विश्व प्रसिद्ध धार्मिक नगरियों में शुमार कृष्ण की पावन जन्मस्थली
मथुरा में जिस प्रकार जगह-जगह विभिन्न धर्मध्वजाएं फहराती दिखाई देती
हैं, उसी प्रकार यहां कदम-कदम पर बेनामी संपत्तियों की भी भरमार है।
नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार तथा योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी की भाजपा सरकार से बेनामी संपत्तियों को लेकर मिल रहे कठोर संकेतों पर यदि भरोसा करें और मानें तो निकट भविष्य में बेनामी संपत्तियां सरकार की अगली टारगेट बनने जा रही हैं, तो तय जानिए कि उत्तर प्रदेश के अंदर मथुरा निश्चित ही पहला स्थान प्राप्त करेगा।
बताया जाता है कि समय-समय पर राजनीतिक पार्टियां बदलने में माहिर तथा विभिन्न मंत्री पदों को सुशोभित करते रहे एक नेताजी भी अरबों रुपए की बेनामी संपत्ति के मालिक हैं। इनकी बेनामी संपत्ति सर्वाधिक उसी व्यक्ति के नाम है जो कभी फोर्थक्लास सरकारी मुलाजिम था और हमेशा उनका खास मुंहलगा बना रहा।
गौरतलब है कि हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तर प्रदेश शासन को इस आशय के संकेत दिए है कि पार्टी बहुत जल्द कुछ मंत्रियों के साथ आरएसएस के कार्यकर्ताओं को अटैच करने वाली है।
दरअसल, अमित शाह को जानकारी मिली है कि कुछ मंत्रियों ने यूपी में शासन के इस अल्पकाल के अंदर ही बड़ी कमाई कर ली है। इसमें जहां कुछ दूसरे दलों से आए आदतन भ्रष्ट नेता हैं वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो पहली बार मिले मौके का पूरा लाभ ईमानदार सरकार की आड़ लेकर उठा लेना चाहते हैं।
एक दूसरे दल के नेताजी का काफी पैसा मथुरा बेस्ड उत्तर भारत की नामचीन रियल एस्टेट कंपनी में लगा है और इस पैसे की देखभाल के लिए उन्होंने बाकायदा अपने एक खासमखास को कंपनी में डायरेक्टर का पद दिलवा रखा है।
केन्द्र में कांग्रेस की सरकार रहते एक प्रदेश स्तरीय कांग्रेसी नेता ने भी इस धार्मिक नगरी का विकास कराने की आड़ में जमकर अपना और अपने परिवार का विकास किया।
इन नेताजी की बेनामी संपत्तियों को जिस दिन सरकार खंगालने बैठ गई, उस दिन लोगों की आंखें फटी की फटी रह जाएंगी।
पॉश कालोनियों में कई-कई आलीशान मकानों के साथ-साथ इनका पैसा दूसरे धंधों में भी लगा है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार धर्म की इस नगरी में ऐसे अधर्मियों की संख्या सैकड़ों नहीं, हजारों में है जो कुछ समय पहले तक रोटी-रोटी को मोहताज थे किंतु आज वह करोड़ों की बजाय अरबों में खेल रहे हैं।
ऐसे तत्वों में एक ओर जहां रजिस्ट्री ऑफिस के मामूली से कर्मचारी शामिल हैं वहीं दूसरी ओर ऐसे लोग भी हैं जो यहीं सरकारी विभाग में बतौर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तैनात रह चुके हैं। सरकारी विभाग के ऐसे ही एक कर्मचारी की गिनती तो अब शहर के प्रसिद्ध बिल्डर्स एवं ठेकेदारों में की जाती है।
रियल एस्टेट के एक ऐसे ही बड़े कारोबारी को कुछ वर्षों पहले तक मथुरा के लोगों ने मामूली मजदूरी करते देखा है। उनके भाई भी कंधे पर टीवी उठाए-उठाए घर-घर पूरी रात फिल्मों के वीडियो दिखाने का काम करते थे लेकिन आज यह ”भाई लोग” बेनामी संपत्तियों के बेताज बादशाह हैं।
मथुरा में तैनात रहे पुलिस के उच्च अधिकारियों से लेकर उपाधीक्षक तक और दरोगा से लेकर सिपाही तक ऐसे-ऐसे हैं, जिनकी यहां करोड़ों की बेनामी संपत्ति है।
