मथुरा। ऐसा लगता है कि गोवर्धन के प्रसिद्ध मंदिरों में खुली लूट की छूट इरादतन दी जा रही है क्योंकि दानघाटी मंदिर में हुए करोड़ों रुपए के घपले के बावजूद इसे रोकने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा।
ऐसी आशंका के पीछे मुकुट मुखारबिंद मंदिर के रिसीवर रमाकांत गोस्वामी को अब तक लगभग उसी प्रकार के असीमित अधिकार प्राप्त होना है जिस प्रकार दानघाटी मंदिर के सहायक प्रबंधक डालचंद चौधरी को उसके जेल जाने से पहले तक प्राप्त थे।
दानघाटी मंदिर में हुए करीब 14 करोड़ रुपए के घपले की सुनवाई करते हुए न्यायिक अधिकारी अमर सिंह ने अपने पूर्ववर्ती न्यायिक अधिकारी पर बड़ी तल्ख टिप्पणी की है।
पीठासीन अधिकारी अमर सिंह के अनुसार दानघाटी मंदिर गोवर्धन में आज सामने आए करोड़ों रुपए के घोटाले की नींव 2014 में तत्कालीन पीठासीन अधिकारी के उस निर्णय से ही रख दी गई थी जिसमें उन्होंने डालचंद चौधरी को असीमित अधिकार दे दिए।
वर्तमान अधिकारी अमर सिंह का कहना है कि तत्कालीन अधिकारी द्वारा बोया गया अनियमितताओं का बीज ही आज करीब 14 करोड़ रुपए से अधिक की हेराफेरी के रूप में सामने खड़ा है।
दानघाटी मंदिर की ही भांति मुकुट मुखारबिंद मंदिर का मामला भी सिविल जज सीनियर डिवीजन चतुर्थ के न्यायालय में लंबित है।
इसके अलावा मुकुट मुखारबिंद मंदिर के रिसीवर रमाकांत गोस्वामी पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए एक शिकायत गत दिनों समाज के ही लोगों ने की थी।
दसविसा (गोवर्धन) निवासी राधारमन और प्रभुदयाल शर्मा ने मंदिर के रिसीवर रमाकांत गोस्वामी पर ठेकेदारों की मिलीभगत से करोड़ों रुपए की हेराफेरी करने का आरोप लगाया।
इन आरोपों की जांच एसडीएम गोवर्धन नागेन्द्र कुमार सिंह द्वारा की गई और उन्होंने प्रथम दृष्ट्या रिसीवर रमाकांत गोस्वामी पर लगाए गए आरोपों को सही पाया।
दरअसल, न्यायिक व्यवस्था के अनुसार रिसीवर को प्रत्येक दो माह में मंदिर का हिसाब-किताब पूरे स्टेटमेंट और बिल-बाउचर सहित न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना अनिवार्य है।
इसके अलावा 10 हजार रुपए से ऊपर के सभी खर्चों के लिए भी न्यायालय की अनुमति आवश्यक है।
एसडीएम गोवर्धन नागेन्द्र कुमार सिंह ने अपनी जांच आख्या में लिखा है कि मंदिर के रिसीवर द्वारा भूमि क्रय करने, फूल बंगले और पेंशन आदि के संबंध में न्यायालय की अनुमति लेने का कोई सबूत पेश नहीं किया गया। जिससे परिलक्षित होता है कि मंदिर के रिसीवर ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन न करते हुए घोर लापरवाही पूर्वक मंदिर की संपत्ति का दुरुपयोग किया।
इन हालातों में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या डालचंद चौधरी की तरह रमाकांत गोस्वामी को भी किसी स्तर से संरक्षण प्राप्त है और इसीलिए उन्हें मुड़िया पूर्णिमा जैसे पर्व पर भी सभी अधिकारों सहित मंदिर के रिसीवर का दायित्व सौंप रखा है।
गौरतलब है कि गोवर्धन का मुड़िया पूर्णिमा मेला देश ही नहीं विदेशों तक में मशहूर है और इस अवसर पर देश-विदेश से लाखों की तादाद में लोग गोवर्धन आते हैं। इसके लिए मंदिरों की भेंट-पूजा का ठेका अलग से उठाया जाता है क्योंकि साल में सर्वाधिक आमदनी इन्हीं दिनों में होती है।
इस चार दिवसीय मेले की भारी कमाई को देखते हुए ”दानघाटी मंदिर” की व्यवस्थाएं तो न्यायपालिका के स्तर से की गई हैं किंतु ”मुकुट मुखारबिंद मंदिर” की व्यवस्थाएं पहले की ही तरह ”रिसीवर” के हाथों में हैं।
इन हालातों में यदि रिसीवर रमाकांत गोस्वामी की मनमानी पर समय रहते अंकुश नहीं लगा तो दानघाटी मंदिर की तरह मुकुट मुखारबिंद मंदिर की संपत्ति का भी बड़ा घपला सामने आने की पूरी संभावना है।
शायद यही कारण है कि शिकायकर्ताओं के अलावा गोवर्धन के धर्म परायण लोग, आम जनता और श्रद्धालु भी यह पूछने लगे हैं कि जब एक ही प्रवृत्ति के दो अपराध सामने हैं और आरोप भी एक जैसे हैं तो मुकुट मुखारबिंद के रिसीवर रमाकांत गोस्वामी जेल से बाहर कैसे हैं जबकि दानघाटी मंदिर के सहायक प्रबंधक डालचंद चौधरी सलाखों के पीछे भेजे जा चुके हैं।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
