मथुरा। भाजपा की टिकट पर दो बार विधायक रहे अजय कुमार पोइया अब अपनी ही सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि सफेदपोश भूमाफियाओं ने भगवान श्रीकृष्ण की नगरी में अरबों रुपए मूल्य की सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है, कुछ कीजिए।
भूमाफियाओं ने ग्राम सभा सराय आजमाबाद, तहसील व जिला मथुरा की बेशकीमती जमीन फर्जी पट्टों के जरिए बेच खाई है। सफेदपोश भूमाफियाओं ने वनखण्ड और चारागाह तक को नहीं छोड़ा और राजस्व विभाग की मिलीभगत से उनके भी बैनामे तथा रजिस्ट्री करा दीं।
लगभग 15 साल से एकतरफा कानूनी लड़ाई लड़ रहे पूर्व विधायक अजय कुमार पोइया को वर्ष 2009 में तब उम्मीद की किरण दिखाई दी थी जब राजस्व परिषद उत्तर प्रदेश के तत्कालीन आयुक्त व सचिव संजीव दुबे ने तत्कालीन प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शैलेश कृष्ण को बाकायदा पत्र लिखकर यह जमीन सफेदपोश भूमाफियाओं के चंगुल से निकालने और अनियमित आवंटन में शामिल दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों सहित लाभान्वित व्यक्तियों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही करने की संस्तुति की थी, किंतु नजीता कुछ नहीं निकला।
पूर्व विधायक अजय कुमार पोइया द्वारा इसी महीने में 11 मार्च 2018 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए प्रेषित पत्र के अनुसार शासन के निर्देश पर गठित राजस्व परिषद के अधिकारियों की एक टीम ने उनकी शिकायत पर मथुरा में अरबों रुपए मूल्य की सरकारी जमीन का बंदरबांट करने की जांच की थी।
जांच कमेटी ने अपनी विस्तृत आख्या में इस बात की पुष्टि की कि बहुमूल्य सरकारी जमीन को सफेदपोश भूमाफियाओं ने औने-पौने दाम में बेच दिया है अत: सभी दोषी और लाभान्वित व्यक्तियों को चिन्हित कराकर उनके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए।
पूर्व विधायक अजय कुमार पोइया ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि करीब 15 वर्ष पूर्व उन्होंने नेशनल हाईवे नंबर 2 पर स्थित गोकुल रेस्टोरेंट से लेकर मसानी क्षेत्र तक की इस सरकारी जमीन को मुक्त कराने के लिए संघर्ष शुरू किया था किंतु शासन स्तर से गठित जांच कमेटी की संस्तुति एवं सरकारी निर्देशों के बावजूद जिला प्रशासन ने आज तक कोई कार्यवाही नहीं की है लिहाजा मजबूरीवश उन्होंने एक ओर जहां धारा 133 के तहत कार्यवाही प्रारंभ की है वहीं दूसरी ओर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की शरण भी ली है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहित याचिका संख्या 11824/2010 के रूप में यह लंबित है।
पूर्व विधायक ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया है कि आपकी सरकार द्वारा भी राजस्व विभाग की इस जमीन को मुक्त कराने के लिए सूचीबद्ध किया गया है किंतु सफेदपोश भूमाफियाओं के प्रभाव में जिला प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है।
भाजपा नेता और पूर्व विधायक पोइया के अनुसार पहले नगर पालिका और अब नगर निगम क्षेत्र की इस अति मूल्यवान जमीन के फर्जी पट्टे बनाकर श्याम पुत्र बदले निवासी सराय आजमाबाद ने स्वयं अपने परिजनों तथा दूसरे लोगों के नाम बैनामे करा दिए तथा वनखण्ड, चारागाह एवं वृक्षारोपण की जमीन पर भूमाफियाओं का कब्जा करा दिया, जो एक राष्ट्रद्रोही कृत्य है।
