योगीराज भगवान श्रीकृष्ण की पावन जन्मस्थली से 2014 में अपने राजनीतिक सफर का पहला लोकसभा चुनाव भाजपा के टिकट पर लड़ने उतरीं अभिनेत्री हेमा मालिनी को मथुरा की जनता ने बड़ी जीत के साथ सिर-आंखों पर बैठाया।
रुपहले पर्दे की स्वप्न सुंदरी ने भी ब्रजवासियों के मन में तमाम उम्मीदें पैदा कर दीं और कहा कि वह यहीं रहकर ब्रज की सेवा करेंगी।
वह यहां कितनी रहीं और ब्रज की उन्होंने कितनी सेवा की, इसका जवाब तो जनता 18 अप्रैल को दे देगी किंतु एक जवाब जनता मतदान से पहले चाहती है।
वह अपनी सांसद हेमा मालिनी से जानना चाहती है कि ये “ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट” क्या है और इससे किसे लाभ हुआ ?
दरअसल, सांसद निर्वाचित हो जाने के बाद हेमा मालिनी ने मथुरा के रजिस्ट्रार कार्यालय-1 के यहां से मई 2015 में “ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट” के नाम से एक गैर सरकारी संस्था रजिस्टर कराई थी।
इस संस्था में स्वयं हेमा मालिनी के अतिरिक्त उनके वसंत विहार दिल्ली निवासी समधी विपिन वोहरा, उनके चेन्नई (तमिलनाडु) निवासी भाई रामानुजम कन्नन चक्रवर्ती, प्रताप बाजार वृंदावन निवासी विपिन कुमार अग्रवाल तथा आर्मी एरिया मथुरा के बसंतर मार्ग निवासी CA अभिषेक गर्ग प्रमुख रूप से शामिल किए गए।
ट्रस्टियों के अनुसार इस संस्था को रजिस्टर कराने का उद्देश्य मथुरा जनपद का चौमुखी विकास करना था जिसमें ब्रजभूमि, ब्रजभाषा, ब्रज साहित्य एवं ब्रज की कलाओं के साथ-साथ ब्रज की संस्कृति को विभिन्न तरीकों से संरक्षित व संवर्धित करना बताया गया।
इसके अलावा ऐसे कार्यक्रम आयोजित करना तथा उद्योग-धंधों को स्थापित करना जिससे स्थानीय किसान एवं स्थानीय नागरिकों को लाभ मिल सके।
ट्रस्ट की स्थापना का मकसद शिक्षा, चिकित्सा एवं खेल-कूदों को बढ़ावा देना भी बताया गया।
आश्चर्य की बात यह है कि इतने महत्वपूर्ण कार्यों के लिए रजिस्टर कराए गए हेमा जी के इस ट्रस्ट का पता आम जनता को चार साल बीत जाने के बाद तब लगा जब पिछले साल उनके द्वारा कराए गए होली कार्यक्रम के खर्चे पर सवाल उठने लगे।
बहरहाल, अब मुद्दा यह है कि हेमा मालिनी एकबार फिर जनता के बीच हैं। उन्हें भाजपा ने दोबारा कृष्ण की नगरी से अपना लोकसभा प्रत्याशी बनाया है।
इन चुनावों के लिए हेमा मालिनी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में 25 मार्च को नामांकन दाखिल किया। किंतु अपने नामांकन पत्र में हेमा मालिनी ने “ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट” का कोई उल्लेख नहीं किया है।
हो सकता है कि किसी ट्रस्ट की जानकारी देना चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों से बाहर हो परंतु नैतिकता का तकाजा है कि उन्हें ब्रजवासियों को “ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट” के क्रिया-कलापों एवं आय-व्यय से अवगत कराना चाहिए।
वैसे किसी ऐसे ट्रस्ट की जानकारी नामांकन पत्र में दिया जाना जरूरी है या नहीं, इस बात की जानकारी करने का काफी प्रयास किया गया।
सबसे पहले चुनाव आयोग द्वारा मथुरा भेजे गए पर्यवेक्षक IAS डॉ. संजीव भटनागर से उनके अधिकृत मोबाइल नंबर 8445087465 पर कॉल किया गया जो उनके निजी सचिव ने उठाया। सारी बात सुनने के बाद उसने कहा कि वह थोड़ी देर में साहब से बात करा देंगे लेकिन फिर कोई बात नहीं कराई गई।
