रविवार, 15 दिसंबर 2013

गुजरात दंगों में PMO से हुए पत्राचार का नहीं होगा खुलासा

नई दिल्ली। 
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने 2002 में हुए गुजरात दंगों के 11 साल बाद भी उस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुए पत्र व्यवहार का खुलासा करने से इंकार कर दिया है. पीएमओ ने एक आरटीआई आवेदन का जवाब देते हुए पारदर्शिता संबंधी खंड 8-1(एच) का हवाला दिया जो उस सूचना को देने से छूट देता है जिससे अपराधियों के खिलाफ जांच या संदेह या अभियोग की प्रक्रिया बाधित हो.
इस जवाब ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या मोदी और तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी के बीच हुए पत्र व्यवहार में दंगाइयों या सामूहिक हत्या के जिम्मेदार लोगों के बारे में कोई जानकारी है.
आरटीआई आवेदन में पीएमओ और गुजरात सरकार के बीच 27 फरवरी 2002 से 30 अप्रैल 2002 तक राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर हुए सभी पत्र व्यवहार की प्रतियों की मांग की गई थी.
आवेदन में वाजपेयी और मोदी के बीच उस दौरान हुए पत्र व्यवहार की भी प्रतियां मांगी गई थीं, जब राज्य में माहौल तनावपूर्ण था.
देश के शीर्ष कार्यालय ने सूचना देने से इंकार करते हुए इसके पीछे के कारण के बारे में जानकारी नहीं दी जबकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि इस खंड के तहत सूचना देने से इंकार करने का अकाट्य कारण बताया जाना चाहिए.
न्यायमूर्ति रवींद्र भट्ट ने कहा था कि यह साफ है कि जांच प्रक्रिया की मौजूदगी मात्र को सूचना देने से इंकार करने का आधार नहीं बनाया जा सकता है. सूचना रखने वाले प्राधिकरण को संतोषजनक कारण बताना चाहिए कि जानकारी को उजागर करने से जांच प्रक्रिया कैसे बाधित होगी.
-एजेंसी

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