इस पूरे प्रकरण का एक आश्चर्यजनक पहलू यह है कि भाजपा नेता और पूर्व विधायक अजय कुमार पोइया ने अरबों रुपए मूल्य की सरकारी जमीन को अवैध रूप से खुर्द-बुर्द करने का मास्टर माइंड जिस श्याम पुत्र बदले को बताया है, वह भी भाजपा नेता और पूर्व विधायक श्याम अहेरिया हैं। हालांकि श्याम अहेरिया पूर्व में समाजवादी पार्टी ज्वाइन करके अपने पुत्र को दर्जा प्राप्त मंत्री का सुख दिलवा चुके हैं।
अजय पोइया की शिकायत और राजस्व विभाग की जांच कमेटी के अनुसार विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिलीभगत से कौड़ियों के दाम बेची गई इस बहुमूल्य सरकारी जमीन पर फिलहाल होटल ड्यूक पैलेस, होटल विंग्सटन के साथ-साथ डॉ. शीला शर्मा मैमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित कैंसर हॉस्पीटल खड़ा है।
इनके अलावा एक टाट फैक्ट्री, मकान, दुकानें, प्लॉट्स, अन्य फैक्ट्रियां, मैरिज होम्स, गैस्ट हाउसेज तथा दूसरे कई ऐसे प्रमुख होटल भी इन जमीनों पर बन चुके हैं जिनकी रजिस्ट्रियां विभिन्न नामों से कराई गई थीं।
भूमाफियाओं ने स्थानीय सरकारी कर्मचारियों को अपने कारनामे में शामिल करने के लिए मथुरा कलेक्ट्रेट कर्मचारी सहकारी गृह निर्माण समिति बनाकर उसके नाम से भी जमीन आवंटित कर दी जबकि इस नाम की कोई समिति लिखा-पढ़ी में है ही नहीं।
यूं भी इस सरकारी जमीन के कई हिस्से तो कई-कई बार बिक चुके हैं और उन पर अब मूल खरीदारों की जगह दूसरे लोग काबिज हैं तथा उनके द्वारा स्थापित उद्योग व व्यापार चल रहे हैं।
अजय कुमार पोइया ने मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र के तहत लिखा है कि ऐसे में जबकि प्रदेश एवं केंद्र सरकार की तमाम योजनाओं के लिए भूमि की अत्यधिक आवश्यकता है और भूमि उपलब्ध न होने के कारण इन योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा, तब शासन अपनी जमीन को सफेदपोश भूमाफियाओं के कब्जे से मुक्त कराकर जनहितकारी योजनाएं प्रारंभ कर सकता है अन्यथा की स्थिति में न्यायालय का निर्णय ही अंतिम विकल्प रह जाएगा किंतु तब इसका श्रेय सरकार नहीं ले सकेगी।
गौरतलब है कि गोकुल रेस्टोरेंट से मसानी तक की यह जमीन आज शहर के पॉश इलाकों में शुमार है क्योंकि इस क्षेत्र में न केवल कई अच्छे होटल, गेटबंद कॉलोनियां, उद्योग व व्यापारिक प्रतिष्ठान, मैरिज होम्स, हॉस्पीटल्स, गेस्ट हाउस बन चुके हैं।
आज यहां जमीन का सर्किल रेट भी इतना अधिक है कि जनसामान्य तो खरीदने का स्वप्न भी नहीं देख सकता।
मजे की बात यह है कि ग्राम सभा सराय आजमाबाद की अवैध रूप से आवंटित अरबों रुपए मूल्य की जमीन पर दुकानों से लेकर मकान और होटलों व अस्पतालों से लेकर फैक्ट्रियों एवं मैरिज होम्स तथा कॉलोनियों तक के निर्माण का नक्शा मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के अधिकारी आंखें बंद करके पास करते रहे जबकि राजस्व विभाग की टीम वर्ष 2008 में ही अपनी जांच आख्या प्रस्तुत कर दोषियों एवं लाभार्थियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराने की संस्तुति कर चुकी थी।
अब देखना यह है कि भूमाफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाने का ढिंढोरा पीटने वाली योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार अपनी ही पार्टी के नेता व पूर्व विधायक अजय पोइया की शिकायत के आधार पर और शासन द्वारा गठित जांच कमेटी की संस्तुति के मद्देनजर अपनी ही पार्टी के आरोपी नेता व पूर्व विधायक श्याम अहेरिया द्वारा किए गए कारनामे को लेकर क्या कदम उठाती है ?