संजीव भटनागर के बाद दूसरे पर्यवेक्षक बी. गांधी को उनके मोबाइल नंबर 7037688371 पर कॉल किया गया। मिस्टर गांधी का फोन भी उनके निजी सचिव ने उठाया। उसका कहना था कि हमारे साहब को चूंकि सिर्फ एक्सपेंडिचर देखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है लिहाजा किसी ट्रस्ट के बारे में चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों की जानकरी जनरल पर्यवेक्षक यानि डॉ. संजीव भटनागर ही दे सकेंगे।
इस जानकारी के बाद कल सुबह करीब 11 बजे एसएमएस भेजकर डॉ. संजीव भटनागर से स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया परंतु आज 24 घंटों से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी पर्यवेक्षक डॉ. संजीव भटनागर की ओर से जवाब नहीं मिला है।
यहां यह जान लेना जरूरी है कि चुनाव आयोग ने मथुरा के लिए तीन पर्यवेक्षकों की तैनाती की है। इनमें से पहले हैं IAS डॉ. संजीव भटनागर, दूसरे हैं IRS बी. गांधी तथा तीसरे हैं IPS अमर सिंह चहल। चहल साहब का नंबर 8445088009 है।
गिफ्ट में मिला है वृंदावन की ओमेक्स सिटी का आलीशान बंगला
इसके अलावा हेमा जी ने नामांकन पत्र में वृंदावन की ओमेक्स सिटी के नवनिर्मित आलीशान बंगले को गिफ्ट में मिला बताया है। यह गिफ्ट किसने दिया, इसका ब्योरा देना शायद जरूरी नहीं समझा।
कांग्रेस प्रत्याशी के भाई से हैं अच्छे संबंध
हेमा जी के जिन लोगों से अच्छे संबंध हैं उनमें मथुरा के कांगेस प्रत्याशी महेश पाठक के सगे छोटे भाई सुरेश पाठक (छोटू) भी शामिल हैं।
किसी जमाने में सुरेश पाठक (छोटू) ने मथुरा के छाता क्षेत्र में एसवीसी पेट्रो कैमिकल के नाम से एक इंडस्ट्री की नींव रखी थी परंतु यह इंडस्ट्री नींव से ऊपर नहीं उठ सकी।
सुरेश पाठक (छोटू) के लिए फूड पार्क !
बताया जाता है कि अब हेमा जी अपने प्रयासों से सुरेश पाठक को उसी जमीन पर एक फूड पार्क बनवाकर देना चाहती हैं जिसका पिछले दिनों उन्होंने उद्घाटन भी किया था।
आज भी छाता क्षेत्र में नेशनल हाईवे के किनारे इस संभावित फूड पार्क का बोर्ड लगा देखा जा सकता है।
हेमा जी कहती हैं कि उन्होंने मथुरा में बहुत विकास कार्य किए। इतने कि जितने अब तक किसी अन्य जनप्रतिनिधि ने नहीं किए। वह यह भी कहती हैं कि इसके बावजूद कुछ विकास कार्य अभी बाकी हैं जिन्हें पूरा कराने के लिए ही वह दोबारा चुनाव मैदान में उतरी हैं।
हालांकि हेमा जी ने कभी यह नहीं बताया कि अधूरे पड़े विकास कार्य कौन-कौन से हैं और उनमें कहीं सुरेश पाठक को सौंपा जाने वाला फूड पार्क तो नहीं है।
भविष्य में आम चुनाव न लड़ने की घोषणा क्यों
मथुरा की जनता के मन में एक सवाल और यह उठ रहा है कि नामांकन दाखिल करने से पहले हेमा मालिनी ने अचानक यह क्यों कहा कि यह उनका आखिरी लोकसभा चुनाव होगा और इसके बाद स्थानीय लोग यहां से चुनाव लड़ सकेंगे।
बताया जाता है कि इसके पीछे दो कारण रहे। पहला कारण उनके प्रति पार्टीजनों में व्याप्त नाराजगी, और दूसरा कारण आखिरी चुनाव बताकर जनता के बीच यह संदेश देना कि मैं अब भी ब्रज की सेवा करना चाहती हूं इसलिए मुझे एक मौका और दिया जाए।
क्या कहती है जनता