पुलिस के कई अधिकारियों की बेनामी संपत्तियों का संरक्षण आज भी उनके नुमाइंदे ही कर रहे हैं क्योंकि कागजों में वही उसके मालिक हैं।
एक दशक से अधिक मथुरा में विभिन्न थानों के प्रभारी पद पर रहे दरोगा की संपत्ति चौंकाने वाली है। उसके दो मकान उसके गृह जनपद में हैं जबकि करोड़ों रुपए मूल्य के दो मकान मथुरा में हैं। गोवर्धन के सर्वाधिक कीमती क्षेत्र में हजार वर्ग गज का प्लॉट है और एक प्लॉट नोएडा में है।
इसी प्रकार मथुरा में तैनात कई पुलिस के दरोगा और यहां तक कि सिपाहियों को भी 10 से 15 लाख रुपए मूल्य वाली लग्जरी गाड़ियां इस्तेमाल करते कभी भी देखा जा सकता है।
बात चाहे विकास प्राधिकरण के अधिकारी और कर्मचारियों की करें अथवा सार्वजनिक लोक निर्माण विभाग या सहायक संभागीय परिवहन विभाग की, धर्म की इस नगरी में इन विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारियों ने जमकर लूट मचाई है। विकास प्राधिकरण में कार्यरत रहे एक कर्मचारी के तो अपने ही विभाग द्वारा विकसित एक ही कॉलोनी में आठ मकान बताए जाते हैं। एक अन्य पूर्व कर्मचारी की गिनती आज शहर के बड़े ठेकेदारों में होती है।
बताया जाता है कि विकास प्राधिकरण में यहां तैनात रहे कुछ अधिकारी एवं कर्मचारियों ने तो स्थानीय पत्रकारों को ही अपना हमराज बना रखा है। इन पत्रकारों के नाम न सिर्फ उन्होंने अपनी संपत्तियों ले रखी हैं बल्कि उनके माध्यम से रियल एस्टेट में अच्छा-खासा निवेश भी किया हुआ है। बेनामी संपत्ति बनाने में कई अधिकारियों की मथुरा के कारोबारियों से भी सांठगांठ सामने आई है।
पता लगा है कि अक्सर न्यायिक, पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों के इर्द-गिर्द मंडराते देखे जाने वाले इन कारोबारियों का मुख्य उद्देश्य ही उनकी भ्रष्टाचार से कमाई गई रकम का मुकम्मल बंदोबस्त करना है। समाजसेवियों का टैग लगाकर घूमने वाले ऐसे कारोबारी ऊपरी तौर पर तो उनके ”फैमिली फ्रेंड” बने रहते हैं किंतु असलियत में वह उनकी ब्लैक मनी के राजदार हैं।
बिजली विभाग के अधिकारी तथा कर्मचारियों की भी मथुरा में अकूत बेनामी संपत्ति बताई जाती है। मथुरा में लंबे समय तक तैनात रहे बिजली विभाग के एक क्लर्क और सब रजिस्ट्रार ऑफिस मथुरा के एक क्लर्क की अचल संपत्ति का आलम यह है कि शहर का कोई इलाका, कोई पॉश कॉलोनी ऐसी नहीं है जहां इनकी कीमती संपत्तियों न हों।
पिछले दिनों तो इस चक्कर में एक बिजली अधिकारी ने अपने यहां हुई करोड़ों रुपए मूल्य की चोरी का ब्यौरा तक पुलिस को उपलब्ध नहीं कराया जबकि पुलिस बार-बार उनसे चोरी गए सामान का ब्यौरा मांगती रही।
कहा जाता है कि अधर्म के लिए धर्म से बड़ी कोई आड़ नहीं होती। मथुरा जनपद के विभिन्न धार्मिक स्थलों में निर्मित आलीशान कॉलोनियों, मठ एवं मंदिरों और यहां तक कि हाल ही में बड़ी तेजी से खड़ी होने वाली मस्जिदों का सच खंगाला जाए तो पता लगेगा कि सरकार की सोच से कहीं ज्यादा बेनामी संपत्ति वहां मौजूद है। इनके संचालकों की सच्चाई पता करने के लिए उनके बही-खाते ही काफी हैं क्योंकि आज भी वह बहुत कुछ बोल सकते हैं, बता सकते हैं।