देखना यह भी होगा कि ताकतवर से ताकतवर माफियाओं पर कानून सम्मत कार्यवाही करने की बात करने वाली योगी सरकार क्या उन लाभार्थियों के खिलाफ कार्यवाही कर अरबों रुपए मूल्य की सरकारी जमीन को मुक्त करा पाती है जो किसी न किसी स्तर पर हर सरकार की नाक के बाल बने रहते हैं और जिनके खिलाफ कार्यवाही करने की हिमाकत करने वाले अधिकारियों को या तो तबादला झेलना पड़ता है या अपनी जान गंवाकर ”जवाहरबाग कांड” का हिस्सा बनना पड़ता है।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
भूमाफियाओं ने ग्राम सभा सराय आजमाबाद, तहसील व जिला मथुरा की बेशकीमती जमीन फर्जी पट्टों के जरिए बेच खाई है। सफेदपोश भूमाफियाओं ने वनखण्ड और चारागाह तक को नहीं छोड़ा और राजस्व विभाग की मिलीभगत से उनके भी बैनामे तथा रजिस्ट्री करा दीं।
लगभग 15 साल से एकतरफा कानूनी लड़ाई लड़ रहे पूर्व विधायक अजय कुमार पोइया को वर्ष 2009 में तब उम्मीद की किरण दिखाई दी थी जब राजस्व परिषद उत्तर प्रदेश के तत्कालीन आयुक्त व सचिव संजीव दुबे ने तत्कालीन प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शैलेश कृष्ण को बाकायदा पत्र लिखकर यह जमीन सफेदपोश भूमाफियाओं के चंगुल से निकालने और अनियमित आवंटन में शामिल दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों सहित लाभान्वित व्यक्तियों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही करने की संस्तुति की थी, किंतु नजीता कुछ नहीं निकला।
पूर्व विधायक अजय कुमार पोइया द्वारा इसी महीने में 11 मार्च 2018 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए प्रेषित पत्र के अनुसार शासन के निर्देश पर गठित राजस्व परिषद के अधिकारियों की एक टीम ने उनकी शिकायत पर मथुरा में अरबों रुपए मूल्य की सरकारी जमीन का बंदरबांट करने की जांच की थी।
जांच कमेटी ने अपनी विस्तृत आख्या में इस बात की पुष्टि की कि बहुमूल्य सरकारी जमीन को सफेदपोश भूमाफियाओं ने औने-पौने दाम में बेच दिया है अत: सभी दोषी और लाभान्वित व्यक्तियों को चिन्हित कराकर उनके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए।
पूर्व विधायक अजय कुमार पोइया ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि करीब 15 वर्ष पूर्व उन्होंने नेशनल हाईवे नंबर 2 पर स्थित गोकुल रेस्टोरेंट से लेकर मसानी क्षेत्र तक की इस सरकारी जमीन को मुक्त कराने के लिए संघर्ष शुरू किया था किंतु शासन स्तर से गठित जांच कमेटी की संस्तुति एवं सरकारी निर्देशों के बावजूद जिला प्रशासन ने आज तक कोई कार्यवाही नहीं की है लिहाजा मजबूरीवश उन्होंने एक ओर जहां धारा 133 के तहत कार्यवाही प्रारंभ की है वहीं दूसरी ओर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की शरण भी ली है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहित याचिका संख्या 11824/2010 के रूप में यह लंबित है।
पूर्व विधायक ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया है कि आपकी सरकार द्वारा भी राजस्व विभाग की इस जमीन को मुक्त कराने के लिए सूचीबद्ध किया गया है किंतु सफेदपोश भूमाफियाओं के प्रभाव में जिला प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है।
भाजपा नेता और पूर्व विधायक पोइया के अनुसार पहले नगर पालिका और अब नगर निगम क्षेत्र की इस अति मूल्यवान जमीन के फर्जी पट्टे बनाकर श्याम पुत्र बदले निवासी सराय आजमाबाद ने स्वयं अपने परिजनों तथा दूसरे लोगों के नाम बैनामे करा दिए तथा वनखण्ड, चारागाह एवं वृक्षारोपण की जमीन पर भूमाफियाओं का कब्जा करा दिया, जो एक राष्ट्रद्रोही कृत्य है।
इस पूरे प्रकरण का एक आश्चर्यजनक पहलू यह है कि भाजपा नेता और पूर्व विधायक अजय कुमार पोइया ने अरबों रुपए मूल्य की सरकारी जमीन को अवैध रूप से खुर्द-बुर्द करने का मास्टर माइंड जिस श्याम पुत्र बदले को बताया है, वह भी भाजपा नेता और पूर्व विधायक श्याम अहेरिया हैं। हालांकि श्याम अहेरिया पूर्व में समाजवादी पार्टी ज्वाइन करके अपने पुत्र को दर्जा प्राप्त मंत्री का सुख दिलवा चुके हैं।
