गुरुवार, 20 सितंबर 2012

सनसीनखेज खुलासे करेगी 'डिप्लोमेटिक चैनल्स'

पूर्व विदेश सचिव के श्रीनिवासन ने एक सनसनीखेज खुलासा किया है। विदेश सचिव का पद छोड़ने के 17 साल बाद क्रिस श्रीनिवासन ने अपने संस्मरण "डिप्लोमेटिक चैनल्स" में यह खुलासा किया है।
रॉ ने किया था फोन टैप-
श्रीनिवासन के अनुसार भारत की खुफिया एजेंसी रॉ ने पाकिस्तान समर्थित असिस्टेंट सेक्रेटरी ऑफ स्टेट (साउथ एशिया) रॉबिन रफेल तथा इस्लामाबाद में अमरीकी राजदूत के बीच टेलिफोन पर हुई वार्ता टैप की थी।
अमरीका ड्राफ्ट का समर्थन नहीं करने वाला-
इस बातचीत में स्पष्ट हो गया था कि अमरीका कश्मीर पर भारत के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा संयुक्त राष्ट्र में पेश ड्राफ्ट मसौदे का समर्थन नहीं करने वाला है। यह पुस्तक जल्द ही लंदन में लॉन्च होने वाली है। कश्मीर पर प्रस्ताव सितंबर 1994 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की कमेटी की पहली बैठक में पेश किया था।
इससे मुकाबले के लिए विदेश मंत्रालय ने श्रीनिवासन के तेतृत्व में तत्कालीन पीएम पीवी नरसिंह राव से संपर्क साधा ताकि कश्मीरी असंतुष्टों को छोड़ा जा सके, जम्मू कश्मीर में चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जा सके तथा रेड क्रॉस को फिर से राज्य में बुलाया जा सके।
भारत के खिलाफ वोट से सैन्य कार्यवाही को बढ़ावा मिलेगा-
एक अखबार के अनुसार श्रीनिवासन ने अपने अमरीकी समकक्ष पीटर टारनॉफ से मुलाकात की। श्रीनिवासन ने उनसे कहा, भारत के खिलाफ वोट से केवल सैन्य कार्रवाई को बढ़ावा मिलेगा। श्रीनिवासन के अनुसार, भारत को जल्द ही राफेल की कुंठा के बारे में पता लग गया। इस बारे में हमने टेलिफोन पर हुई वार्ता में ऎसा सुना। रफेल ने अपने सहयोगी अमरीकी राजदूत को सूचित किया कि उसने पाकिस्तान के समर्थन में वोट के लिए दबाव डाला था लेकिन उच्च स्तर पर इसे रोक दिया गया।
वाशिंगटन से इस्लामाबाद किया गया था फोन-
रॉ ने सफलतापूर्वक रफेल का कॉल टैप किया था। बावजूद इसके कि यह वाशिंगटन से इस्लामाबाद किया गया था। इतना ही नहीं रॉ ने इस बातचीत का टेप श्रीनिवासन को भेज दिया था।

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