बुधवार, 12 जनवरी 2022

“योगीराज श्रीकृष्‍ण” की जन्‍मभूमि से “सीएम योगी” के चुनाव लड़ने की चर्चाएं!


 इन दिनों योगीराज श्रीकृष्‍ण की जन्‍मभूमि से सीएम योगी आदित्‍यनाथ के चुनाव लड़ने की राजनीतिक हलकों में खूब चर्चा हो रही है। पांच राज्‍यों में होने वाले चुनावों से पहले इस तरह की चर्चा होने का एक प्रमुख कारण उनका राम, कृष्‍ण और विश्‍वनाथ की भूमि पर विशेष फोकस होना बताया जा रहा है।

चूंकि राम जन्‍मभूमि पर सर्वोच्‍च न्‍यायालय का आदेश आने के बाद वहां मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो चुका है, और काशी विश्‍वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन इसी महीने की 13 तारीख को पीएम मोदी करने जा रहे हैं इसलिए कहा जा रहा है कि अब कृष्‍ण जन्‍मभूमि यानी मथुरा पर पूरा ध्‍यान केंद्रित है।
कृष्‍ण जन्‍मस्‍थान क्षेत्र में बनी मथुरा की शाही मस्‍जिद ईदगाह के अंदर बाबरी ध्‍वंस के दिन 06 दिसंबर को लड्डू गोपाल का जलाभिषेक करने की घोषणा के बाद हालांकि पुलिस-प्रशासन ने अपनी सारी ताकत झोंक कर स्‍थिति को संभाल लिया किंतु इस बीच प्रदेश के उप मुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बयान यह बताते रहे कि मथुरा स्‍थित कृष्‍ण जन्‍मभूमि का मुद्दा अब उनकी प्राथमिकता है और वह धर्म व आस्‍था के मामले में कोई समझौता नहीं करेंगे।
उप मुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इन बयानों को आम जनता योगी सरकार की मंशा ही मान रही है, हालांकि पुलिस-प्रशासन हमेशा की तरह अपना काम करता दिखाई दे रहा है।
दरअसल, कुछ समय से एक प्रश्‍न इस आशय का उठाया जाने लगा है कि क्या रामनगरी अयोध्‍या तथा बाबा विश्‍वनाथ की नगरी काशी की अपेक्षा कृष्‍ण की नगरी मथुरा को योगी सरकार कम तरजीह दे रही है और इसीलिए मथुरा का विकास उसकी गरिमा के अनुरूप अब तक नहीं हो पाया है।
इसी संदर्भ में मथुरा के लोग भी उत्तर प्रदेश तीर्थ विकास परिषद् के कामकाज सहित उसके लिए नियुक्त अधिकारियों की नेकनीयती पर शंका कर रहे हैं, जिससे संदेश अच्‍छा नहीं जा रहा।
जाहिर है कि चुनावी मौसम में यह संदेश प्रदेश स्‍तर पर नुकसान पहुंचा सकता है क्‍योंकि इसका सीधा संबंध धर्म से है और धर्म की ध्‍वजा फिलहाल भाजपा ने ही उठा रखी है।
ऐसा कोई संदेश न जाए और इसका कोई खामियाजा न भुगतना पड़े इसलिए सीएम योगी आदित्‍यनाथ को मथुरा से लड़ाने पर विचार किए जाने की खबरें आ रही हैं।
भाजपा का शीर्ष नेतृत्‍व जानता है कि योगी को मथुरा से चुनाव लड़ाकर पूरे प्रदेश ही नहीं, देशभर तक यह बात पहुंचाई जा सकती है कि अयोध्‍या तथा काशी की तरह मथुरा भी भाजपा के शीर्ष एजेंडे का हिस्‍सा है और वह इसके विकास में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।
इस सबके अलावा यूं भी भाजपा मथुरा की 4 जीती हुई सीटों में से कोई सीट गंवाना नहीं चाहेगी। इसलिए संभव है कि योगी जी को यहां से चुनाव लड़ाने पर विचार किया जा रहा हो।
गौरतलब है कि आरएसएस ने मथुरा की कुल 5 विधानसभा सीटों में से 3 सीटों पर प्रत्‍याशी बदलने का मशविरा दिया था, जिसका सीधा अर्थ यह था कि सिटिंग विधायकों के बूते 2017 को दोहराना आसान नहीं होगा।
अब देखना यह है कि राम, कृष्‍ण, विश्‍वनाथ तीनों के पावन धामों को एक ही चश्‍मे से देखने का दावा करने वाली भाजपा क्या वाकई मथुरा को लेकर गंभीर है या फिलहाल होहल्‍ला मचाकर इसे होल्‍ड पर रखना चाहती है।
-सुरेन्‍द्र चतुर्वेदी

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