अजय पोइया की शिकायत और राजस्व विभाग की जांच कमेटी के अनुसार विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिलीभगत से कौड़ियों के दाम बेची गई इस बहुमूल्य सरकारी जमीन पर फिलहाल होटल ड्यूक पैलेस, होटल विंग्सटन के साथ-साथ डॉ. शीला शर्मा मैमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित कैंसर हॉस्पीटल खड़ा है।
इनके अलावा एक टाट फैक्ट्री, मकान, दुकानें, प्लॉट्स, अन्य फैक्ट्रियां, मैरिज होम्स, गैस्ट हाउसेज तथा दूसरे कई ऐसे प्रमुख होटल भी इन जमीनों पर बन चुके हैं जिनकी रजिस्ट्रियां विभिन्न नामों से कराई गई थीं।
भूमाफियाओं ने स्थानीय सरकारी कर्मचारियों को अपने कारनामे में शामिल करने के लिए मथुरा कलेक्ट्रेट कर्मचारी सहकारी गृह निर्माण समिति बनाकर उसके नाम से भी जमीन आवंटित कर दी जबकि इस नाम की कोई समिति लिखा-पढ़ी में है ही नहीं।
यूं भी इस सरकारी जमीन के कई हिस्से तो कई-कई बार बिक चुके हैं और उन पर अब मूल खरीदारों की जगह दूसरे लोग काबिज हैं तथा उनके द्वारा स्थापित उद्योग व व्यापार चल रहे हैं।
अजय कुमार पोइया ने मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र के तहत लिखा है कि ऐसे में जबकि प्रदेश एवं केंद्र सरकार की तमाम योजनाओं के लिए भूमि की अत्यधिक आवश्यकता है और भूमि उपलब्ध न होने के कारण इन योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा, तब शासन अपनी जमीन को सफेदपोश भूमाफियाओं के कब्जे से मुक्त कराकर जनहितकारी योजनाएं प्रारंभ कर सकता है अन्यथा की स्थिति में न्यायालय का निर्णय ही अंतिम विकल्प रह जाएगा किंतु तब इसका श्रेय सरकार नहीं ले सकेगी।
गौरतलब है कि गोकुल रेस्टोरेंट से मसानी तक की यह जमीन आज शहर के पॉश इलाकों में शुमार है क्योंकि इस क्षेत्र में न केवल कई अच्छे होटल, गेटबंद कॉलोनियां, उद्योग व व्यापारिक प्रतिष्ठान, मैरिज होम्स, हॉस्पीटल्स, गेस्ट हाउस बन चुके हैं।
आज यहां जमीन का सर्किल रेट भी इतना अधिक है कि जनसामान्य तो खरीदने का स्वप्न भी नहीं देख सकता।
मजे की बात यह है कि ग्राम सभा सराय आजमाबाद की अवैध रूप से आवंटित अरबों रुपए मूल्य की जमीन पर दुकानों से लेकर मकान और होटलों व अस्पतालों से लेकर फैक्ट्रियों एवं मैरिज होम्स तथा कॉलोनियों तक के निर्माण का नक्शा मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के अधिकारी आंखें बंद करके पास करते रहे जबकि राजस्व विभाग की टीम वर्ष 2008 में ही अपनी जांच आख्या प्रस्तुत कर दोषियों एवं लाभार्थियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराने की संस्तुति कर चुकी थी।
अब देखना यह है कि भूमाफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाने का ढिंढोरा पीटने वाली योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार अपनी ही पार्टी के नेता व पूर्व विधायक अजय पोइया की शिकायत के आधार पर और शासन द्वारा गठित जांच कमेटी की संस्तुति के मद्देनजर अपनी ही पार्टी के आरोपी नेता व पूर्व विधायक श्याम अहेरिया द्वारा किए गए कारनामे को लेकर क्या कदम उठाती है ?
देखना यह भी होगा कि ताकतवर से ताकतवर माफियाओं पर कानून सम्मत कार्यवाही करने की बात करने वाली योगी सरकार क्या उन लाभार्थियों के खिलाफ कार्यवाही कर अरबों रुपए मूल्य की सरकारी जमीन को मुक्त करा पाती है जो किसी न किसी स्तर पर हर सरकार की नाक के बाल बने रहते हैं और जिनके खिलाफ कार्यवाही करने की हिमाकत करने वाले अधिकारियों को या तो तबादला झेलना पड़ता है या अपनी जान गंवाकर ”जवाहरबाग कांड” का हिस्सा बनना पड़ता है।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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