शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

जन्‍मभूमि व ईदगाह की सुरक्षा ताक पर

(लीजेण्ड न्यूज़ विशेष)
मीना मस्जिद से बजी खतरे की घंटी. मथुरा के जिन दो प्रमुख धार्मिक स्थलों की सुरक्षा पर पिछले 20 वर्षों से करोड़ों रुपया खर्च किया जा रहा है और जिनके कारण हर समय देश की इंटेलीजेंस एजेंसियों के प्रमुख अधिकारियों की पेशानी पर बल पड़े रहते हैं, उनकी सुरक्षा को वही तार-तार करने पर आमादा हैं जिन्हें सरकार ने बड़े भरोसे के साथ यहां तैनात किया हुआ है।

यही नहीं, इन अधिकारियों की नासमझी के कारण शहर की शांत फिज़ा भी खराब होने का अंदेशा है।

उल्लेखनीय है कि 06 दिसंबर सन् 1992 को अयोध्या स्थित विवादास्पद ढांचा ध्वस्त किये जाने के बाद प्रदेश के जिन तीन प्रमुख धार्मिक स्थलों की सुरक्षा पर सरकारों ने ध्यान केन्द्रित किया उनमें मथुरा का कृष्ण जन्मस्थान व शाही मस्जिद ईदगाह परिसर भी शामिल है।
करीब साढ़े तेरह एकड़ के एक ही परिसर में स्थापित  इन दोनों धार्मिक स्थल की सुरक्षा के लिए एक ओर जहां केन्द्र एवं प्रदेश सरकार ने भारी मात्रा में सुरक्षा बल तैनात किये वहीं दूसरी ओर कुछ सख्त आदेश-निर्देश भी दिए।
इन आदेश-निर्देशों में से एक प्रमुख आदेश इस आशय का था कि कृष्ण जन्मस्थान व शाही मस्जिद ईदगाह के यलो जोन में किसी भी प्रकार का नया निर्माण कार्य मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण की इजाजत के बिना न होने दिया जाए और विकास प्राधिकरण भी तब इजाजत दे जब निर्माण कार्य बहुत आवश्यक प्रतीत होता हो।
कृष्ण जन्मस्थान व शाही मस्जिद ईदगाह की सुरक्षा में तैनात एएसपी ने आश्चर्यजनक रूप से गत दिनों यलो जोन में एक धार्मिक इमारत के मुहाने पर बनी दुकानों की मरम्मत आदि कराने का मौखिक आदेश दे दिया। एडीएम लॉ एंड ऑर्डर ने भी इस मरम्मत कार्य पर अपनी मौन स्वीकृति दे दी जिसके परिणाम स्वरूप इससे जुड़े एक वर्ग विशेष के लोगों ने न केवल मरम्मत की आड़ में दुकानों की छत वाली दीवारें ऊंची उठवा दीं बल्कि मस्जिद के इर्द-गिर्द नई मीनारें खड़ी करने लगे।
इस आशय की सूचना मिलने पर मौखिक इजाजत देने वाले एएसपी (सुरक्षा) व एडीम (एल ओ) ने कंट्रोल रूम प्रभारी सब इंस्पेक्टर एस पी सिंह तथा एलआईयू के प्रभारी को सच्चाई का पता लगाने भेजा।
इन लोगों द्वारा मौके पर नियम विरुद्ध कार्य होते देख कार्य कराने वालों को तुरंत कार्य रोक देने का आदेश दिया। बावजूद इसके उन्होंने निर्माण कार्य नहीं रोका और रात के वक्त धार्मिक स्थल की छत पर एक कमरा तथा एक पाखाना खड़ा कर लिया।
यहां यह भी जान लेना जरूरी है कि इस समूचे निर्माण कार्य के लिए विकास प्राधिकरण से परमीशन लेना तो दूर, उसे इत्तला तक नहीं दी गई।
कृष्ण जन्म स्थान व शाही मस्जिद ईदगाह से सटी मीना मस्जिद नामक इस धार्मिक इमारत के परिसर में अवैध निर्माण कार्य कराये जाने तथा उसकी वजह से दोनों प्रमुख धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को भारी खतरा उत्पन्न होते देख जब पुलिस-प्रशासन ने सख्ती बरती तो उससे जुड़े लोगों ने सैंकड़ों की संख्या में एकत्र होकर विरोध स्वरूप सड़क व रेलमार्ग रोककर जुम्मे की नमाज अदा की।
सड़क व रेल मार्ग रोक कर इन लोगों को नमाज अदा करते जिसने भी देखा, उसके कान खड़े हो गए और चर्चाओं का बाजार गर्माने लगा।
संभवत: पुलिस प्रशासन से जुड़े उन अधिकारियों को भी अपनी चूक का अहसास हो चुका था जिन्होंने मरम्मत कराने की मौखिक इजाजत दी थी।
जो भी हो, लेकिन तीर तरकश से निकल चुका था लिहाजा उसे वापस लौटाना संभव नहीं रहा।
बेशक इस पूरे मामले के संज्ञान में आते ही मीना मस्जिद के पास भारी मात्रा में सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया है लेकिन इसके दूरगामी परिणाम खतरनाक साबित हो सकते हैं।
इससे दोनों प्रमुख धार्मिक स्थलों की सुरक्षा-व्यवस्था तो प्रभावित होगी ही, साथ ही नियम-कानून को ताक पर रखकर काम करने की प्रवृत्ति से तनाव व्याप्त होने की भी प्रबल आशंका बनी रहेगी।

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