मथुरा जनपद में यहां-वहां फैली संपत्ति के लिए हत्या, लूट और डकैती के साथ-साथ लड़ाई झगड़े तक हुए हैं और होते रहते हैं किंतु पूरा सच कभी सामने नहीं आता क्योंकि इनमें से अधिकांश संपत्तियां बेनामी हैं।
कुछ महीनों पहले वृंदावन के एक बाबा और वहीं के एक कारोबारी के बीच करोड़ों के लेनदेन का झगड़ा सामने आया था। इस झगड़े में एक प्रदेश स्तरीय बाहरी नेता के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई थी किंतु छद्म लेनदेन और बेनामी संपत्ति होने के कारण दोनों पक्ष ने सुलह करके विवाद निपटाना ज्यादा उचित समझा अन्यथा सच्चाई सामने आने पर कई चेहरों के बेनकाब होने का डर था।
बेनामी संपत्तियों के बेताज बादशाहों की फेहरिस्त में कुछ स्थानीय चिकित्सकों का नाम भी काफी ऊपर है। इन चिकित्सकों ने मथुरा ही नहीं, मथुरा से बाहर भी अच्छी-खासी बेनामी संपत्तियां बना रखी हैं लेकिन आजतक कानून की गिरफ्त में नहीं आए हैं।
सरकारी सूत्र बताते हैं कि केंद्र तथा प्रदेश की सरकारों ने इनका पूरा कच्चा चिठ्ठा तैयार कर लिया है और जिस दिन सरकारी एजेंसियों ने मथुरा को खंगालना शुरू किया, उस दिन इन सफेदपोशों को सींखचों के अंदर जाने से कोई रोक नहीं पाएगा।
शासन स्तर से प्राप्त जानकारियों के मुताबिक सात मोक्षदायिनी नगरियों में स्थान प्राप्त कृष्ण की इस पावन जन्मस्थली के विकास पर जिस तरह मोदी एवं योगी की सरकारें अपना पूरा ध्यान केंद्रित किए हुए हैं और अगले लोकसभा चुनावों तक उन्हें अमल में लाना चाहती हैं, उसी प्रकार वह यह भी चाहती हैं कि धर्म की आड़ लेकर अब तक यहां एकत्र की जाती रही बेनामी संपत्ति एवं काली कमाई भी सार्वजनिक हो जिससे भविष्य में कोई ऐसी संपत्ति बनाने से पहले एक-दो बार नहीं, कई-कई बार विचार करने पर मजबूर हो जाए।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार तथा योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी की भाजपा सरकार से बेनामी संपत्तियों को लेकर मिल रहे कठोर संकेतों पर यदि भरोसा करें और मानें तो निकट भविष्य में बेनामी संपत्तियां सरकार की अगली टारगेट बनने जा रही हैं, तो तय जानिए कि उत्तर प्रदेश के अंदर मथुरा निश्चित ही पहला स्थान प्राप्त करेगा।
बताया जाता है कि समय-समय पर राजनीतिक पार्टियां बदलने में माहिर तथा विभिन्न मंत्री पदों को सुशोभित करते रहे एक नेताजी भी अरबों रुपए की बेनामी संपत्ति के मालिक हैं। इनकी बेनामी संपत्ति सर्वाधिक उसी व्यक्ति के नाम है जो कभी फोर्थक्लास सरकारी मुलाजिम था और हमेशा उनका खास मुंहलगा बना रहा।
गौरतलब है कि हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तर प्रदेश शासन को इस आशय के संकेत दिए है कि पार्टी बहुत जल्द कुछ मंत्रियों के साथ आरएसएस के कार्यकर्ताओं को अटैच करने वाली है।
दरअसल, अमित शाह को जानकारी मिली है कि कुछ मंत्रियों ने यूपी में शासन के इस अल्पकाल के अंदर ही बड़ी कमाई कर ली है। इसमें जहां कुछ दूसरे दलों से आए आदतन भ्रष्ट नेता हैं वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो पहली बार मिले मौके का पूरा लाभ ईमानदार सरकार की आड़ लेकर उठा लेना चाहते हैं।
एक दूसरे दल के नेताजी का काफी पैसा मथुरा बेस्ड उत्तर भारत की नामचीन रियल एस्टेट कंपनी में लगा है और इस पैसे की देखभाल के लिए उन्होंने बाकायदा अपने एक खासमखास को कंपनी में डायरेक्टर का पद दिलवा रखा है।