उधर आम जनता से जब हेमा मालिनी की इस घोषणा पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो अधिकांश लोगों का यह कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर भले ही उन्हें वोट मिल जाए किंतु उनकी घोषणा का तो उलटा असर हो रहा है।
आम मतदाता का कहना है कि जब पिछले चुनावों के वक्त बड़े-बड़े वायदे करने के बावजूद हेमा मालिनी कभी जनता के लिए तो क्या, पार्टीजनों के लिए भी उपलब्ध नहीं रहीं तो आखिरी चुनाव जीतकर भी क्यों उपलब्ध होंगी।
लोगों का कहना है कि 2014 में हेमा मालिनी ने ये वादा भी किया था कि वह मथुरा में रहकर स्थानीय जनता की सेवा करेंगी और यहीं स्थाई निवास बनाएंगी किंतु उन्होंने चार साल से अधिक का समय होटल में रहकर बिता दिया। कुछ समय पहले वृंदावन की ओमेक्स सिटी में घर बनवाया भी किंतु तब भी आम लोगों की समस्याएं सुनने के लिए कभी समय नहीं निकाला।
जो भी हो, जनता की शिकवा-शिकायत अपनी जगह परंतु हेमा मालिनी को यह तो बताना ही चाहिए कि जिस “ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट” का रजिस्ट्रेशन ही उन्होंने ब्रज के विकास हेतु करवाया था, उसके माध्यम से किसका और कितना विकास हुआ। उसमें ब्रज के विकास के लिए किस-किसने और कितना योगदान दिया तथा किस-किस क्षेत्र में ट्रस्ट के पैसे का उपयोग किया गया।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
रुपहले पर्दे की स्वप्न सुंदरी ने भी ब्रजवासियों के मन में तमाम उम्मीदें पैदा कर दीं और कहा कि वह यहीं रहकर ब्रज की सेवा करेंगी।
वह यहां कितनी रहीं और ब्रज की उन्होंने कितनी सेवा की, इसका जवाब तो जनता 18 अप्रैल को दे देगी किंतु एक जवाब जनता मतदान से पहले चाहती है।
वह अपनी सांसद हेमा मालिनी से जानना चाहती है कि ये “ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट” क्या है और इससे किसे लाभ हुआ ?
हेमा जी प्लीज…अब तो बता दीजिए कि ये “ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट” क्या है ? फोटो -1 |
हेमा जी प्लीज…अब तो बता दीजिए कि ये “ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट” क्या है ? फोटो -2 |
दरअसल, सांसद निर्वाचित हो जाने के बाद हेमा मालिनी ने मथुरा के रजिस्ट्रार कार्यालय-1 के यहां से मई 2015 में “ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट” के नाम से एक गैर सरकारी संस्था रजिस्टर कराई थी।
इस संस्था में स्वयं हेमा मालिनी के अतिरिक्त उनके वसंत विहार दिल्ली निवासी समधी विपिन वोहरा, उनके चेन्नई (तमिलनाडु) निवासी भाई रामानुजम कन्नन चक्रवर्ती, प्रताप बाजार वृंदावन निवासी विपिन कुमार अग्रवाल तथा आर्मी एरिया मथुरा के बसंतर मार्ग निवासी CA अभिषेक गर्ग प्रमुख रूप से शामिल किए गए।
ट्रस्टियों के अनुसार इस संस्था को रजिस्टर कराने का उद्देश्य मथुरा जनपद का चौमुखी विकास करना था जिसमें ब्रजभूमि, ब्रजभाषा, ब्रज साहित्य एवं ब्रज की कलाओं के साथ-साथ ब्रज की संस्कृति को विभिन्न तरीकों से संरक्षित व संवर्धित करना बताया गया।
इसके अलावा ऐसे कार्यक्रम आयोजित करना तथा उद्योग-धंधों को स्थापित करना जिससे स्थानीय किसान एवं स्थानीय नागरिकों को लाभ मिल सके।
ट्रस्ट की स्थापना का मकसद शिक्षा, चिकित्सा एवं खेल-कूदों को बढ़ावा देना भी बताया गया।
