सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

ये कैसा मोक्ष: एबुंलेंस तक मयस्‍सर नहीं

भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजन बेहद नाराज़ हैं क्योंकि प्रशासन मृतकों के शवों को ले जाने के लिए एबुंलेंस तक मुहैय्या नहीं करा रहा है.
इलाहाबाद के स्वरुप रानी मेडिकल कॉलेज में मृतकों के परिजन आए हुए हैं और पोस्टमार्टम के बाद शवों को ले जा रहे हैं.

परिजन खुद ही कफन लेकर आए हैं और गाड़ियों की व्यवस्था भी खुद ही कर रहे हैं. लोगों में इस बात को लेकर बहुत गुस्सा है.
अभी तक कोई आला अधिकारी भगदड़ की घटना के बाद इलाहाबाद नहीं पहुंचा है. इतना ही नहीं, सरकार को कोई मंत्री भी यहां नहीं आया है.
कुंभ मेला आयुक्त देवेश चतुर्वेदी जब अस्पताल में पहुंचे तो लोगों ने उनके खिलाफ़ नारेबाज़ी की और उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया.
हालात ये हैं कि पोस्टमार्टम के बाद मृतकों के परिजन शवों को लेकर बैठे हुए हैं कि उन्हें कोई गाड़ी मिले ताकि वो अंतिम संस्कार के लिए लाश ले जा सकें.
घटनाक्रम
इससे पहले रेल मंत्री पवन कुमार बंसल ने इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ का कारण फुट ओवर ब्रिज के किनारे टूटने की बात से इंकार किया.
उन्होंने कहा, "मेरी जानकारी में रेलवे फुट ओवर ब्रिज के किनारे नहीं टूटे हैं... हमारी कोशिश है कि लोगों को शहर से वापस निकालने का इंतजाम किया जाए और हम इसके लिए इलाहाबाद से स्पेशल रेलगाड़ियों की सेवा शुरू कर रहे हैं."
इससे पहले यह कहा जा रहा था कि प्लेटफॉर्म नंबर छह के पास फुट ओवर ब्रिज के किनारे टूट गए थे.
और इसी वजह से कुंभ स्नान करके घर वापस लौट रहे श्रद्धालुओं के बीच भगदड़ मची थी.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने रेल मंत्री के हवाले से कहा है कि इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर भीड़-भाड़ खत्म करने की कोशिश की जा रही है.
जांच और मुआवजे की घोषणा
रेल मंत्री ने कहा है कि मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा प्रधानमंत्री कार्यालय से की जा रही है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर हुई दुर्घटना की जांच के आदेश दिए हैं और मृतकों के परिजनों को पांच लाख रुपए मुआवजे की भी घोषणा की है.
लेकिन इस बीच केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है.
केंद्र सरकार ने जहां इस हादसे के लिए राज्य सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया, वहीं आज़म ख़ान ने इसके लिए केंद्र सरकार ख़ासकर रेल मंत्रालय को ज़िम्मेदार क़रार दिया.
इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 36 लोगों के मारे जाने और 30 से ज्यादा लोगों के घायल होने का कारण राज्य पुलिस और रेलवे पुलिस के बीच तालमेल की कमी को बताया जा रहा है.
शवों की पहचान
घटना स्थल पर मौजूद बीबीसी संवाद्दाताओं ने बताया कि मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ में लगभग 3 करोड़ लोगों ने स्नान किया था और जब यह भीड़ वापस लौटने के लिए स्टेशन की तरफ बढ़ने लगी तो स्टेशन पर भीड़ के नियंत्रण का पूरा इंतजाम नहीं था.
बीबीसी संवाद्दाता रामदत्त त्रिपाठी के ने बताया कि कुंभ स्नान करके मेला स्थल से निकले लोगों के लिए शहर में ठीक से व्यवस्था नहीं की गई थी और बड़ी तादाद में लोगों को स्टेशन पहुंचने की इजाजत देने की गलती की गई.
इलाहाबाद के स्वरूप रानी अस्पताल में मृतकों के शव रखे गए हैं जिनमें 19 की पहचान कर ली गई है. इस भगदड़ में 30 से ज़्यादा लोग घायल भी हुए हैं.
इलाहाबाद में रेलवे के प्रवक्ता अमित मालवीय के अनुसार मारे जाने वालों में ज़्यादातर लोग उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश, बिहार, और महाराष्ट्र के रहने वाले हैं.
घटना स्थल पर मौजूद बीबीसी संवाद्दाताओं ने बताया कि बदइंतजामी की वजह से मृतकों के परिजनों में भारी रोष का माहौल है.
उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री आज़म ख़ान ने कहा, "ट्रेनें सूचारु रूप से चल रही हैं और यात्रियों या कुंभ में आए श्रद्धालुओं को परेशान होने की ज़रूरत नहीं है."
उन्होंने श्रद्धालुओं से संयम बरतने की अपील की .
प्लेटफॉर्म नंबर छह
हादसे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए रामदत्त त्रिपाठी का कहना है कि सुबह शाही स्नान के समय पर हुई अव्यवस्था के बाद से ही मार्क टुली समेत कई समीक्षक कह रहे थे कि इस बार के कुंभ में भीड़ नियंत्रण के लिए पुलिस की व्यवस्था चुस्त नही है.
शाही स्नान का जो घाट अखाड़ों के नागा साधुओं के लिए आरक्षित था, वहाँ भारी भीड़ जमा हो गई थी, जिसे घुड़सवार पुलिस की मदद से बड़ी मुश्किल से ख़ाली कराया जा सका.
यातायात नियंत्रण की तमाम योजना के बावजूद एक साथ इतनी भारी भीड़ घाटों पर आने देने का कोई औचित्य नही था.- BBC

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