केन्द्र में कांग्रेस की सरकार रहते एक प्रदेश स्तरीय कांग्रेसी नेता ने भी इस धार्मिक नगरी का विकास कराने की आड़ में जमकर अपना और अपने परिवार का विकास किया।
इन नेताजी की बेनामी संपत्तियों को जिस दिन सरकार खंगालने बैठ गई, उस दिन लोगों की आंखें फटी की फटी रह जाएंगी।
पॉश कालोनियों में कई-कई आलीशान मकानों के साथ-साथ इनका पैसा दूसरे धंधों में भी लगा है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार धर्म की इस नगरी में ऐसे अधर्मियों की संख्या सैकड़ों नहीं, हजारों में है जो कुछ समय पहले तक रोटी-रोटी को मोहताज थे किंतु आज वह करोड़ों की बजाय अरबों में खेल रहे हैं।
ऐसे तत्वों में एक ओर जहां रजिस्ट्री ऑफिस के मामूली से कर्मचारी शामिल हैं वहीं दूसरी ओर ऐसे लोग भी हैं जो यहीं सरकारी विभाग में बतौर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तैनात रह चुके हैं। सरकारी विभाग के ऐसे ही एक कर्मचारी की गिनती तो अब शहर के प्रसिद्ध बिल्डर्स एवं ठेकेदारों में की जाती है।
रियल एस्टेट के एक ऐसे ही बड़े कारोबारी को कुछ वर्षों पहले तक मथुरा के लोगों ने मामूली मजदूरी करते देखा है। उनके भाई भी कंधे पर टीवी उठाए-उठाए घर-घर पूरी रात फिल्मों के वीडियो दिखाने का काम करते थे लेकिन आज यह ”भाई लोग” बेनामी संपत्तियों के बेताज बादशाह हैं।
मथुरा में तैनात रहे पुलिस के उच्च अधिकारियों से लेकर उपाधीक्षक तक और दरोगा से लेकर सिपाही तक ऐसे-ऐसे हैं, जिनकी यहां करोड़ों की बेनामी संपत्ति है।
पुलिस के कई अधिकारियों की बेनामी संपत्तियों का संरक्षण आज भी उनके नुमाइंदे ही कर रहे हैं क्योंकि कागजों में वही उसके मालिक हैं।
एक दशक से अधिक मथुरा में विभिन्न थानों के प्रभारी पद पर रहे दरोगा की संपत्ति चौंकाने वाली है। उसके दो मकान उसके गृह जनपद में हैं जबकि करोड़ों रुपए मूल्य के दो मकान मथुरा में हैं। गोवर्धन के सर्वाधिक कीमती क्षेत्र में हजार वर्ग गज का प्लॉट है और एक प्लॉट नोएडा में है।
इसी प्रकार मथुरा में तैनात कई पुलिस के दरोगा और यहां तक कि सिपाहियों को भी 10 से 15 लाख रुपए मूल्य वाली लग्जरी गाड़ियां इस्तेमाल करते कभी भी देखा जा सकता है।
बात चाहे विकास प्राधिकरण के अधिकारी और कर्मचारियों की करें अथवा सार्वजनिक लोक निर्माण विभाग या सहायक संभागीय परिवहन विभाग की, धर्म की इस नगरी में इन विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारियों ने जमकर लूट मचाई है। विकास प्राधिकरण में कार्यरत रहे एक कर्मचारी के तो अपने ही विभाग द्वारा विकसित एक ही कॉलोनी में आठ मकान बताए जाते हैं। एक अन्य पूर्व कर्मचारी की गिनती आज शहर के बड़े ठेकेदारों में होती है।
बताया जाता है कि विकास प्राधिकरण में यहां तैनात रहे कुछ अधिकारी एवं कर्मचारियों ने तो स्थानीय पत्रकारों को ही अपना हमराज बना रखा है। इन पत्रकारों के नाम न सिर्फ उन्होंने अपनी संपत्तियों ले रखी हैं बल्कि उनके माध्यम से रियल एस्टेट में अच्छा-खासा निवेश भी किया हुआ है। बेनामी संपत्ति बनाने में कई अधिकारियों की मथुरा के कारोबारियों से भी सांठगांठ सामने आई है।
