नई दिल्ली । सरकार पर देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी
सीबीआई का इस्तेमाल करने के आरोप लगते रहे हैं. कोयला घोटाले में सीबीआई के
रिपोर्ट को लेकर सरकार के हस्तक्षेप के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी
करते हुए कहा था कि सीबीआई सरकार का तोता है.
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर सरकार में तो हरकत शुरू हो गई है. वहीं, खुद सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा भी मानते हैं कि ये बेहद जरूरी है. रंजीत सिन्हा ने मेल टुडे से बातचीत करते हुए कहा, 'आज मैं हर काम के लिए सरकार पर निर्भर हूं. चाहे लोग चाहिए हों, कोई बुनियादी जरूरत हो या कोई फिर कोई सुविधा चाहिए हो.
ऐसे में मैं सरकार का ही एक हिस्सा बन गया हूं. एक निदेशक सीबीआई में सिर्फ इंस्पेक्टर बहाल कर सकता है और कुछ नहीं.'
सीबीआई निदेशक ने अपनी मजबूरियों को सरकारी तंत्र के ढांचे में ढालकर समझाने की कोशिश की. मेल टुडे को उन्होंने बताया कि कैसे सरकारी तंत्र का एक चक्रव्यूह सीबीआई के चारों ओर फैला हुआ है. सिन्हा ने कहा कि सीबीआई को कैडर की मंजूरी के लिए गृह मंत्रालय पर निर्भर रहना पड़ता है.
रंजीत सिन्हा कहते हैं कि रोजमर्रा के काम, पैसों, नए अफसरों के लिए कार्मिक मंत्रालय का मुंह देखना पड़ता है. डीएसपी रैंक से ऊपर की बहाली के लिए यूपीएससी पर निर्भर रहना पड़ता है. विशेष वकीलों के लिए कानून मंत्रालय का मुंह जोहना पड़ता है. भ्रष्टाचार निरोधी केसों के लिए सीवीसी को जवाब देना होता है.
सिन्हा के लिए सवाल तो और भी कई थे. एक सवाल लाजिमी भी था, मेल टुडे ने पूछा भी कि रेल घूसकांड का क्या होगा? रंजीत सिन्हा बचते हुए निकल गए कि अभी कुछ नहीं बताऊंगा. हमारे लोग अच्छा काम कर रहे हैं.
दूसरी ओर सीबीआई को लेकर सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी के बाद सरकार सीबीआई को आजाद करने की कवायद में लगी है. इसकी तैयारी शुरू हो गई है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि सरकार मंत्रियों के समूह (GoM) का गठन करेगी. इसमें कपिल सिब्बल, पी चिदंबरम और नारायणसामी शामिल हो सकते हैं. इस बाबत एक अध्यादेश लाने पर विचार किया जा रहा है.- (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर सरकार में तो हरकत शुरू हो गई है. वहीं, खुद सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा भी मानते हैं कि ये बेहद जरूरी है. रंजीत सिन्हा ने मेल टुडे से बातचीत करते हुए कहा, 'आज मैं हर काम के लिए सरकार पर निर्भर हूं. चाहे लोग चाहिए हों, कोई बुनियादी जरूरत हो या कोई फिर कोई सुविधा चाहिए हो.
ऐसे में मैं सरकार का ही एक हिस्सा बन गया हूं. एक निदेशक सीबीआई में सिर्फ इंस्पेक्टर बहाल कर सकता है और कुछ नहीं.'
सीबीआई निदेशक ने अपनी मजबूरियों को सरकारी तंत्र के ढांचे में ढालकर समझाने की कोशिश की. मेल टुडे को उन्होंने बताया कि कैसे सरकारी तंत्र का एक चक्रव्यूह सीबीआई के चारों ओर फैला हुआ है. सिन्हा ने कहा कि सीबीआई को कैडर की मंजूरी के लिए गृह मंत्रालय पर निर्भर रहना पड़ता है.
रंजीत सिन्हा कहते हैं कि रोजमर्रा के काम, पैसों, नए अफसरों के लिए कार्मिक मंत्रालय का मुंह देखना पड़ता है. डीएसपी रैंक से ऊपर की बहाली के लिए यूपीएससी पर निर्भर रहना पड़ता है. विशेष वकीलों के लिए कानून मंत्रालय का मुंह जोहना पड़ता है. भ्रष्टाचार निरोधी केसों के लिए सीवीसी को जवाब देना होता है.
सिन्हा के लिए सवाल तो और भी कई थे. एक सवाल लाजिमी भी था, मेल टुडे ने पूछा भी कि रेल घूसकांड का क्या होगा? रंजीत सिन्हा बचते हुए निकल गए कि अभी कुछ नहीं बताऊंगा. हमारे लोग अच्छा काम कर रहे हैं.
दूसरी ओर सीबीआई को लेकर सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी के बाद सरकार सीबीआई को आजाद करने की कवायद में लगी है. इसकी तैयारी शुरू हो गई है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि सरकार मंत्रियों के समूह (GoM) का गठन करेगी. इसमें कपिल सिब्बल, पी चिदंबरम और नारायणसामी शामिल हो सकते हैं. इस बाबत एक अध्यादेश लाने पर विचार किया जा रहा है.- (एजेंसी)
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