ऐसी आशंका के पीछे मुकुट मुखारबिंद मंदिर के रिसीवर रमाकांत गोस्वामी को अब तक लगभग उसी प्रकार के असीमित अधिकार प्राप्त होना है जिस प्रकार दानघाटी मंदिर के सहायक प्रबंधक डालचंद चौधरी को उसके जेल जाने से पहले तक प्राप्त थे।
दानघाटी मंदिर में हुए करीब 14 करोड़ रुपए के घपले की सुनवाई करते हुए न्यायिक अधिकारी अमर सिंह ने अपने पूर्ववर्ती न्यायिक अधिकारी पर बड़ी तल्ख टिप्पणी की है।
पीठासीन अधिकारी अमर सिंह के अनुसार दानघाटी मंदिर गोवर्धन में आज सामने आए करोड़ों रुपए के घोटाले की नींव 2014 में तत्कालीन पीठासीन अधिकारी के उस निर्णय से ही रख दी गई थी जिसमें उन्होंने डालचंद चौधरी को असीमित अधिकार दे दिए।
वर्तमान अधिकारी अमर सिंह का कहना है कि तत्कालीन अधिकारी द्वारा बोया गया अनियमितताओं का बीज ही आज करीब 14 करोड़ रुपए से अधिक की हेराफेरी के रूप में सामने खड़ा है।
दानघाटी मंदिर की ही भांति मुकुट मुखारबिंद मंदिर का मामला भी सिविल जज सीनियर डिवीजन चतुर्थ के न्यायालय में लंबित है।
इसके अलावा मुकुट मुखारबिंद मंदिर के रिसीवर रमाकांत गोस्वामी पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए एक शिकायत गत दिनों समाज के ही लोगों ने की थी।
दसविसा (गोवर्धन) निवासी राधारमन और प्रभुदयाल शर्मा ने मंदिर के रिसीवर रमाकांत गोस्वामी पर ठेकेदारों की मिलीभगत से करोड़ों रुपए की हेराफेरी करने का आरोप लगाया।
इन आरोपों की जांच एसडीएम गोवर्धन नागेन्द्र कुमार सिंह द्वारा की गई और उन्होंने प्रथम दृष्ट्या रिसीवर रमाकांत गोस्वामी पर लगाए गए आरोपों को सही पाया।
दरअसल, न्यायिक व्यवस्था के अनुसार रिसीवर को प्रत्येक दो माह में मंदिर का हिसाब-किताब पूरे स्टेटमेंट और बिल-बाउचर सहित न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना अनिवार्य है।
इसके अलावा 10 हजार रुपए से ऊपर के सभी खर्चों के लिए भी न्यायालय की अनुमति आवश्यक है।
एसडीएम गोवर्धन नागेन्द्र कुमार सिंह ने अपनी जांच आख्या में लिखा है कि मंदिर के रिसीवर द्वारा भूमि क्रय करने, फूल बंगले और पेंशन आदि के संबंध में न्यायालय की अनुमति लेने का कोई सबूत पेश नहीं किया गया। जिससे परिलक्षित होता है कि मंदिर के रिसीवर ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन न करते हुए घोर लापरवाही पूर्वक मंदिर की संपत्ति का दुरुपयोग किया।
इन हालातों में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या डालचंद चौधरी की तरह रमाकांत गोस्वामी को भी किसी स्तर से संरक्षण प्राप्त है और इसीलिए उन्हें मुड़िया पूर्णिमा जैसे पर्व पर भी सभी अधिकारों सहित मंदिर के रिसीवर का दायित्व सौंप रखा है।
गौरतलब है कि गोवर्धन का मुड़िया पूर्णिमा मेला देश ही नहीं विदेशों तक में मशहूर है और इस अवसर पर देश-विदेश से लाखों की तादाद में लोग गोवर्धन आते हैं। इसके लिए मंदिरों की भेंट-पूजा का ठेका अलग से उठाया जाता है क्योंकि साल में सर्वाधिक आमदनी इन्हीं दिनों में होती है।
इस चार दिवसीय मेले की भारी कमाई को देखते हुए ”दानघाटी मंदिर” की व्यवस्थाएं तो न्यायपालिका के स्तर से की गई हैं किंतु ”मुकुट मुखारबिंद मंदिर” की व्यवस्थाएं पहले की ही तरह ”रिसीवर” के हाथों में हैं।
इन हालातों में यदि रिसीवर रमाकांत गोस्वामी की मनमानी पर समय रहते अंकुश नहीं लगा तो दानघाटी मंदिर की तरह मुकुट मुखारबिंद मंदिर की संपत्ति का भी बड़ा घपला सामने आने की पूरी संभावना है।
शायद यही कारण है कि शिकायकर्ताओं के अलावा गोवर्धन के धर्म परायण लोग, आम जनता और श्रद्धालु भी यह पूछने लगे हैं कि जब एक ही प्रवृत्ति के दो अपराध सामने हैं और आरोप भी एक जैसे हैं तो मुकुट मुखारबिंद के रिसीवर रमाकांत गोस्वामी जेल से बाहर कैसे हैं जबकि दानघाटी मंदिर के सहायक प्रबंधक डालचंद चौधरी सलाखों के पीछे भेजे जा चुके हैं।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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