यमुना के प्रदूषण के खत्म करने के लिए कई सौ करोड़ों रूपए पानी में बहाने के बाद अब सरकारी एजेंसियां ही उसे जहरीला बना रही है। एक एनजीओ जनसर्व अभियान सेवा समिति का आरोप है कि यमुना के पानी में जहर कोई और नहीं बल्कि एमसीडी ही घोल रही है। एमसीडी ने यमुना को दिल्ली का कूड़ा घर बना दिया है। दरअसल दिल्ली से इकट्ठे हो रहे कूड़े को यमुना में डाला जा रहा है। फिलहाल मामला बताए जाने के बाद एमसीडी ने जांच के आदेश दिया है।
उत्तरी दिल्ली में यमुना किनारे प्रदर्शन कर रहे लोग एक एनजीओ जनसर्व अभियान सेवा समिति के सदस्य हैं। इनका आरोप है कि हजारों टन कूड़ा यमुना किनारे वही लोग फेंक रहे हैं जिनकी जिम्मेदारी यमुना को साफ रखना और उसमें कूड़ा करकट फेंके जाने से रोकना है। यमुना के किनारे फेंके जा रहे कूड़े से परेशान एक एनजीओ जनसर्व अभियान सेवा समिति ने अब एमसीडी के खिलाफ कोर्ट जाने और मुकदमा दर्ज कराने की कवायद शुरू कर दी है।
आरोप है बुराड़ी इलाके में यमुना के किनारे एमसीडी का ये काम पिछले एक महीने से अधिक से चल रहा है। उत्तरी दिल्ली में इकट्ठा होने वाले कूड़े को एमसीडी की गाड़ियां लगातार यमुना किनारे डाल रही हैं। पिछले महीने भर में यमुना के इस किनारे पर हजारों टन कूड़ा डल चुका है और एजेंसियों को खबर तक नहीं। यहां तैनात गार्ड के मुताबिक एमसीडी की इन गाड़ियों को यहां आने से रोका गया लेकिन इलाके के पार्षदों की दबाव में इसकी भी एक नहीं चली।
दरअसल एमसीडी की ये गाडियां यमुना को प्रदूषण से बचाने के लिए चलाई गई हैं। ये गाड़ियां मोहल्लों में जाती हैं और कूड़ा उठाती हैं। ताकि घरों का कूड़ा नालियों के पानी में मिलकर यमुना में ना जाए। यमुना के किनारे कूड़ा फेंके जाने को लेकर इलाके के लोगों ने भी एमसीडी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शुक्रवार को इलाके के लोगों ने कूड़े के ढेर पर बैठकर एमसीडी के खिलाफ नारेबाजी की और इलाके के चारों निगम पार्षदों को गिरफ्तार किये जाने की मांग की। साफ है, अगर वक्त रहते यमुना में कू़ड़ा डालना नहीं रोका गया तो यमुना को पूरी तरह से प्रदूषित होने से कोई नहीं रोक पाएगा।
ऐसे में सवाल ये है कि आखिर एमसीडी के डंपर लगातार यमुना नदी में कूड़ा डाल रहे हैं। क्या इसकी खबर एमसीडी के बड़े अफसरों को है। यही सवाल जब दिल्ली की मेयर और सीएम से पूछा गया कि तो एमसीडी ने इस तरह की कोई जानकारी ही होने से इंकार कर दिया। जब दिल्ली की मेयर को इस बारे में बताया गया तो वो खुद चौंक गई और आनन फानन में जांच के आदेश दे दिये। जबकि दिल्ली सरकार का कहना है कि एमसीडी की कार्यशैली ही यही है।
खास बात ये है कि यमुना की सफाई को लेकर दिल्ली सरकार और एमसीडी पिछले कई सालों में करोड़ों रुपए पानी में बहा चुकी हैं। सरकार यमुना को टेम्स नदी बनाने की दावे करती आ रही है। यमुना की सफाई और उसे प्रदूषण मुक्त करने के लिए
- केंद्र से मिले 300 करोड़ रुपए दिल्ली सरकार ने पिछले ही साल खर्च किए।
- जबकि दिल्ली जल बोर्ड पिछले कई सालों से हर यमुना की सफाई पर 700 करोड़ रुपए खर्च करती आ रही है।
- वहीं यमुना एक्शन प्लान के तहत भी केंद्र से मिले 900 करोड़ रुपए इसमें बहाए जा चुके हैं।
इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बाद भी यमुना आखिर क्यों साफ नहीं हो पा रही है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। खुद यमुना की सफाई की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी रखने वाले दिल्ली जल बोर्ड का साफ कहना है कि इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बाद भी ये कहना मुश्किल है कि यमुना थोड़ी भी प्रदूषण मुक्त हुई है।
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