अहमदाबाद । अहमदाबाद के एक ऑटो रिक्शा चालक ने बेमिशाल
ईमानदारी का परिचय देते हुए अपने नाम से मिले एक करोड़ नब्बे लाख रुपये
के उस चेक को लौटा दिया जो उसे जमीन के मुआवजे बतौर मिला था। उसे यह चैक
सांणद में टाटा नैनो प्लांट के लिए अलॉट की गई तीन बीघा जमीन के एवज में
मिला था।
राजू भरवाड़ नामक इस ऑटो रिक्शा चालक ने यह राशि अपनी जेब में डाल ली होती लेकिन उसने लिखित में कहा कि वह अब उस जमीन का मालिक नहीं है। उसने यह आश्वासन भी दिया कि नए मालिकों के नाम आधिकारिक दस्तावेज में दर्ज हैं।
राजू के परिवार की सांणद में 10 बीघा जमीन थी। तीस साल पहले उसके दादा ने करीब पांच लाख रुपए में यह जमीन बेच दी। इस जमीन पर 40 परिवारों ने मकान बना लिए। बाद में नैनो गुजरात आई। इससे जमीनों के भाव आसमान छूने लगे। गुजरात औद्योगिक विकास निगम (जीआईडीसी) ने नैनो प्लांट के आस-पास की जमीन 28 लाख रुपए बीघा के भाव से अलॉट कर ली और जमीन के मालिकों को पैसे चुकाने शुरू कर दिए। चूंकि नए मालिकों ने अपने नाम दर्ज नहीं कराए थे इसलिए रिकॉर्ड में जमीन राजू व उसकी मां बालूबेन के नाम ही थी।
अपनी पत्नी, तीन बच्चों व मां के साथ दो कमरों के घर में रहने वाले राजू का कहना है, ईमानदारी से बढ़िया कोई चीज नहीं। मेरे माता-पिता ने मुझे यही सिखाया है। राजू के परिवार ने उसे सही कदम उठाने को कहा। मेरे नाम चार बीघा जमीन है जो भविष्य को देखते हुए मेरे परिवार के लिए पर्याप्त है। वहीं जीआईडीसी के एक अधिकारी ने कहा, हमने जमीन विवाद के कई मामले देखे हैं लेकिन किसी को 1.90 करोड़ रुपए का चेक लौटाते नहीं देखा। - (एजेंसी)
राजू भरवाड़ नामक इस ऑटो रिक्शा चालक ने यह राशि अपनी जेब में डाल ली होती लेकिन उसने लिखित में कहा कि वह अब उस जमीन का मालिक नहीं है। उसने यह आश्वासन भी दिया कि नए मालिकों के नाम आधिकारिक दस्तावेज में दर्ज हैं।
राजू के परिवार की सांणद में 10 बीघा जमीन थी। तीस साल पहले उसके दादा ने करीब पांच लाख रुपए में यह जमीन बेच दी। इस जमीन पर 40 परिवारों ने मकान बना लिए। बाद में नैनो गुजरात आई। इससे जमीनों के भाव आसमान छूने लगे। गुजरात औद्योगिक विकास निगम (जीआईडीसी) ने नैनो प्लांट के आस-पास की जमीन 28 लाख रुपए बीघा के भाव से अलॉट कर ली और जमीन के मालिकों को पैसे चुकाने शुरू कर दिए। चूंकि नए मालिकों ने अपने नाम दर्ज नहीं कराए थे इसलिए रिकॉर्ड में जमीन राजू व उसकी मां बालूबेन के नाम ही थी।
अपनी पत्नी, तीन बच्चों व मां के साथ दो कमरों के घर में रहने वाले राजू का कहना है, ईमानदारी से बढ़िया कोई चीज नहीं। मेरे माता-पिता ने मुझे यही सिखाया है। राजू के परिवार ने उसे सही कदम उठाने को कहा। मेरे नाम चार बीघा जमीन है जो भविष्य को देखते हुए मेरे परिवार के लिए पर्याप्त है। वहीं जीआईडीसी के एक अधिकारी ने कहा, हमने जमीन विवाद के कई मामले देखे हैं लेकिन किसी को 1.90 करोड़ रुपए का चेक लौटाते नहीं देखा। - (एजेंसी)
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