आश्चर्य की बात यह है कि इतने महत्वपूर्ण कार्यों के लिए रजिस्टर कराए गए हेमा जी के इस ट्रस्ट का पता आम जनता को चार साल बीत जाने के बाद तब लगा जब पिछले साल उनके द्वारा कराए गए होली कार्यक्रम के खर्चे पर सवाल उठने लगे।
बहरहाल, अब मुद्दा यह है कि हेमा मालिनी एकबार फिर जनता के बीच हैं। उन्हें भाजपा ने दोबारा कृष्ण की नगरी से अपना लोकसभा प्रत्याशी बनाया है।
इन चुनावों के लिए हेमा मालिनी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में 25 मार्च को नामांकन दाखिल किया। किंतु अपने नामांकन पत्र में हेमा मालिनी ने “ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट” का कोई उल्लेख नहीं किया है।
हो सकता है कि किसी ट्रस्ट की जानकारी देना चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों से बाहर हो परंतु नैतिकता का तकाजा है कि उन्हें ब्रजवासियों को “ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट” के क्रिया-कलापों एवं आय-व्यय से अवगत कराना चाहिए।
वैसे किसी ऐसे ट्रस्ट की जानकारी नामांकन पत्र में दिया जाना जरूरी है या नहीं, इस बात की जानकारी करने का काफी प्रयास किया गया।
सबसे पहले चुनाव आयोग द्वारा मथुरा भेजे गए पर्यवेक्षक IAS डॉ. संजीव भटनागर से उनके अधिकृत मोबाइल नंबर 8445087465 पर कॉल किया गया जो उनके निजी सचिव ने उठाया। सारी बात सुनने के बाद उसने कहा कि वह थोड़ी देर में साहब से बात करा देंगे लेकिन फिर कोई बात नहीं कराई गई।
संजीव भटनागर के बाद दूसरे पर्यवेक्षक बी. गांधी को उनके मोबाइल नंबर 7037688371 पर कॉल किया गया। मिस्टर गांधी का फोन भी उनके निजी सचिव ने उठाया। उसका कहना था कि हमारे साहब को चूंकि सिर्फ एक्सपेंडिचर देखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है लिहाजा किसी ट्रस्ट के बारे में चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों की जानकरी जनरल पर्यवेक्षक यानि डॉ. संजीव भटनागर ही दे सकेंगे।
इस जानकारी के बाद कल सुबह करीब 11 बजे एसएमएस भेजकर डॉ. संजीव भटनागर से स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया परंतु आज 24 घंटों से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी पर्यवेक्षक डॉ. संजीव भटनागर की ओर से जवाब नहीं मिला है।
यहां यह जान लेना जरूरी है कि चुनाव आयोग ने मथुरा के लिए तीन पर्यवेक्षकों की तैनाती की है। इनमें से पहले हैं IAS डॉ. संजीव भटनागर, दूसरे हैं IRS बी. गांधी तथा तीसरे हैं IPS अमर सिंह चहल। चहल साहब का नंबर 8445088009 है।
गिफ्ट में मिला है वृंदावन की ओमेक्स सिटी का आलीशान बंगला
इसके अलावा हेमा जी ने नामांकन पत्र में वृंदावन की ओमेक्स सिटी के नवनिर्मित आलीशान बंगले को गिफ्ट में मिला बताया है। यह गिफ्ट किसने दिया, इसका ब्योरा देना शायद जरूरी नहीं समझा।
कांग्रेस प्रत्याशी के भाई से हैं अच्छे संबंध
हेमा जी के जिन लोगों से अच्छे संबंध हैं उनमें मथुरा के कांगेस प्रत्याशी महेश पाठक के सगे छोटे भाई सुरेश पाठक (छोटू) भी शामिल हैं।
किसी जमाने में सुरेश पाठक (छोटू) ने मथुरा के छाता क्षेत्र में एसवीसी पेट्रो कैमिकल के नाम से एक इंडस्ट्री की नींव रखी थी परंतु यह इंडस्ट्री नींव से ऊपर नहीं उठ सकी।
सुरेश पाठक (छोटू) के लिए फूड पार्क !
