शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012

झूठा कौन....जनरल या रक्षा मंत्री

रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी ने दावा किया है कि देश की सेना पहले से कहीं अधिक मजबूत स्‍थिति में है और हर मुकाबले के लिए तैयार है। उन्‍होंने सेना के पास गोला-बारूद तथा उपकरणों की कमी को अफवाह बताया।
रक्षा मंत्री का यह बयान एक ऐसे समय आया है जब रक्षा मंत्रालय और सेना के बीच मतभेद की शिकायतें मीडिया की सुर्खियों का हिस्‍सा बनी हुई हैं।
थल सेनाध्‍यक्ष जनरल वी. के. सिंह के उम्र विवाद से शुरू हुई ये सुर्खियां तब चिंता में तब्‍दील हो गईं जब जनरल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सेना की बदहाली बयां की।
जनरल के मुताबिक सेना में भारी भ्रष्‍टाचार घर कर चुका है और उसके कारण सेना कमजोर हो चुकी है।
उन्‍होंने टाट्रा ट्रक सौदे को मंजूरी के लिए रिश्‍वत की पेशकश किये जाने के साथ-साथ प्रधानमंत्री को इस बात से भी अवगत कराया कि सेना के पास गोला-बारूद, हवाई उपकरण तथा दूसरे जरूरी सामान की भारी कमी है। इन हालातों में सेना एक हफ्ते भी युद्ध का सामना नहीं कर सकती।
भारतीय सेना के पास गोला बारूद की कमी को कई विशेषज्ञों ने स्वीकार किया है।
थल सेना के उपाध्यक्ष जनरल एसके सिंह ने भी संसदीय समीति को सूचित किया था कि सेना की तैयारियों में कई कमियाँ हैं.
थल सेनाध्‍यक्ष के कथन की पुष्‍टि इसके बाद वायु सेना द्वारा संसदीय समिति को इस बावत दी गई जानकारी से हुई।
संसदीय समिति ने सेना की तैयारियों का पता लगाने की आड़ लेकर तीनों सेनाध्‍यक्षों को ही 20 अप्रैल के दिन संसद में पेश करने का हुक्‍म सुना डाला।
ऐसे में सबसे अहम् सवाल यह उठना लाजिमी है कि थलसेनाध्‍यक्ष जनरल वी. के. सिंह सहित सेना के तमाम अफसर और विशेषज्ञ झूठ बोल रहे हैं या फिर रक्षा मंत्री देश को गुमराह कर रहे हैं ?
जनरल वी. के. सिंह सहित दूसरे सैन्‍य अधिकारियों व विशेषज्ञों के कथन में अगर दम नहीं है और रक्षा मंत्री के दावे में सच्‍चाई है तो जनरल ने सेना को हतोत्‍साहित करने तथा देश की जनता को भारी चिंता में डालने का काम किया है। इन्‍होंने दुश्‍मन देशों को प्रोत्‍साहित करने का गुनाह भी किया है इसलिए यह अक्षम्‍य अपराध की श्रेणी में आता है। यहां तक कि इसे राष्‍ट्रद्रोह तक माना जा सकता है।
आश्‍चर्य की बात तो यह है कि सेनाध्‍यक्ष ने इतना बड़ा अपराध बाकायदा प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर किया है जिसका सीधा मतलब है कि उन्‍होंने अपने झूठ का ऐसा पुलिंदा सौंपा है जो सुबूत भी है और गवाह भी। उसके बाद सजा के लिए किसी दूसरे सुबूत व गवाह की जरूरत नहीं रह जाती।
यहां एक दूसरा इस आशय का अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न खुद-ब-खुद खड़ा हो जाता है कि फिर जनरल को सजा देने से सरकार व उसके रक्षा मंत्री क्‍यों बच रहे हैं ?
तो क्‍या रक्षा मंत्री झूठ बोल रहे हैं ? यह प्रश्‍न अधिक तार्किक व वजनदार हो जाता है।
वह इसलिए वजनदार हो जाता है कि जनरल के पत्र को दरकिनार कर सेना की बदहाली को अफवाहें बताने वाले रक्षा मंत्री के पास अपने या सरकार के पक्ष में कोई ठोस सुबूत नहीं हैं।
प्रधानमंत्री को लिखा गया खत लीक होने के मामले में सेनाध्‍यक्ष को तो जांच एजेंसी व रक्षा मंत्री दोनों क्‍लीनचिट दे चुके हैं पर जनता को यह जवाब मिलना बाकी है कि पत्र लीक किसने किया और उसका असल मकसद क्‍या था।
इसी प्रकार जनवरी में सेना की दो टुकड़ियों के दिल्‍ली की ओर कूच करने को अब आकर जबर्दस्‍त तूल दिलवाने तथा उसे सैन्‍य विद्रोह जैसी स्‍थितियों से जोड़ने के पीछे भी खास कारण नजर आते हैं लेकिन सरकार उस पर चुप्‍पी साध चुकी है।
सेना के मामले में सरकार का ऐसा रवैया समझ से परे तो है ही, साथ ही चिंताजनक भी है क्‍योंकि भारत के जितने प्रत्‍यक्ष दुश्‍मन हैं उनसे कहीं ज्‍यादा अप्रत्‍यक्ष हैं।
रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी की छवि आज तक भले ही बेदाग रही हो परन्‍तु अब संदेह उत्‍पन्‍न कराती है। खासतौर से तब जबकि एक ओर वह यह स्‍वीकार करते हैं कि जनरल ने उन्‍हें टाट्रा ट्रक सौदे में रिश्‍वत ऑफर किये जाने की जानकारी तभी दी थी और दूसरी ओर कहते हैं कि कार्यवाही इसलिए नहीं हुई क्‍योंकि जनरल कार्यवाही नहीं चाहते थे।
क्‍या एक ईमानदार रक्षामंत्री यह बता सकता है कि इतने बड़े मामले में कार्यवाही के लिए वह किसी जनरल के चाहने या ना चाहने पर निर्भर हैं अथवा उनकी अपनी भी कोई जिम्‍मेदारी बनती है।
कहीं ऐसा तो नहीं कि रक्षा मंत्री भी प्रधानमंत्री की तरह किसी रिमोट से संचालित हैं और उनकी ईमानदारी ठीक उसी तरह की है जिस तरह की ईमानदारी के चलते प्रधानमंत्री स्‍पेक्‍ट्रम व खेल घोटाला होते देखते रहे।
अगर ऐसा नहीं है तो रक्षा मंत्री के मात्र इतना भर कह देने से काम नहीं चलता कि गोला-बारूद व जरूरी उपकरणों की कमी सम्‍बन्‍धी खबरें अफवाह हैं और सेना हर मुकाबला करने में सक्षम है।
यदि वह जनरल को झूठा साबित करना चाहते हैं और रक्षा विशेषज्ञों की चिंता को खारिज कर रहे हैं तो उन्‍हें न सिर्फ अपने कथन को सच साबित करने वाले प्रमाण देने चाहिए बल्‍िक सेना व देश को हतोत्‍साहित करने, दुश्‍मन देशों को प्रोत्‍साहित करने तथा देश की जनता को गुमराह करने वालों को कानूनी शिकंजे में जकड़ना चाहिए। चाहे वह कोई जनरल हो या दूसरे सैन्‍य अधिकारी।
हां, अगर रक्षामंत्री ही झूठ बोल रहे हैं तो यह निश्‍िचत है कि इस झूठ का बहुत बड़ा खामियाजा समूचे देश को भुगतना होगा और आने वाली पीढ़ी इसके लिए कभी उन्‍हें माफ नहीं करेगी।

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