पता लगा है कि अक्सर न्यायिक, पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों के इर्द-गिर्द मंडराते देखे जाने वाले इन कारोबारियों का मुख्य उद्देश्य ही उनकी भ्रष्टाचार से कमाई गई रकम का मुकम्मल बंदोबस्त करना है। समाजसेवियों का टैग लगाकर घूमने वाले ऐसे कारोबारी ऊपरी तौर पर तो उनके ”फैमिली फ्रेंड” बने रहते हैं किंतु असलियत में वह उनकी ब्लैक मनी के राजदार हैं।
बिजली विभाग के अधिकारी तथा कर्मचारियों की भी मथुरा में अकूत बेनामी संपत्ति बताई जाती है। मथुरा में लंबे समय तक तैनात रहे बिजली विभाग के एक क्लर्क और सब रजिस्ट्रार ऑफिस मथुरा के एक क्लर्क की अचल संपत्ति का आलम यह है कि शहर का कोई इलाका, कोई पॉश कॉलोनी ऐसी नहीं है जहां इनकी कीमती संपत्तियों न हों।
पिछले दिनों तो इस चक्कर में एक बिजली अधिकारी ने अपने यहां हुई करोड़ों रुपए मूल्य की चोरी का ब्यौरा तक पुलिस को उपलब्ध नहीं कराया जबकि पुलिस बार-बार उनसे चोरी गए सामान का ब्यौरा मांगती रही।
कहा जाता है कि अधर्म के लिए धर्म से बड़ी कोई आड़ नहीं होती। मथुरा जनपद के विभिन्न धार्मिक स्थलों में निर्मित आलीशान कॉलोनियों, मठ एवं मंदिरों और यहां तक कि हाल ही में बड़ी तेजी से खड़ी होने वाली मस्जिदों का सच खंगाला जाए तो पता लगेगा कि सरकार की सोच से कहीं ज्यादा बेनामी संपत्ति वहां मौजूद है। इनके संचालकों की सच्चाई पता करने के लिए उनके बही-खाते ही काफी हैं क्योंकि आज भी वह बहुत कुछ बोल सकते हैं, बता सकते हैं।
मथुरा जनपद में यहां-वहां फैली संपत्ति के लिए हत्या, लूट और डकैती के साथ-साथ लड़ाई झगड़े तक हुए हैं और होते रहते हैं किंतु पूरा सच कभी सामने नहीं आता क्योंकि इनमें से अधिकांश संपत्तियां बेनामी हैं।
कुछ महीनों पहले वृंदावन के एक बाबा और वहीं के एक कारोबारी के बीच करोड़ों के लेनदेन का झगड़ा सामने आया था। इस झगड़े में एक प्रदेश स्तरीय बाहरी नेता के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई थी किंतु छद्म लेनदेन और बेनामी संपत्ति होने के कारण दोनों पक्ष ने सुलह करके विवाद निपटाना ज्यादा उचित समझा अन्यथा सच्चाई सामने आने पर कई चेहरों के बेनकाब होने का डर था।
बेनामी संपत्तियों के बेताज बादशाहों की फेहरिस्त में कुछ स्थानीय चिकित्सकों का नाम भी काफी ऊपर है। इन चिकित्सकों ने मथुरा ही नहीं, मथुरा से बाहर भी अच्छी-खासी बेनामी संपत्तियां बना रखी हैं लेकिन आजतक कानून की गिरफ्त में नहीं आए हैं।
सरकारी सूत्र बताते हैं कि केंद्र तथा प्रदेश की सरकारों ने इनका पूरा कच्चा चिठ्ठा तैयार कर लिया है और जिस दिन सरकारी एजेंसियों ने मथुरा को खंगालना शुरू किया, उस दिन इन सफेदपोशों को सींखचों के अंदर जाने से कोई रोक नहीं पाएगा।
शासन स्तर से प्राप्त जानकारियों के मुताबिक सात मोक्षदायिनी नगरियों में स्थान प्राप्त कृष्ण की इस पावन जन्मस्थली के विकास पर जिस तरह मोदी एवं योगी की सरकारें अपना पूरा ध्यान केंद्रित किए हुए हैं और अगले लोकसभा चुनावों तक उन्हें अमल में लाना चाहती हैं, उसी प्रकार वह यह भी चाहती हैं कि धर्म की आड़ लेकर अब तक यहां एकत्र की जाती रही बेनामी संपत्ति एवं काली कमाई भी सार्वजनिक हो जिससे भविष्य में कोई ऐसी संपत्ति बनाने से पहले एक-दो बार नहीं, कई-कई बार विचार करने पर मजबूर हो जाए।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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