नई दिल्ली । छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेताओं पर हुए
नक्सली हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अपनी जांच
में पाया है कि स्थानीय पुलिस हमले के तीन घंटे बाद मौके पर पहुंची।
छत्तीसगढ़ में 25 मई को हुए हमले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं सहित 28 लोग मारे गए।
एक समाचार पत्र के मुताबिक एनआईए ने अपनी जांच में पाया कि नक्सलियों से लड़ने के लिए पुलिस के पास पर्याप्त हथियार नहीं थे।
केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में एनआईए ने इस बात का उल्लेख किया है कि
बस्तर क्षेत्र के दरबा घाटी में कुछ मीडियाकर्मी शाम 6:30 बजे पहुंच गए लेकिन दरबा पुलिस स्टेशन की पुलिस घटना स्थल पर शाम 7:30 बजे पहुंची। दरबा पुलिस स्टेशन से घटना स्थल पर पहुंचने में मात्र 10 मिनट लगते हैं।
एनआईए के मुताबिक नक्सलियों ने इस हमले में चीन में बने गोला-बारूद का इस्तेमाल किया। एनआईए के अनुसार जिस रास्ते कांग्रेस पार्टी का काफिला जा रहा था उस रास्ते को सुरक्षित बनाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए थे।
खास बात यह है कि एजेंसी इस बर्बर हमले में किसी अंदर के आदमी का हाथ होने से इंकार नहीं कर रही है।
एक समाचार पत्र ने एनआईए सूत्रों के हवाले से कहा है, ‘इस बात का कोई तार्किक स्पष्टीकरण नहीं है कि नक्सलियों ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल और उनके पुत्र की हत्या क्यों की। बीते समय में ऐसी कोई घटना नहीं है जिससे यह लगे कि नक्सलियों के साथ नंद कुमार पटेल का सीधा संघर्ष या विवाद था।’
समाचार पत्र के मुताबिक, ‘वास्तव में नक्सलियों के प्रति पटेल का रुख नरम था लेकिन नक्सलियों ने पटेल और उनके पुत्र को तलाशने के बाद उनकी हत्या की। हमले की जांच कर रही एनआई का मानना है कि नंद कुमार पटेल और उनके पुत्र की ढूढ़कर हत्या करने के पीछे की तस्वीर कुछ दूसरी है क्योंकि नक्सलियों ने पूर्व विधायकों एवं स्थानीय नेताओं को छोड़ दिया था।’(एजेंसी)
छत्तीसगढ़ में 25 मई को हुए हमले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं सहित 28 लोग मारे गए।
एक समाचार पत्र के मुताबिक एनआईए ने अपनी जांच में पाया कि नक्सलियों से लड़ने के लिए पुलिस के पास पर्याप्त हथियार नहीं थे।
केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में एनआईए ने इस बात का उल्लेख किया है कि
बस्तर क्षेत्र के दरबा घाटी में कुछ मीडियाकर्मी शाम 6:30 बजे पहुंच गए लेकिन दरबा पुलिस स्टेशन की पुलिस घटना स्थल पर शाम 7:30 बजे पहुंची। दरबा पुलिस स्टेशन से घटना स्थल पर पहुंचने में मात्र 10 मिनट लगते हैं।
एनआईए के मुताबिक नक्सलियों ने इस हमले में चीन में बने गोला-बारूद का इस्तेमाल किया। एनआईए के अनुसार जिस रास्ते कांग्रेस पार्टी का काफिला जा रहा था उस रास्ते को सुरक्षित बनाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए थे।
खास बात यह है कि एजेंसी इस बर्बर हमले में किसी अंदर के आदमी का हाथ होने से इंकार नहीं कर रही है।
एक समाचार पत्र ने एनआईए सूत्रों के हवाले से कहा है, ‘इस बात का कोई तार्किक स्पष्टीकरण नहीं है कि नक्सलियों ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल और उनके पुत्र की हत्या क्यों की। बीते समय में ऐसी कोई घटना नहीं है जिससे यह लगे कि नक्सलियों के साथ नंद कुमार पटेल का सीधा संघर्ष या विवाद था।’
समाचार पत्र के मुताबिक, ‘वास्तव में नक्सलियों के प्रति पटेल का रुख नरम था लेकिन नक्सलियों ने पटेल और उनके पुत्र को तलाशने के बाद उनकी हत्या की। हमले की जांच कर रही एनआई का मानना है कि नंद कुमार पटेल और उनके पुत्र की ढूढ़कर हत्या करने के पीछे की तस्वीर कुछ दूसरी है क्योंकि नक्सलियों ने पूर्व विधायकों एवं स्थानीय नेताओं को छोड़ दिया था।’(एजेंसी)
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