अश्‍लील वीडियो क्‍िलप्‍स और फोटाग्राफ होने का पता तब लगा जब उसने अपने ये कम्‍प्‍यूटर होली वाली गली स्‍थित साइबर वर्ल्‍ड नामक कम्‍प्‍यूटर उपकरण व्‍यवसायी अरविंद शर्मा के यहां रिपेयरिंग के लिए भेजे थे। आश्‍चर्यजनक रूप से इन अत्‍यन्‍त घृणित, अप्राकृतिक व अश्‍लील वीडियो क्‍लिप्‍स तथा फोटोग्राफ्स में खुद कथित भागवताचार्य के परिवार की महिलाएं ही दिखाई दे रही थीं।
भागवताचार्य की पत्‍नी का आरोप है कि साइबर वर्ल्‍ड के संचालक अरविंद शर्मा ने अपने पुत्र ऋषि, नीलकमल टेंटीवाल और तथा दो अन्‍य का सहयोग लेकर उनके परिवार की अंतरंग वीडियो क्‍िलप्‍स को तब सार्वजनिक कर दिया जब उन्‍होंने उसके द्वारा ब्‍लैकमेल करते हुए मांगे गये 10 लाख रुपये देने से मना कर दिया था।
पुलिस ने राजेन्‍द्र शर्मा की पत्‍नी द्वारा लिखाई गई एफआईआर के आधार पर उसके कम्‍प्‍यूटर्स की हार्ड डिस्‍क व उनमें मौजूद अश्‍लील वीडियो क्‍लिपिंग्‍स एवं फोटोग्राफ्स तो अपने कब्‍जे में ले लिये हैं लेकिन अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं की।
पुलिस का कहना है कि उसने हार्ड डिस्‍क के डाटा को विशेषज्ञों के पास जांच के लिए भेजा है जबकि भागवताचार्य के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का उसे तब तक कोई अधिकार नहीं है जब तक कि किसी के द्वारा इस मामले में तहरीर न दी जाए।
वृंदावन निवासी हिंदूवादी नेता रमेश पुजारी तथा मथुरा निवासी कांग्रेसी नेता ताराचंद गोस्‍वामी द्वारा भागवताचार्य व उसके परिजनों के खिलाफ दी गई तहरीर पर पुलिस ने यह कहते हुए एफआईआर दर्ज नहीं की कि उनकी तहरीर राजनीति से प्रेरित हैं।
इस सम्‍बन्‍ध में पूछे जाने पर ताराचंद गोस्‍वामी ने बताया कि पुलिस इसे राजनीति से प्रेरित बताकर दबाना चाहती है जबकि सारे तथ्‍य सामने हैं और स्‍पष्‍ट करते हैं कि कथित भागवताचार्य राजेन्‍द्र शर्मा व उसका परिवार पोर्न फिल्‍मों के व्‍यवसाय में संलिप्‍त है।
ताराचंद गोस्‍वामी का कहना था कि न तो राजेन्‍द्र शर्मा कोई राजनीतिक व्‍यक्‍ित है और ना उनके कुकृत्‍य का राजनीति से कोई वास्‍ता है। उनका कृत्‍य पूरी तरह धर्म, मथुरा-वृंदावन, ब्रजभूमि तथा देश की संस्‍कृति को बदनाम करने वाला कृत्‍य है।
ताराचंद गोस्‍वामी के मुताबिक इस पूरे मामले का पर्दाफाश होना इसलिए अत्‍यंत आवश्‍यक है क्‍योंकि इसमें राजेन्‍द्र शर्मा व उसके परिवार के अतिरिक्‍त भी बहुत से सफेदपोश लोगों की संलिप्‍तता का पता लगा है।
ये लोग पिछले करीब पांच सालों से मथुरा-वृंदावन तथा ब्रज की अन्‍य महिलाओं के अश्‍लील फोटोग्राफ्स एवं वीडियों क्‍लिपिंग्‍स बनाकर उन्‍हें विदेश भेज रहे हैं जिसका मकसद यहां की धर्म व संस्‍कृति को घिनौने तरीके से पेश करते हुए मोटा आर्थिक लाभ अर्जित करना रहा है।
ताराचंद गोस्‍वामी के कथन से मथुरा-वृंदावन के अन्‍य बहुत से लोगों ने भी सहमति जताते हुए इस बात की आशंका व्‍यक्‍त की कि हो न हो कथित भागवताचार्य का रैकेट विदेशियों को यौनाचार के लिए यहां लड़कियां व बच्‍चे मुहैया कराता हो क्‍यों कि बहुत कम समय में राजेन्‍द्र शर्मा ने अच्‍छी सम्‍पत्‍ति अर्जित की है जबकि उसका कोई दूसरा कारोबार नहीं है।
गौरतलब है कि राजेन्‍द्र शर्मा के लेपटॉप व डेस्‍टॉप से मिले फोटाग्राफ्स एवं वीडियो फुटेज में स्‍ित्रयों द्वारा अबोध बच्‍चों और यहां तक कि जानवरों को सैक्‍स में शामिल करते दिखाया गया है जो न केवल घृणास्‍पद है बल्‍िक इस बात की पुष्‍टि करता है कि उनको तैयार करने का मकसद घरेलू न होकर पेशेवर है।
इस बारे में यह बात भी महत्‍वपूर्ण हो जाती है कि इन फोटोग्राफ्स की संख्‍या जहां हजारों में है वहीं वीडियो फुटेज की संख्‍या व लम्‍बाई इतनी है कि उन्‍हें जोड़कर कुल करीब 18 घण्‍टों की फिल्‍म बनाई जा सकती है।
इस सब के बावजूद यह कहना कि कथित भागवताचार्य राजेन्‍द्र शर्मा व उसके परिजनों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का पर्याप्‍त आधार नहीं है, हास्‍यास्‍पद तो है ही, दुर्भाग्‍यपूर्ण भी है।
कुछ लोग शायद इसीलिए दबी जुबान से यह कहते सुने जा सकते हैं कि किसी न किसी स्‍तर पर पुलिस इसमें कंप्रोमाइज करने का मन बना चुकी है और इसीलिए वह इस सब को सार्वजनिक करने के आरोपियों को जांच के नाम पर तथा इसमें लिप्‍त महिला-पुरुषों को पर्याप्‍त कानूनी आधार न होने की आड़ लेकर बचा रही है अन्‍यथा छोटी से छोटी घटनाओं में वह आरोपियो को तुरंत पकड़ लेती है।
अगर लोगों का यह कथन सत्‍य है तो निश्‍चित ही भविष्‍य में इसके काफी बड़े दुष्‍परिणाम मथुरा-वृंदावन वासियों के साथ-साथ धार्मिक लोगों, भागवताचार्यों एवं देश की संस्‍कृति व धर्म को उठाने पडेंगे क्‍योंकि इस तरह एक ओर जहां इसमें संलिप्‍त अन्‍य सफेदपोशों के चेहरे बेनकाब हो सकेंगे और ना ही पूरा सच सामने आ सकेगा।

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