बताया जाता है कि अब हेमा जी अपने प्रयासों से सुरेश पाठक को उसी जमीन पर एक फूड पार्क बनवाकर देना चाहती हैं जिसका पिछले दिनों उन्होंने उद्घाटन भी किया था।
आज भी छाता क्षेत्र में नेशनल हाईवे के किनारे इस संभावित फूड पार्क का बोर्ड लगा देखा जा सकता है।
हेमा जी कहती हैं कि उन्होंने मथुरा में बहुत विकास कार्य किए। इतने कि जितने अब तक किसी अन्य जनप्रतिनिधि ने नहीं किए। वह यह भी कहती हैं कि इसके बावजूद कुछ विकास कार्य अभी बाकी हैं जिन्हें पूरा कराने के लिए ही वह दोबारा चुनाव मैदान में उतरी हैं।
हालांकि हेमा जी ने कभी यह नहीं बताया कि अधूरे पड़े विकास कार्य कौन-कौन से हैं और उनमें कहीं सुरेश पाठक को सौंपा जाने वाला फूड पार्क तो नहीं है।
भविष्य में आम चुनाव न लड़ने की घोषणा क्यों
मथुरा की जनता के मन में एक सवाल और यह उठ रहा है कि नामांकन दाखिल करने से पहले हेमा मालिनी ने अचानक यह क्यों कहा कि यह उनका आखिरी लोकसभा चुनाव होगा और इसके बाद स्थानीय लोग यहां से चुनाव लड़ सकेंगे।
बताया जाता है कि इसके पीछे दो कारण रहे। पहला कारण उनके प्रति पार्टीजनों में व्याप्त नाराजगी, और दूसरा कारण आखिरी चुनाव बताकर जनता के बीच यह संदेश देना कि मैं अब भी ब्रज की सेवा करना चाहती हूं इसलिए मुझे एक मौका और दिया जाए।
क्या कहती है जनता
उधर आम जनता से जब हेमा मालिनी की इस घोषणा पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो अधिकांश लोगों का यह कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर भले ही उन्हें वोट मिल जाए किंतु उनकी घोषणा का तो उलटा असर हो रहा है।
आम मतदाता का कहना है कि जब पिछले चुनावों के वक्त बड़े-बड़े वायदे करने के बावजूद हेमा मालिनी कभी जनता के लिए तो क्या, पार्टीजनों के लिए भी उपलब्ध नहीं रहीं तो आखिरी चुनाव जीतकर भी क्यों उपलब्ध होंगी।
लोगों का कहना है कि 2014 में हेमा मालिनी ने ये वादा भी किया था कि वह मथुरा में रहकर स्थानीय जनता की सेवा करेंगी और यहीं स्थाई निवास बनाएंगी किंतु उन्होंने चार साल से अधिक का समय होटल में रहकर बिता दिया। कुछ समय पहले वृंदावन की ओमेक्स सिटी में घर बनवाया भी किंतु तब भी आम लोगों की समस्याएं सुनने के लिए कभी समय नहीं निकाला।
जो भी हो, जनता की शिकवा-शिकायत अपनी जगह परंतु हेमा मालिनी को यह तो बताना ही चाहिए कि जिस “ब्रजभूमि विकास ट्रस्ट” का रजिस्ट्रेशन ही उन्होंने ब्रज के विकास हेतु करवाया था, उसके माध्यम से किसका और कितना विकास हुआ। उसमें ब्रज के विकास के लिए किस-किसने और कितना योगदान दिया तथा किस-किस क्षेत्र में ट्रस्ट के पैसे का उपयोग किया गया।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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