बुधवार, 15 मई 2013

माननीयों की करतूत तो देखो..

हमारे सांसदों ने इस बात का पूरा इंतजाम कर रखा है कि सरकार का पैसा घर में ही रहे।
146 सांसदों ने अपने बेटों, बेटियों, बीवियों, भाईयों या बहनों और अन्य रिश्तेदारों को ही अपना पीए नियुक्त कर रखा है। इन सभी को वेतन सरकारी कोष से मिलता है।

जिन्होंने पारिवारिक सदस्यों और रिश्तेदारों को पीए नियुक्त कर रखा है उनमें सभी पार्टियों के सांसद शामिल हैं।
आरटीआई से खुलासा हुआ है कि लोकसभा के 104 और राज्यसभा के 42 सांसदों ने करीब 191 रिश्तेदारों को निजी स्टॉफ के रूप में नियुक्त कर रखा है। वेतन और भत्ता नियमों के मुताबिक सांसदों की ओर से लिपिकीय कार्य के लिए नियुक्त लोगों को लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय को हर महीने 30 हजार रुपए बतौर वेतन देना पड़ता है।
सांसद की ओर से पारिवारिक सदस्य या रिश्तेदार को पीए नियुक्त करना किसी नियम का उल्लंघन नहीं है। विशेषज्ञों और कुछ सांसदों का मानना है कि इससे निश्चित रूप से नैतिकता और शिष्टता को लेकर सवाल उठते हैं। इनका कहना है कि इन माननीयों ने वफादार पार्टी कार्यकर्ताओं को नजरंदाज कर पारिवारिक सदस्यों और रिश्तेदारों को पीए नियुक्त कर रखा है।
जिन 191 रिश्तेदारों को निजी स्टॉफ के रूप में नियुक्त किया गया है उनमें 60 बेटे, 36 बीवियां, 27 बेटियां, सात भाई, सात बहुएं, चार पति और 10 चचेरे भाई शामिल हैं।
जिन 149 सांसदों ने पारिवारिक सदस्यों और रिश्तेदारों को पीए के रूप में नियुक्त कर रखा है उनमें भाजपा के 38, कांग्रेस के 36, बसपा के 15, सपा के 12, डीएमके के 8, बीजद के 7, जदयू के 6 और अन्य दूसरी पार्टियों के हैं।
36 सांसदों ने एक से ज्यादा रिश्तेदारों को पीए के रूप में नियुक्त कर रखा है। चार सांसदों ने तीन से ज्यादा पारिवारिक सदस्यों को निजी स्टॉफ के रूप में नियुक्त कर रखा है।
-एजेंसी

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